Thailand Cambodia War 2025- थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद ने अब युद्ध का रूप ले लिया है। थाईलैंड के F-16 लड़ाकू विमानों की बमबारी से हालात बिगड़े हैं। जानिए इस संघर्ष की जड़, इतिहास और ताज़ा हालात।
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Thailand Cambodia War 2025- एशिया में युद्ध के मुहाने पर दो पड़ोसी देश:
दक्षिण-पूर्व एशिया में एक और संकट गहराता दिख रहा है। थाईलैंड और कंबोडिया, जो दशकों से सीमा विवाद में उलझे हैं, अब जंग के कगार पर पहुंच चुके हैं।
गुरुवार सुबह सीमा पर शुरू हुई गोलीबारी अब भीषण संघर्ष में तब्दील हो चुकी है। थाईलैंड ने जहां अपने आधुनिक F-16 लड़ाकू विमानों के जरिए कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमला किया है, वहीं कंबोडिया ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
क्या हुआ था गुरुवार को?
थाईलैंड और कंबोडिया विवाद कब बढ़ा
गुरुवार सुबह थाईलैंड और कंबोडिया के सीमावर्ती क्षेत्र में गोलीबारी की खबरें सामने आईं। शुरुआती झड़प के बाद हालात इतने बिगड़े कि थाई सेना ने F-16 फाइटर जेट्स तैनात कर दिए और हवाई हमले शुरू कर दिए।
थाईलैंड के अनुसार, इन झड़पों में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 14 से ज्यादा घायल हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि दोनों देशों ने एक-दूसरे पर युद्ध जैसी कार्रवाई का आरोप लगाया है।
थाईलैंड की तरफ से हवाई हमला
थाईलैंड के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसने 6 F-16 विमानों को ऑपरेशन में उतारा और कंबोडिया के दो सैन्य मुख्यालयों को तबाह कर दिया।
इसके जवाब में कंबोडिया ने भी बड़ा बयान दिया। कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय का कहना है कि थाईलैंड ने Wat Kao Kiri Swarak Pagoda की ओर जाने वाली सड़क पर बम गिराए हैं, जिससे धार्मिक स्थल को भी खतरा हुआ है।
कंबोडिया सरकार ने साफ किया कि वह थाईलैंड के इन हमलों को छोड़ने वाला नहीं है, और इसका सख्त जवाब दिया जाएगा।
सीमा विवाद की जड़ कहां है?
थाईलैंड और कंबोडिया सीमा विवाद कारण
यह संघर्ष अचानक नहीं हुआ है। इसके पीछे एक लंबा और जटिल इतिहास है।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच करीब 817 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें कई क्षेत्र विवादित माने जाते हैं।
🕍 प्रीह विहियर मंदिर विवाद:
इस पूरे संघर्ष की शुरुआत 1950 के दशक में प्रीह विहियर मंदिर को लेकर हुई।
यह मंदिर कंबोडिया की सीमा में स्थित है लेकिन थाईलैंड इसपर अपना दावा करता आया है।
1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने फैसला सुनाया कि यह मंदिर कंबोडिया का हिस्सा है।
लेकिन थाईलैंड ने तर्क दिया कि मंदिर के आसपास की भूमि अब भी विवादित है।
इसके बाद 2008 में जब यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया, तो दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
क्यों फिर से भड़का विवाद?
थाईलैंड और कंबोडिया सीमा विवाद कब से शुरू हुआ
🔺 28 मई की झड़प:
इस ताजा विवाद की शुरुआत 28 मई को हुई, जब एमराल्ड ट्रायंगल क्षेत्र में हुई गोलीबारी में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई।
यह इलाका थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमा पर स्थित है और ऐतिहासिक रूप से बेहद विवादित रहा है।
🔺 29 मई से लगातार तनाव:
इसके बाद दोनों पक्षों के बीच बोलचाल बंद, राजनयिक स्तर पर तनातनी, और अब सैन्य कार्रवाई देखने को मिल रही है
शांति प्रयास और उनकी विफलता
थाईलैंड और कंबोडिया ने अतीत में कई बार बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश की।
Joint Border Commission (JBC) जैसी साझा समितियाँ भी बनाई गईं लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
2011 में एक बार फिर संघर्ष हुआ, जिसमें 36,000 लोग विस्थापित हुए। हालांकि दोनों देशों ने तब सैन्य कार्रवाई रोक दी थी, लेकिन मनमुटाव बना रहा।
अब एक बार फिर हालात बेकाबू हो रहे हैं।
भारत और ASEAN के लिए क्या खतरा?
थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ASEAN के सदस्य देश हैं।
अगर यह संघर्ष और बढ़ता है, तो पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
भारत के लिए भी यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है – खासकर इंडो-पैसिफिक नीति और व्यापार मार्गों के लिहाज से।
Thailand Cambodia War 2025 -आगे क्या हो सकता है?
अगर कंबोडिया जवाबी कार्रवाई करता है, तो ये युद्ध और गंभीर रूप ले सकता है।
दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र और ASEAN जैसे मंचों से बातचीत की मेज पर लौटने की अपील की जा रही है।
इस संघर्ष को रोकने का एकमात्र रास्ता राजनयिक समाधान ही हो सकता है।
निष्कर्ष
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच चुका है।
F-16 विमानों से हमला, सैनिकों की मौत, और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप – ये सब इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अगर जल्दी हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो दक्षिण-पूर्व एशिया में एक और युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है।
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