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Tiger Queen Machli – the World’s Most Famous crocodile killer ,मछली की कहानी

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Tiger Queen Machli – मछली (T-16) – रणथंभौर की बाघिन रानी की कहानी
यह है मछली की रोमांचक कथा, वह बाघिन जिसने रणथंभौर के जंगलों में वर्षों तक अपना परचम लहराया।

Tiger Queen Machli – machli (T-16) – रणथंभौर की बाघिन रानी की story

tiger machli story

Tiger Queen Machli -यह है मछली की रोमांचक कथा, वह बाघिन जिसने रणथंभौर के जंगलों में वर्षों तक अपना परचम लहराया।

कभी रणथंभौर की शान रही मछली (T-16), जिसे “लेडी ऑफ द लेक” के नाम से भी जाना जाता था, ने 18 अगस्त 2016 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उसे दुनिया की सबसे ज्यादा फोटो खिंचवाने वाली बाघिन का दर्जा मिला था। मछली न सिर्फ देखने में बेहद खूबसूरत थी, बल्कि वह एक ताकतवर और प्रभावशाली बाघिन भी थी, जिसने रणथंभौर के महल, झीलों और किलों समेत बड़े इलाके पर अपना मजबूत कब्जा बनाए रखा था।

गुम्बदों और छतरियों को अपनी छांव बना कर, और झीलों को अपने अधीन रख कर, मछली ने रणथंभौर पर अपना दबदबा बखूबी साबित किया था। उसका इलाका लगभग 350 वर्ग मील में फैला हुआ था — जो न केवल राष्ट्रीय उद्यान का सबसे बड़ा हिस्सा था, बल्कि सबसे खूबसूरत भी।

आखिर मछली T-16 को खास क्या बनाता था?

Tiger Queen Machli

Tiger Queen Machli – रणथंभौर के 62 बाघों में मछली को जो सबसे अलग बनाता था, वह था इंसानों के प्रति उसका सहज व्यवहार और वह गरिमा, जिसने फोटोग्राफरों को हमेशा उसकी ओर खींचा। वह बेहद चतुर भी थी — कई बार वह पर्यटकों की गाड़ियों का इस्तेमाल शिकार करने के लिए करती थी।

उसकी संतानों ने भी उसका वंश आगे बढ़ाया — उसकी दो मादा शावकों को सरिस्का टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया ताकि वहाँ बाघों की आबादी को फिर से बसाया जा सके।

मछली को जीवन भर की उपलब्धियों के लिए कई सम्मान भी मिले, जिन्होंने उसके नाम को और ऊंचाई दी।

मछली – मतलब एक बाघिन का नाम ‘मछली’?

सुनने में अजीब लगता है ना?
लेकिन इसके पीछे एक खास वजह है। मछली के चेहरे के बाएं कान पर मछली जैसी आकृति का निशान था, और इसी वजह से उसका नाम रखा गया – मछली। दिलचस्प बात ये भी है कि ये नाम उसे उसकी मां से विरासत में मिला था।

मछली का जन्म 1997 के मानसून में हुआ था, और बचपन से ही उसमें दबदबा देखने को मिलता था। दो साल की उम्र में, यानी 1999 में, उसने खुद से शिकार करना शुरू कर दिया – ये साफ संकेत था कि अब वह अपनी मां से अलग हो रही है।

जल्द ही मछली ने अपनी मां के क्षेत्र का एक हिस्सा अपने नियंत्रण में ले लिया, और यहीं उसने अपने शासन का अधिकांश समय बिताया। कुछ वर्षों बाद, उसने एक बड़े नर बाघ ‘बांसू राम’ से मेल कर तीन शावकों को जन्म दिया – एक मादा (सुंदरी – T-17) और दो नर (ब्रोकन टेल और स्लांट ईयर)।

Tiger Queen Machli – दिसंबर 2001 के अंत तक मछली के दोनों शावक उससे अलग हो गए थे। इसके बाद मछली का मिलन एक अन्य नर बाघ ‘निक ईयर’ से हुआ। दरअसल, बांसू राम की वृद्धावस्था के चलते मृत्यु हो गई थी, जब तक ब्रोकन टेल और स्लांट ईयर मछली के साथ ही थे। बांसू राम के जाने के बाद निक ईयर ने उसका इलाका अपने कब्जे में ले लिया था।

अप्रैल 2002 तक मछली ने अपनी दूसरी संतानों को जन्म दिया – एक नर झुमरू और एक मादा झुमरी। इसके दो साल बाद, 2004 के अंत में, मछली का तीसरी बार मिलन एक और नर बाघ ‘एक्स-मेल’ से हुआ। और मार्च 2005 के आसपास, मछली ने दो और शावकों को जन्म दिया – एक मादा शर्मीली (जिसका मतलब होता है ‘संकोची’) और एक नर बहादुर।

मछली: ताकतवर, दबंग और खतरनाक

Tiger Queen Machli – हालाँकि मछली एक मादा बाघिन थी, फिर भी उसका स्वभाव हमेशा से ही दबदबे वाला रहा। उसकी मौजूदगी इतनी प्रभावशाली थी कि कई बार वह नर बाघों पर भी भारी पड़ जाती थी। अपने बच्चों को लेकर वह हमेशा बेहद सुरक्षात्मक रहती थी।

उसकी यह आक्रामकता उसके स्वभाव में जन्मजात थी — और इसका प्रमाण वे तमाम घटनाएँ हैं, जो आज भी दस्तावेजों में दर्ज हैं। ऐसी ही एक घटना थी उसकी 14 फीट लंबे मगरमच्छ से भिड़ंत, जिसने इतिहास रच दिया। दर्शकों के अनुसार, यह टकराव रणथंभौर की सबसे ऐतिहासिक और रोमांचक घटनाओं में से एक मानी जाती है।

मछली – ‘crocodile killer’ बाघिन

Machli crocodile killer

Tiger Queen Machli – रणथंभौर की रानी मछली (T-16) को सिर्फ उसकी सुंदरता और लोकप्रियता के लिए नहीं, बल्कि उसकी माँ की तरह संरक्षक और योद्धा प्रवृत्ति के लिए भी याद किया जाता है।

एक बार की घटना है जब एक विशाल मगरमच्छ, जो करीब 14 फीट लंबा था, मछली के शावकों पर हमला करने वाला था। मगरमच्छ पानी के पास छिपा हुआ था और जैसे ही उसे मौका मिला, वह आगे बढ़ा। लेकिन मछली ने अपने बच्चों पर आने वाले इस खतरे को भांप लिया।

और फिर जो हुआ, वो रणथंभौर के इतिहास में दर्ज हो गया।

मछली ने बिना एक पल गंवाए उस crocodile पर हमला कर दिया। यह मुकाबला काफी खतरनाक और लंबा चला। मगरमच्छ ताकतवर था, लेकिन मछली की ममता और साहस ने उसे हरा दिया। आखिरकार मछली ने crocodile को मार गिराया और अपने शावकों की जान बचाई।

इस घटना को कई पर्यटकों और फोटोग्राफरों ने देखा और कैमरे में कैद भी किया। यही वजह थी कि मछली को बाद में ‘क्रोकोडाइल किलर’ का नाम मिला।


यह घटना सिर्फ एक बाघिन की बहादुरी नहीं थी, यह एक माँ की ममता और उसकी सुरक्षा भावना की सबसे खूबसूरत मिसाल थी। मछली सचमुच रणथंभौर की रानी थी – शेरनी भी, माँ भी, और योद्धा भी।

मछली को दुनिया की सबसे ज़्यादा फोटो खिंचवाने वाली बाघिन के तौर पर भी जाना जाता था। वर्षों तक वह कई डॉक्युमेंट्रीज़, लघु फिल्मों, वन्यजीवन पर आधारित जर्नल्स, किताबों और रिसर्च पेपर्स का विषय बनी रही।

“लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया है।

Tiger machli lifetime achievement award

Tiger Queen Machli – दरअसल, मछली और रणथंभौर नेशनल पार्क पर आधारित कई पुस्तकों को TOFT (Travel Operators for Tigers) का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला है — यह सम्मान मछली के संरक्षण में योगदान और राजस्थान की व्यापक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए दिया गया।

यह सम्मान सिर्फ लेखन या प्रकाशन के लिए नहीं था, बल्कि इसके पीछे मछली का वह गहरा प्रभाव था जो उसने वन्यजीव पर्यटन (Wildlife Tourism), बाघ संरक्षण (Tiger Conservation) और स्थानीय अर्थव्यवस्था (Local Economy) पर डाला।

🔹 TOFT का उद्देश्य क्या है?

TOFT – Travel Operators for Tigers एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो सस्टेनेबल टाइगर टूरिज्म और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है। यह संगठन ऐसे लोगों, किताबों, प्रोजेक्ट्स या टाइगर्स को सम्मानित करता है जिन्होंने पर्यावरण, पारिस्थितिकी और संरक्षण के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो।

🔹 मछली को यह अवॉर्ड क्यों मिला?

Tiger Queen Machli – मछली रणथंभौर की सबसे पहचान बनाने वाली बाघिन थी, जिसने अपने जीवनकाल में हजारों पर्यटकों को आकर्षित किया।

उसके कारण रणथंभौर में टाइगर टूरिज्म को जबरदस्त बढ़ावा मिला, जिससे राजस्थान की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचा – होटल, गाइड, वाहन सेवाएं, और स्थानीय कारोबारियों की आजीविका मछली की लोकप्रियता से जुड़ी हुई थी।

मछली की कहानी पर बनी किताबों, डॉक्युमेंट्रीज़ और फोटोग्राफी प्रोजेक्ट्स ने ना सिर्फ उसकी विरासत को जिंदा रखा, बल्कि बाघों की स्थिति और संरक्षण की आवश्यकता पर वैश्विक ध्यान भी खींचा।

🔹 सम्मान का महत्व

TOFT द्वारा दिया गया “लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” मछली की उस अदृश्य लेकिन विशाल भूमिका को मान्यता देता है जो उसने न केवल जंगल में, बल्कि लोगों के मन और पर्यटन उद्योग में निभाई। यह दिखाता है कि एक बाघिन की मौजूदगी किसी पूरे क्षेत्र के आर्थिक और पारिस्थितिकीय संतुलन को कैसे प्रभावित कर सकती है।

मछली – दुनिया की सबसे मशहूर बाघिन पर बनी फिल्म को मिला नेशनल अवॉर्ड

Tiger मछली पर बनी फिल्म को मिला नेशनल अवॉर्ड

National award for best environmental film

Tiger Queen Machli – “The World’s Most Famous Tiger” — यह डॉक्यूमेंट्री बाघिन मछली की जीवनगाथा पर आधारित है, जो रणथंभौर नेशनल पार्क की सबसे प्रसिद्ध और सबसे ज़्यादा फोटो खिंचवाने वाली टाइग्रेस थी। इस फिल्म ने 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (66th National Film Awards) में “Best Exploration/Adventure Film” (Non-Feature Film) कैटेगरी में अवॉर्ड जीता था।

इस फिल्म में मछली की ज़िंदगी के प्रमुख पहलुओं को बेहद भावनात्मक और रोमांचक तरीके से दिखाया गया है। कैसे उसने रणथंभौर के सबसे खूबसूरत हिस्से पर राज किया, अपने बच्चों को अकेले पाला, और एक बार मगरमच्छ से लड़ते हुए अपने बच्चों की रक्षा की — ये सारे दृश्य फिल्म में जीवंत रूप से दिखाए गए हैं।

रणथंभौर की रानी मछली की मृत्यु

tiger machli death

Tiger Queen Machli – हालाँकि मछली ने वर्षों तक रणथंभौर पर राज किया, लेकिन उम्र के असर ने आखिरकार उस पर भी प्रभाव डालना शुरू कर दिया। करीब पाँच साल पहले से ही उसकी ताकत कम होने लगी थी और वह धीरे-धीरे अपना क्षेत्र खोने लगी। मृत्यु के समय तक उसके दांत तक टूट चुके थे।

मछली का अंतिम संस्कार नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया।

मछली एक किंवदंती थी – और उसकी कहानी, उसका योगदान, उसकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।

बाघिन मछली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Tiger Queen Machli – मछली को उसके जीवनकाल में कई उपाधियाँ मिलीं – ‘रणथंभौर की बाघिन रानी’, ‘लेडी ऑफ द लेक्स’, और ‘क्रोकोडाइल किलर’ उन्हीं में से प्रमुख हैं।

1998 से 2009 के बीच मछली की असाधारण लोकप्रियता ने भारतीय सरकार को लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आमदनी करवाई, जो टाइगर टूरिज्म के रूप में आई।

संरक्षण और पर्यटन में उसके योगदान के लिए मछली को “लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया।

भारत सरकार ने मछली के पारिस्थितिक और आर्थिक योगदान के सम्मान में स्मारक डाक टिकट और कवर भी जारी किया।

मछली ने 20 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली, जो किसी भी जंगली बाघ के औसत जीवनकाल (10 से 15 वर्ष) से कहीं अधिक है। वह दुनिया की सबसे बुजुर्ग जीवित जंगली बाघिन मानी गई।

मछली पर बनी फिल्म “द वर्ल्ड्स मोस्ट फेमस टाइगर” को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

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  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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