Vasavi Tomar murder – लखनऊ/नैनीताल – लखनऊ की एक 18 वर्षीय छात्रा वसवी तोमर की मौत ने उत्तराखंड के नामी कॉलेज Graphic Era Hill University, भीमताल को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।
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Vasavi Tomar murder – कहानी की शुरुआत – एक सीधी-सादी बेटी की जो हमेशा सच के साथ थी
वसवी तोमर की मौत
Vasavi Tomar murder – वो सिर्फ 18 साल की थी। नाम था वसवी तोमर – लखनऊ की रहने वाली, चेहरे पर मासूमियत, आँखों में सपने और दिल में जुनून। वो कोई आम लड़की नहीं थी, वो उनमें से थी जो नाइंसाफी देखकर चुप नहीं रह सकती थी।
बीसीए की छात्रा थी – पढ़ाई में तेज, मां की लाड़ली, और दूसरों के लिए आवाज उठाने वाली।
उसने सपना देखा था – एक कामयाब करियर का, माँ को खुश देखने का, और अपने छोटे भाई के लिए मिसाल बनने का।
लेकिन किसे पता था, जिस दिन वो रैगिंग के खिलाफ आवाज उठाएगी, वही दिन उसकी ज़िंदगी का आखिरी दिन बन जाएगा…
29 जुलाई 2025 – जब उसने मां को फोन किया
Vasavi Ragging in College
Vasavi Tomar murder – 29 जुलाई की शाम को वसवी ने अपनी मां बीनू सिंह को फोन किया। आवाज में तनाव था।
“मां, यहां एक सीनियर मेरी रूममेट को बहुत परेशान कर रही है… मैंने उसका वीडियो बना लिया है… वो मुझे धमका रही है।”
उसने वीडियो भी भेजा – जिसमें वो सीनियर लड़की से भिड़ रही थी, उसका सामना कर रही थी।
मां ने उसे कहा – “बेटा डटकर रहो, डरना मत। मैं हूं ना।”
वसवी ने जवाब दिया –
“डरती नहीं हूं मां, लेकिन इन्हें रोकना ज़रूरी है…”
30 जुलाई 2025 – सुबह जब सबकुछ बदल गया
Vasavi Tomar murder – अगली सुबह 30 जुलाई को परिवार को एक फोन आया – Graphic Era Hill University, भीमताल (नैनीताल) से।
“आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है…”
मां ने फोन हाथ से गिरा दिया। भाई चिल्लाया – “ये झूठ है! मेरी दीदी आत्महत्या नहीं कर सकती।”
वो लड़की जिसने रैगिंग के खिलाफ आवाज उठाई, जो बहादुर थी, जो मां से कहती थी “मैं डरती नहीं” – वो अचानक आत्महत्या कैसे कर सकती थी?
शव को देखकर टूट गया परिवार – और खुलने लगे राज़
Student Found Dead In Uttarakhand Hostel
Vasavi Tomar murder – जब परिवार हॉस्टल पहुंचा और वसवी का शव देखा – तो मां चीख उठी।
गले पर गहरे निशान थे। चेहरे पर खरोंचें थीं। हाथों पर संघर्ष के निशान थे।
भाई बोला –
“ये आत्महत्या नहीं, ये हत्या है। किसी ने मेरी दीदी का गला दबाया है।”
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो बात सामने आई, उसने उनके शक को और मजबूत कर दिया –
गला दबाने से दम घुटने से मौत।
यूनिवर्सिटी पर गंभीर आरोप – चुप्पी और साजिश
Nainital University Murder Allegation
परिवार का आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने सबकुछ छुपाने की कोशिश की:
CCTV फुटेज नहीं दिखाई।
सीनियर लड़की से पूछताछ नहीं कराई।
हॉस्टल की लड़कियों से बात करने नहीं दिया गया।
कुछ स्टाफ ने कहा, “बोलोगे तो तुम्हें भी हॉस्टल से निकाल देंगे।”
एक और छात्रा ने चुपचाप बताया –
“दीदी बहुत हिम्मती थीं, सबकी मदद करती थीं… लेकिन उस दिन एक सीनियर ने उन्हें धमकाया था – ‘बहुत बोलती है, चुप कर देंगे।’”
सोशल मीडिया पर गूंज उठा नाम – #JusticeForVasavi
वसवी की मौत की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया।
ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर ट्रेंड हुआ –
JusticeForVasavi
छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किए। लखनऊ यूनिवर्सिटी और IIT-Roorkee के छात्रों ने भी बयान जारी किए।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने CBI जांच की मांग की।
मां की चीख – “मेरी बेटी को न्याय चाहिए”
वसवी की मां बीनू सिंह मीडिया के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं।
“मेरी बच्ची को मारा गया है। वो बहादुर थी, उसने सीनियर का विरोध किया था। यूनिवर्सिटी ने मेरे बच्चे की जान ली। मुझे न्याय चाहिए। मेरी बेटी की आत्मा को चैन तभी मिलेगा जब उसके कातिल सलाखों के पीछे होंगे।”
जांच शुरू – लेकिन सवाल अब भी खड़े हैं
Vasavi Tomar murder – उत्तराखंड पुलिस ने केस दर्ज किया है, लेकिन जांच की गति धीमी है।
परिजन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय महिला आयोग से मिलने की तैयारी में हैं।
CBI जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
असली सवाल यह है…
क्या सच सामने आएगा?
क्या वसवी को इंसाफ मिलेगा?
या फिर यह मामला भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दब जाएगा?
एक लड़की की आवाज जो आज भी गूंज रही है…
वसवी तोमर चली गई…
लेकिन उसकी बहादुरी, उसकी आवाज, उसका संघर्ष… आज भी जिंदा है।
वो हमें याद दिला गई कि – “सच बोलने की कीमत बहुत बड़ी होती है।”
अब यह समाज की जिम्मेदारी है कि वसवी की मौत को भुलाया न जाए।
क्योंकि अगर हम आज चुप रहे, तो कल और बेटियाँ मारी जाएँगी।
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