क्या महिलाएं ICU में भी सुरक्षित नहीं? राजस्थान के एक अस्पताल में 32 वर्षीय महिला के साथ हुए रेप की सच्चाई, समाज से जुड़े सवालों के साथ।
घटना की पृष्ठभूमि
यह दिल दहला देने वाली घटना राजस्थान के अलवर में एक निजी अस्पताल में 4 जून 2025 की रात हुई। एक 32 वर्षीय महिला, जो ICU में गंभीर हालत में भर्ती थी, उसके साथ उसी अस्पताल के दो कर्मचारियों ने बलात्कार किया।
परिजनों ने जब महिला के व्यवहार में बदलाव और शरीर पर संदिग्ध चोटों को देखा, तब उन्होंने CCTV फुटेज की मांग की। इसके बाद ही मामला उजागर हुआ और पुलिस को शिकायत दी गई।
कहानी का आरंभ
यह कहानी है एक आम महिला की, जो बीमारी से लड़ रही थी। उसे विश्वास था कि अस्पताल उसका इलाज करेगा, उसकी जान बचाएगा। लेकिन उसी अस्पताल में उसकी इज्जत और आत्मसम्मान को कुचला गया।
ICU की खामोशी और एक असहाय देह
ICU में जहां शांति और सुरक्षा होनी चाहिए, वहां उस रात इंसानियत को शर्मसार किया गया। महिला को नींद की दवाएं दी गई थीं, जिससे वह कुछ बोल या हिल-डुल नहीं सकी। इस अवस्था में दो अस्पताल कर्मचारियों ने उसके साथ बलात्कार किया।
परिवार को मिले संदिग्ध संकेत
जब महिला होश में आई, तो उसके चेहरे पर डर और शरीर पर दर्द के निशान थे। परिवार ने जब अस्पताल से सीसीटीवी फुटेज मांगा, तो सच्चाई सामने आई। वीडियो में दो कर्मचारी ICU में देर रात दाखिल होते और संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए गए।
कानूनी कार्रवाई और जांच
परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने IPC की धारा 376 (बलात्कार) और 354 (महिला की गरिमा का हनन) के तहत मुकदमा दर्ज किया। दोनों आरोपी गिरफ्तार किए गए। अस्पताल प्रशासन से जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
एफआईआर में दर्ज जानकारी के अनुसार
महिला को घटना से पहले एक नींद की दवा का इंजेक्शन दिया गया था। उस वक्त ICU बेड के चारों ओर पर्दे खींच दिए गए थे, जबकि उसके परिजन पास ही बाहर इंतज़ार कर रहे थे। बेहोशी की हालत में ही महिला ने कुछ नाम पुकारने शुरू किए, जिससे ICU स्टाफ को शक हुआ और उन्होंने तुरंत उसके पति को बुलाया। पीड़िता कुछ बताने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दवा के असर की वजह से उसकी बात साफ़ समझ में नहीं आ रही थी।
सहायक उप निरीक्षक महावीर सिंह ने बताया, “एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई है कि उसकी 32 वर्षीय पत्नी, जो ESIC मेडिकल कॉलेज की ICU में भर्ती थी, उसके साथ 4 जून की रात नर्सिंग स्टाफ ने दुष्कर्म किया। आरोपी ने पहले महिला के बेड के चारों ओर पर्दे लगा दिए और फिर उसे बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसका यौन शोषण किया। महिला अर्ध-चेतन अवस्था में थी और उसने विरोध करने की कोशिश की। जब वह अपने पति का नाम पुकारने लगी, तो ICU स्टाफ ने उसके पति को भीतर बुलाया। महिला ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन दवा के असर के कारण वह ठीक से बोल नहीं पा रही थी। अंत में वह फिर से सो गई।”
पीड़िता के पति ने सबसे पहले मेडिकल कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया था, लेकिन आरोप है कि वहां के अधिकारियों ने मामले को दबाने की कोशिश की। शिकायत के मुताबिक, आरोपी ने अधिकारियों के सामने माफी भी मांगी, इसके बावजूद तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब पीड़िता ने खुद अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) को पूरी घटना की जानकारी दी। ADM ने तुरंत पुलिस को जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए।
इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, महिला का मेडिकल परीक्षण कराया और उसका बयान भी रिकॉर्ड किया। अपने वीडियो बयान में पीड़िता ने बताया, “आरोपी ने पहले मुझे बेहोश करने वाला इंजेक्शन दिया और फिर मेरे साथ दुष्कर्म किया।”
अब पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और ICU में भर्ती अन्य मरीजों से भी पूछताछ की जा रही है।
संभावना है कि सोमवार को पीड़िता का मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 CrPC के तहत आधिकारिक बयान दर्ज किया जाएगा, जिसके बाद गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू होगी।
डॉ. असीम दास, जो ESIC मेडिकल कॉलेज के डीन हैं, ने कहा, “जैसे ही हमें घटना की जानकारी मिली, हमने तुरंत एक जांच समिति गठित की। यह समिति शनिवार तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
प्रशासन ने आरोपी सुभाष गथाला, जो सर्जिकल ICU में तैनात था, को सस्पेंड कर दिया है और इसकी जानकारी ESIC मुख्यालय को भी भेज दी गई है।
घटना की रात ICU के आठ में से सात बेड भरे हुए थे, जिनमें तीन महिला मरीज भी शामिल थीं।
समाज से जुड़े कठिन प्रश्न
यह घटना हमें कई गहरे सवालों से रूबरू कराती है:
क्या ICU जैसी जगहें भी अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहीं?
अस्पतालों में काम करने वालों की मानसिक स्थिति की जांच क्यों नहीं की जाती?
क्या हर ICU में 24 घंटे महिला सुरक्षा गार्ड अनिवार्य नहीं होनी चाहिए?
यह घटना सिर्फ एक महिला की नहीं, बल्कि पूरे समाज की असफलता को उजागर करती है।
अंतिम सोच: क्या महिलाएं ICU में भी सुरक्षित हैं?
जब एक महिला ICU में भी सुरक्षित महसूस न करे, तो सोचिए, समाज की हालत क्या है। अब समय आ गया है कि हम सिर्फ अपराध के बाद प्रतिक्रिया न करें, बल्कि पहले से ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं जिससे ऐसी घटनाएं न हों।
🧭 निष्कर्ष
यह कहानी एक पीड़िता की है, लेकिन यह हर उस महिला की आवाज़ है जो आज भी न्याय और सुरक्षा की उम्मीद में जी रही है। ज़रूरत है कि हम संवेदनशील बनें, सिस्टम को ज़िम्मेदार बनाएं, और महिलाओं को हक दें — जीने का, सुरक्षित रहने का।
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