नाग्यरेव हत्याकांड- हंगरी के नाग्यरेव गांव की सच्ची क्राइम स्टोरी, जहां 1911 से 1929 के बीच 50 से ज्यादा पतियों को उनकी पत्नियों ने आर्सेनिक जहर देकर मार डाला। इस सामूहिक हत्या के पीछे थी एक दाई – जोजसाना फाजकास। जानें कैसे बना यह गांव ‘कातिलों का शहर’।
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क्राइम स्टोरीज़ की दुनिया में कुछ घटनाएं इतनी रहस्यमयी और खौफनाक होती हैं कि वे हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो जाती हैं। यूरोप के हंगरी में एक छोटे से गांव नाग्यरेव (Nagyrév) की कहानी ऐसी ही एक सच्ची घटना है। यहां 1911 से 1929 के बीच 50 से ज्यादा पुरुषों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। खुलासा हुआ तो पता चला कि यह मौतें स्वाभाविक नहीं थीं, बल्कि अधिकांश पुरुषों को उनकी अपनी पत्नियों ने ही जहर देकर मार डाला था।
नाग्यरेव हत्याकांड- क्यों मारी गईं ये हत्याएं?
यह कहानी सिर्फ हत्या की नहीं है, बल्कि उस समय महिलाओं की मजबूरियों और सामाजिक अन्याय की भी गवाही देती है।
कुछ पत्नियां अपने पति की मारपीट और अत्याचार से परेशान थीं।
कई कम उम्र की लड़कियों की जबरन शादी बुजुर्ग पुरुषों से कर दी गई थी।
कुछ औरतें किसी और से प्रेम करती थीं, लेकिन पति उनके रास्ते की बाधा था।
ऐसे हालात में महिलाओं ने एक ही रास्ता चुना – अपने पतियों से छुटकारा पाने का। और इस काले रास्ते पर उन्हें एक महिला ने धकेला।
वो दाई..जिसने बनाया मौत का हथियार
जोजसाना फाजकास
गांव की दाई जोजसाना फाजकास (Józsefné Fazekas) इस पूरी कहानी की मुख्य किरदार थी। देखने में वह एक साधारण दाई थी, लेकिन उसकी असली पहचान कहीं ज्यादा खतरनाक थी।
गांव में डॉक्टर न होने के कारण लोग हर बीमारी और समस्या के लिए उसी पर निर्भर थे।
वह गर्भपात भी करती थी, जबकि उस समय यह पूरी तरह अवैध था।
महिलाएं अपनी निजी परेशानियां उससे साझा करती थीं।
जोजसाना ने उनकी समस्याओं का एक ही हल सुझाया – पति को जहर देकर खत्म कर दो।
उसे आधुनिक केमिकल्स और दवाओं की जानकारी थी। उसने आर्सेनिक जहर का इस्तेमाल करना शुरू किया। आर्सेनिक को किसी खाने या पीने की चीज़ में मिलाना आसान था और यह धीरे-धीरे मौत की वजह बनता था।
मौतों का खौफनाक सिलसिला
पत्नियों ने पतियों को जहर दिया
1911 से 1929 तक गांव में अचानक पुरुषों की मौतें बढ़ने लगीं।
आधिकारिक तौर पर 50 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं।
80 से ज्यादा मौतें संदिग्ध बताई गईं।
माना गया कि वास्तविक संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
जब पुलिस ने शव कब्र से निकलवाए, तो लगभग सभी के शरीर में आर्सेनिक जहर पाया गया।
मुकदमा और सजा
1929 में पुलिस की जांच ने इस रहस्य को उजागर कर दिया।
29 महिलाओं पर मुकदमा चला।
इनमें से 16 महिलाएं दोषी पाई गईं।
अदालत में बार-बार एक ही नाम गूंजा – जोजसाना फाजकास।
वह इस सामूहिक हत्या की मास्टरमाइंड थी। उसने महिलाओं को हथियार दिया और पूरे गांव को खून से रंग दिया।
नाग्यरेव बना ‘कातिलों का शहर’
Hungarian village Nagyrév murders
इतने बड़े पैमाने पर पुरुषों की हत्या के बाद हंगरी और यूरोप स्तब्ध रह गए। नाग्यरेव गांव को लोग “कातिलों का शहर” कहने लगे। यह गांव एक डरावनी मिसाल बन गया।
जब खेल खत्म हुआ
Nagyrev Mass Poisoning
19 जुलाई, 1929 को पुलिस जोजसाना को गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची। लेकिन पुलिस को देखते ही उसने समझ लिया कि उसका खेल खत्म हो चुका है। पुलिस की गिरफ्तारी से पहले ही उसने अपना ही बनाया आर्सेनिक जहर निगल लिया और मौके पर ही दम तोड़ दिया।
कारण और सबक
इतनी बड़ी सामूहिक हत्याओं के पीछे कई सामाजिक कारण थे:
पति का शारीरिक और मानसिक शोषण
जबरन और कम उम्र की शादियां
महिलाओं की बंदी जैसी जिंदगी
यह घटनाएं बताती हैं कि जब इंसान लगातार अत्याचार सहता है, तो वह खौफनाक कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है। जोजसाना ने इस गुस्से और दर्द को दिशा दी और पूरे गांव को अपराध में धकेल दिया।
निष्कर्ष
नाग्यरेव की यह सच्ची क्राइम स्टोरी इतिहास की उन डरावनी कहानियों में से एक है जिसने दुनिया को चौंका दिया। यह सिर्फ एक गांव का मामला नहीं था, बल्कि एक पूरा समाज इस जहर का शिकार हुआ।
जोजसाना फाजकास और नाग्यरेव का यह काला अध्याय हमेशा याद दिलाता है कि जहर सिर्फ शरीर को ही नहीं, पूरे समाज को भी तबाह कर सकता है।
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