YES बैंक घोटाला : रिलायंस म्यूचुअल फंड ने YES बैंक में ₹2850 करोड़ AT-1 बॉन्ड में निवेश किया था, जिसे बाद में राइट ऑफ कर घोटाला किया गया। ED और CBI कर रही जांच।
Table of Contents
नई दिल्ली:
रिलायंस म्यूचुअल फंड ने यस बैंक के एटी-1 (AT-1) बॉन्ड्स में ₹2,850 करोड़ का निवेश किया था, जो अब कथित ‘क्विड प्रो क्वो’ (सौदेबाजी के बदले सौदा) घोटाले में बदल गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस निवेश को लेकर बड़ा खुलासा किया है। जानकारी के अनुसार, इस रकम को धोखे से हड़प लिया गया और अब सीबीआई (CBI) भी इस मामले की जांच में जुट गई है।
क्या हैं AT-1 बॉन्ड्स?
AT-1 बॉन्ड घोटाला
AT-1 बॉन्ड्स वे विशेष प्रकार के बॉन्ड होते हैं जिनकी कोई निश्चित परिपक्वता (मॅच्योरिटी) नहीं होती। इन पर निवेशक को ज्यादा ब्याज मिलता है, लेकिन मूलधन वापसी की कोई गारंटी नहीं होती। बैंक चाहे तो इन्हें इक्विटी में बदल सकता है या पूरी तरह से राइट-ऑफ (शून्य) कर सकता है।
ईडी सूत्रों के अनुसार, रिलायंस म्यूचुअल फंड के मामले में इन AT-1 बॉन्ड्स को राइट-ऑफ कर दिया गया, और सारा पैसा ग़ायब हो गया। यह पैसा आम म्यूचुअल फंड निवेशकों का था।
क्यों संदेह है कि Reliance ने जानबूझकर निवेश किया?
रिलायंस म्यूचुअल फंड घोटाला
YES बैंक घोटाला – ईडी (ED) का आरोप है कि Reliance Mutual Fund ने YES Bank के इन बांड्स में जानबूझकर ₹2,850 करोड़ का निवेश किया, संभवतः Quid Pro Quo (लेन-देन के बदले सौदा) के तहत।यानी किसी लाभ के बदले फंड निवेश किया गया।
YES बैंक ₹2850 करोड़ बॉन्ड स्कैम
Inter-Corporate Deposits (ICDs) के जरिए पैसे की हेराफेरी:
YES बैंक घोटाला – Reliance Infra ने ‘C कंपनी’ के माध्यम से इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉज़िट के रूप में पैसे को दूसरे रिलायंस ग्रुप की कंपनियों में ट्रांसफर किया।
‘C कंपनी’ को जानबूझकर “Related Party” के रूप में डिस्क्लोज़ नहीं किया गया जिससे नियामकीय जांच से बचा जा सके।
ईडी की जांच में क्या सामने आया?
ईडी रेड रिलायंस ग्रुप
YES बैंक घोटाला – ईडी ने यह जांच SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से प्राप्त सूचना के आधार पर शुरू की थी। जांच में पता चला कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक अज्ञात ‘C कंपनी’ के ज़रिए रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों को इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स (ICDs) के नाम पर बड़ी रकम ट्रांसफर की।
✔️ महत्वपूर्ण बात:
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस ‘C कंपनी’ को संबंधित पार्टी (Related Party) के तौर पर घोषित नहीं किया, ताकि शेयरधारकों और ऑडिट समिति से मंजूरी लेने से बचा जा सके।
कितना हुआ नुकसान?
YES बैंक घोटाला – रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ₹5,480 करोड़ का ‘हेयरकट’ लिया और बदले में केवल ₹4 करोड़ नकद में प्राप्त हुए।
₹6,499 करोड़ की रकम कुछ डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों (Discoms) के असाइनमेंट या एसेट ट्रांसफर के रूप में सेटल की गई।
ये Discoms वर्षों से निष्क्रिय हैं और इनमें से पैसा वापस मिलना लगभग असंभव है।
कुल मिलाकर अनुमानित घोटाला ₹10,000 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है।
ईडी की बड़ी कार्रवाई: मुंबई में 35 जगह छापेमारी
गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई में 50 कंपनियों और 25 लोगों से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई।
रिलायंस का बचाव
YES बैंक घोटाला – रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी अलग-अलग लेकिन समान प्रकृति की फाइलिंग में कहा:
“ईडी की कार्रवाई से कंपनी के बिज़नेस, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य किसी हितधारक पर कोई असर नहीं पड़ा है।”
इन कंपनियों का कहना है कि मीडिया में चल रही खबरें 10 साल पुराने RCOM (रिलायंस कम्युनिकेशन) या RHFL (रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड) से जुड़ी हुई हैं।
शेयर बाजार में गिरावट
YES बैंक घोटाला – ईडी की छापेमारी की खबर के बाद रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में भारी गिरावट आई। दोनों कंपनियों के शेयर गुरुवार को 5 प्रतिशत गिरकर लोअर सर्किट पर पहुंच गए।
निष्कर्ष
YES बैंक घोटाला – रिलायंस म्यूचुअल फंड और रिलायंस ग्रुप की कंपनियों पर लगे गंभीर आरोप म्यूचुअल फंड निवेशकों के विश्वास को झटका दे सकते हैं। अगर ईडी और सीबीआई की जांच में घोटाला सिद्ध होता है, तो यह भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाएगा।
ऐसी ही और ताज़ा और भरोसेमंद खबरों के लिए — हमसे जुड़े रहिए।
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद ने पकड़ा तूल, F-16 हमलों से तनाव चरम पर