Singha Durbar : नेपाल के ऐसे महल की दहलीज़ पर, जिसे कभी सत्ता की सबसे ऊँची कुर्सी माना जाता था, लेकिन आज वो शापित आत्माओं की गिरफ्त में है।
क्या आपने कभी ऐसी इमारत के बारे में सुना है जहाँ सरकार चलती है, लेकिन आत्माएँ राज करती हैं?
नमस्कार दोस्तों, मैं A.P.S JHALA — आज आपको ले चल रहा हूँ नेपाल के ऐसे महल की दहलीज़ पर, जिसे कभी सत्ता की सबसे ऊँची कुर्सी माना जाता था, लेकिन आज वो शापित आत्माओं की गिरफ्त में है।
इस जगह का नाम है — Singha Durbar (सिंह दरबार), काठमांडू।
एक ऐसा महल, जो राणा वंश के उत्थान और पतन दोनों का गवाह बना… और अब रहस्यमयी घटनाओं का केंद्र।
इतिहास: जब सत्ता का प्रतीक बना महल
Singha Durbar का निर्माण 1908 में चन्द्र शमशेर राणा ने करवाया था।
उनका उद्देश्य था – नेपाल के राणा साम्राज्य की ताकत को पूरी दुनिया के सामने रखना।
यही कारण था कि इस महल को यूरोपियन वास्तुकला में बनाया गया, जहाँ से झूमर, खिड़कियाँ और तक़रीबन सभी सामग्री इटली, फ्रांस और इंग्लैंड से मंगाई गई थी।
यह महल इतना विशाल था कि इसमें 260 से भी अधिक कमरे, कई गुप्त गलियाँ, बेसमेंट और बगीचे थे।
यही से राजनीतिक साजिशें रची जाती थीं, फैसले लिए जाते थे — और कुछ लोगों के लिए, मौत के आदेश भी दिए जाते थे।
खून से सना हुआ सिंह दरबार
Singha Durbar :इस महल के इतिहास में सबसे पहली खून की बूंद 1885 में गिरी — जब राणा शासक रणोदिप सिंह की हत्या उन्हीं के भतीजे बीर शमशेर ने सत्ता की लालच में कर दी।
इस हत्या के बाद ही कहा जाने लगा कि Singha Durbar शापित हो चुका है।
यह हत्या महल के तीसरे फ्लोर पर हुई थी, जहाँ आज भी किसी को जाने की इजाज़त नहीं है।
एक गार्ड ने बताया था —
“वह कमरा ठंडा नहीं, बर्फ जैसा ठंडा है। अंदर घुसते ही साँस भारी हो जाती है, जैसे कोई पीछे से देख रहा हो।”
सत्ता पाने के लिए भाई-भाई का खून बहा देते थे।
शंकाओं के आधार पर मंत्रियों को ज़हर दिया जाता था।
कई महिलाओं को ‘शक’ के आधार पर मारकर तहखाने में दफनाया गया।
इस वजह से सिंह दरबार न सिर्फ इतिहास का गवाह बना, बल्कि “शापित सत्ता का महल” भी कहलाने लगा
आग लगने की रहस्यमयी घटनाएँ
Singha Durbar :अब ज़रा सोचिए — 1973 और फिर 2015 में दो बार इस महल में भयंकर आग लगती है, और दोनों बार वजह अज्ञात रहती है।
बिजली का कोई शॉर्ट सर्किट नहीं, कोई सिलेंडर नहीं — तो फिर आग लगी कैसे?
स्थानीय लोग कहते हैं –
“यह आत्माओं का ग़ुस्सा था, जिन्होंने इस महल को अपनी गिरफ्त में ले रखा है।”
नेपाल के कुछ तांत्रिकों का मानना है कि सिंह दरबार में “नागबलि” और “शिवतांडव यज्ञ” जैसे अनुष्ठान करके आत्माओं को बाँधने की कोशिश की गई थी,
लेकिन वे असफल रहे।
डरावनी रातें – सैनिकों की चीख़ें
Singha Durbar : साल 2017 में एक रात को सुरक्षा गार्ड सूदिप थापा अपनी ड्यूटी पर था।
घड़ी में 3:07 बजे का वक्त था…
तभी तीसरी मंज़िल से एक महिला की चीख़ सुनाई दी – “क्यों मारा मुझे?”
गोलियों जैसी आवाज़ें, बूटों की आहट और खुद-ब-खुद बंद होते दरवाज़े — ये सब आम बात हो गई थी।
गुप्त कमरों से कभी-कभी किसी के हँसने की आवाज़ आती है, जो इंसानी नहीं लगती।
कैमरे में कैद हुआ परछाई वाला साया
नेपाल आर्मी के एक वरिष्ठ अफसर अमर अधिकारी ने खुद कहा था कि:
“हमारी नाइट विज़न कैमरा फुटेज में एक सफेद कपड़े वाली महिला की परछाई दिखाई दी थी।
हमने कई बार चेक किया, लेकिन वहां कोई मौजूद नहीं था।”
उनका कहना था कि बेसमेंट में कुछ है — एक ऐसा ‘वजूद’ जो नज़र नहीं आता, लेकिन महसूस होता है।
वैज्ञानिकों की जाँच – Paranormal Team की रिपोर्ट
Singha Durbar : साल 2021 में नेपाल की एक पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन टीम ने यहाँ रातभर का निरीक्षण किया।
नतीजे चौंकाने वाले थे:
EMF मीटर कई बार रेड ज़ोन में पहुँचा
तापमान सामान्य से 10 डिग्री नीचे चला गया
और सबसे रहस्यमयी घटना — टीम का रिकॉर्डर अपने आप ऑन हुआ और उसमें एक औरत की आवाज़ रिकॉर्ड हुई:
“मुझे यहाँ से निकालो…”
बुज़ुर्गों की मान्यता – शापित आत्माएँ
काठमांडू के कई बुज़ुर्गों का मानना है कि राणा वंश की सत्ता पाप से सनी थी।
“जिस जगह खून बहाया गया, वो ज़मीन कभी पवित्र नहीं हो सकती।”
उनके अनुसार, सिंह दरबार की आत्माएँ मुक्ति की तलाश में भटक रही हैं,
और जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक ये महल डरावना ही रहेगा।
क्यों डरते हैं लोग आज भी ?
आज भी जब कोई इस महल में काम करने आता है,
तो उन्हें साफ निर्देश दिए जाते हैं – रात को तीसरे ब्लॉक की तरफ न जाएं।
कुछ कमरे आज भी बंद हैं, जहाँ जाने से गार्ड्स भी डरते हैं।
एक कर्मचारी ने बताया था –
“रात को महल के झूमर अपने आप हिलने लगते हैं,
दीवारों से किसी के चलने की आहट आती है,
और कई बार खिड़कियाँ बिना हवा के खुद-ब-खुद खुल जाती हैं।”
सिंह दरबार: सत्ता से शाप तक
Singha Durbar का इतिहास सुनहरी नहीं, लहू से लथपथ है।
यह सिर्फ एक इमारत नहीं है — यह उन रूहों का पिंजरा है जो कभी सत्ता की बली चढ़ीं।
तो अगली बार अगर आप नेपाल जाएं,
और इस महल के सामने खड़े हों,
तो ज़रा रुककर महसूस कीजिएगा —
कहीं आपको भी कोई धीमी आवाज़ ना पुकारे… “क्यों मारा मुझे?”
क्या आप भी किसी भूतिया महल में गए हैं?
नीचे कमेंट करके बताइए – हम आपकी कहानी भी प्रकाशित करेंगे।
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