Jaisalmer dinosaur fossil – राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक बार फिर डायनासोर युग के जीवाश्म मिलने की खबर ने वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों को उत्साहित कर दिया है।
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मेघा गाँव में तालाब की खुदाई के दौरान मिले इन अवशेषों को लगभग 18 करोड़ साल पुराना माना जा रहा है। यह इलाका पहले भी Tharosaurus indicus जैसे दुर्लभ डायनासोर के जीवाश्मों के लिए मशहूर रहा है। जानिए पूरी कहानी, वैज्ञानिक तथ्य, ऐतिहासिक महत्व और जैसलमेर के जीवाश्म स्थलों की रोचक जानकारी।
Jaisalmer dinosaur fossil
कभी रेगिस्तान कहलाने वाला जैसलमेर आज सिर्फ़ अपनी हवेलियों और सोनार किले के लिए ही नहीं, बल्कि धरती की प्राचीनतम कहानियों को समेटे होने के लिए भी चर्चा में है। हाल ही में यहाँ फिर से ऐसे जीवाश्म मिले हैं जो डायनासोर युग से जुड़े बताए जा रहे हैं। यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए रोमांचक है, बल्कि राजस्थान के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरव में एक और अध्याय जोड़ती है।
मेघा गाँव की ताज़ा खोज
Jaisalmer dinosaur fossil – जैसलमेर जिले के मेघा गाँव में तालाब की खुदाई के दौरान ग्रामीणों को हड्डियों जैसी संरचनाएँ और पत्थर मिले। जब स्थानीय लोगों ने इस जानकारी को प्रशासन तक पहुँचाया तो तुरंत जगह को सील कर दिया गया और Geological Survey of India (GSI) की टीम को जांच के लिए बुलाया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये संरचनाएँ जुरासिक युग (Jurassic Era) यानी लगभग 180 मिलियन वर्ष पहले की हो सकती हैं।
क्यों है जैसलमेर खास?
Jaisalmer dinosaur fossil – भारत में जीवाश्म खोज के कई केंद्र रहे हैं, लेकिन जैसलमेर का स्थान इसमें विशेष है।
- भूगर्भीय संरचना – जैसलमेर क्षेत्र की चट्टानें मध्य और उत्तर जुरासिक युग की हैं।
- पहले की खोजें –2018 में यहाँ से Tharosaurus indicus नामक डायनासोर की खोज हुई थी। इसे अब तक का सबसे पुराना Diplodocoid Dinosaur माना जाता है।
इसकी उम्र लगभग 167 मिलियन वर्ष आंकी गई।
- फॉसिल पार्क –
पास ही Akal Wood Fossil Park है, जिसमें 18 करोड़ साल पुराने वृक्षों और अन्य जीवों के जीवाश्म आज भी देखे जा सकते हैं।
Tharosaurus indicus – जैसलमेर का गौरव
Jaisalmer dinosaur fossil – यह पौधाहारी डायनासोर था, जो लंबी गर्दन और पूँछ के लिए मशहूर Diplodocoid परिवार से जुड़ा था।
लंबाई: लगभग 9–10 मीटर
आयु: 167 मिलियन वर्ष पुराना
महत्व: एशिया का सबसे प्राचीन Diplodocoid
इसकी खोज ने भारत को वैश्विक डायनासोर रिसर्च में एक नई पहचान दी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
Jaisalmer dinosaur fossil – प्रारंभिक जाँच में अवशेष कशेरुकी जीव (vertebrate) के लग रहे हैं।
कुछ रिपोर्ट्स इसे उड़ने वाले शाकाहारी डायनासोर (Flying Herbivore) से जोड़ती हैं।
निश्चित पुष्टि के लिए कार्बन डेटिंग और अन्य लैब टेस्ट जरूरी होंगे।
स्थानीय लोगों का उत्साह
गाँव वालों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं। वे मानते हैं कि यह खोज उनके क्षेत्र को विश्व-मानचित्र पर और खास बनाएगी। कई ग्रामीण तो इसे धार्मिक आस्था से भी जोड़कर देख रहे हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
भारत के पश्चिमी रेगिस्तानी इलाकों में लाखों साल पहले समुद्र था। भूगर्भीय हलचलों के कारण यह समुद्र सूख गया और यहाँ की मिट्टी ने उन जीवों और पेड़ों को अपने अंदर कैद कर लिया। यही वजह है कि आज जैसलमेर में हमें इतनी बड़ी संख्या में जीवाश्म मिलते हैं।
जैसलमेर और पर्यटन
Jaisalmer dinosaur fossil – इस खोज के बाद जैसलमेर का महत्व और बढ़ जाएगा।
शोधकर्ताओं के लिए – यहाँ का क्षेत्र एक ओपन लेबोरेटरी है।
पर्यटकों के लिए – अब केवल हवेलियाँ और किला ही नहीं, बल्कि डायनासोर जीवाश्म देखने की भी वजह होगी।
स्थानीय अर्थव्यवस्था – पर्यटन में बढ़ोत्तरी से रोजगार के नए अवसर बनेंगे।
विश्व पटल पर जैसलमेर की पहचान
Jaisalmer dinosaur fossil – जैसलमेर की ये खोजें भारत को वैश्विक पेलियॉन्टोलॉजी रिसर्च में खास जगह दिला रही हैं। यह साबित करता है कि राजस्थान केवल रेगिस्तान नहीं, बल्कि धरती के प्रीहिस्टोरिक आर्काइव्स का एक हिस्सा है।
निष्कर्ष
Jaisalmer dinosaur fossil – जैसलमेर में हाल ही में मिले जीवाश्म एक बार फिर यह सिद्ध करते हैं कि यह धरती कितनी प्राचीन रहस्यों से भरी हुई है। वैज्ञानिक इसे डायनासोर युग से जोड़कर देख रहे हैं और अगर यह पुष्टि होती है तो यह खोज भारत की जीवाश्म धरोहर को नई ऊँचाई पर पहुँचा देगी।
FAQs
प्रश्न 1: जैसलमेर में मिले जीवाश्म किस युग के हो सकते हैं?
उत्तर: ये जीवाश्म जुरासिक युग (लगभग 180 मिलियन वर्ष पहले) के माने जा रहे हैं।
प्रश्न 2: Tharosaurus indicus क्या है?
उत्तर: यह एक 167 मिलियन वर्ष पुराना पौधाहारी डायनासोर है, जिसकी खोज 2018 में जैसलमेर में हुई थी।
प्रश्न 3: जैसलमेर क्यों खास है जीवाश्म खोजों के लिए?
उत्तर: यहाँ की चट्टानें जुरासिक युग की हैं और पहले भी पेड़ व डायनासोर के जीवाश्म यहाँ से मिले हैं।
प्रश्न 4: क्या यह जीवाश्म निश्चित रूप से डायनासोर का है?
उत्तर: फिलहाल वैज्ञानिक जांच जारी है। कार्बन डेटिंग और अन्य परीक्षणों के बाद ही पुष्टि होगी।
प्रश्न 5: क्या इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा?
उत्तर: हाँ, इस खोज से जैसलमेर की वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्वता और बढ़ेगी, जिससे पर्यटन में वृद्धि होगी।
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