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मेंढक और मेंढकी की शादी: असम की पारंपरिक वर्षा बुलाने वाली रहस्यमयी पूजा

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जानिए असम में क्यों करवाई जाती है मेंढक और मेंढकी की शादी! वर्षा के लिए होने वाली इस अनोखी रस्म की पूरी सच्चाई, परंपरा, वैज्ञानिक पक्ष और हाल की घटनाएं।

frog wedding india

frog wedding india – असम की अनोखी परंपरा |

प्रस्तावना: जब मेंढक शादी करते हैं

नमस्कार पाठकों!
मैं हूँ A.P.S JHALA और आज मैं आपको एक ऐसी परंपरा से रूबरू करवाने जा रहा हूँ जो पहली बार सुनने में मज़ाक लगेगी, लेकिन जब इसकी गहराई में जाएंगे, तो आपको भारतीय संस्कृति की जड़ों और प्रकृति प्रेम का अद्भुत संगम दिखेगा।

क्या आप जानते हैं कि भारत के असम राज्य में आज भी बाकायदा वैदिक मंत्रों और रीति-रिवाजों के साथ मेंढक और मेंढकी की शादी करवाई जाती है?

क्या आपने कभी सोचा है कि एक मेंढकी भी दुल्हन की तरह तैयार होती है?

जी हाँ, असम और भारत के कई हिस्सों में जब बारिश नहीं होती, तो मेंढक और मेंढकी की बाकायदा शादी करवाई जाती है – और ये शादी मज़ाक नहीं, बल्कि पूरी धार्मिक और सांस्कृतिक रस्मों के साथ होती है।

यह परंपरा क्यों निभाई जाती है?

frog wedding india : असम एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ की अधिकतर फसलें वर्षा पर निर्भर हैं।
जब समय से बारिश नहीं होती या मानसून देरी से आता है, तो गांव के लोग मेंढकों की शादी करवाते हैं। लोक मान्यता है कि:

“जब मेंढक टर्राते हैं, तो इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और वर्षा करते हैं।”

भारत एक उष्णकटिबंधीय कृषि प्रधान देश है। यहां की ज़्यादातर खेती बारिश पर ही निर्भर करती है। खासकर जब दक्षिण-पश्चिम मानसून समय पर ना आए, तो पानी की भारी किल्लत हो जाती है, जिससे फसलें बर्बाद होने लगती हैं।

हर साल महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में सूखे की मार पड़ती है। खेती से जुड़े करोड़ों लोग इससे प्रभावित होते हैं।

जब आसमान चुप हो जाए, तो मेंढक बोलते हैं

frog wedding india ; इतनी बड़ी आबादी जब बारिश के लिए तरसती है, तो इंसान प्रकृति से संवाद करने की कोशिश करता है – और वहीं से जन्म लेती है मेंढक की शादी जैसी परंपराएं।

यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि इंद्रदेव को मनाने का लोक तरीका है। माना जाता है कि मेंढक की टर्राहट बारिश बुलाती है, और जब शादी करवाई जाती है, तो इंद्रदेव प्रसन्न होकर बादल भेजते हैं।

और इस मान्यता को लेकर लोग आज भी पूरी श्रद्धा से मेंढकों की शादी करवाते हैं, नाचते हैं, गीत गाते हैं, और यह आयोजन किसी त्योहार से कम नहीं होता।

परंपरा का इतिहास

frog wedding india : असम में यह परंपरा सदियों पुरानी है।
‘बरसुन’ नाम की यह रस्म कई जनजातीय समुदायों में पीढ़ियों से चली आ रही है। पहले यह जंगलों के किनारे, नदी किनारे हुआ करती थी, अब गांवों और कस्बों में बाकायदा सामूहिक आयोजन बनने लगे हैं।

इस परंपरा की जड़ें प्रकृति पूजा और जल देवताओं की आराधना से जुड़ी हैं।

2024 की ताजा घटना: असम के नागांव में मेंढकों की शादी

frog wedding india :

तारीख: 19 जून 2024
स्थान: नागांव जिला, असम

बारिश की भारी कमी से जूझते इस क्षेत्र में किसानों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि मेंढक और मेंढकी की शादी करवाई जाए। यह आयोजन एक मंदिर प्रांगण में हुआ।

कैसे हुआ आयोजन:

एक स्वस्थ मेंढक और मेंढकी को पकड़ा गया।

उन्हें हल्दी, चंदन, फूलों और रिबन से सजाया गया।

पुजारी ने बाकायदा वेद मंत्रों के साथ शादी की विधि करवाई।

गांववालों ने बारात निकाली, ढोल बजाए, गीत गाए।

शादी के बाद ‘पकोड़ा भोज’ भी हुआ।

और क्या आप जानते हैं?

 अगले ही दिन जोरदार बारिश हुई!
जिसे गांववालों ने इंद्रदेव की कृपा माना।

frog wedding india :वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण

अब ज़रा इस परंपरा को तथ्यों और तर्कों की नज़र से भी देखें:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

1. Frogs as Indicators: मेंढक वातावरण में नमी और जलवायु परिवर्तन का संकेत देते हैं। उनका टर्राना मानसून के आगमन की ओर इशारा करता है।

2. Psychological Effect: यह आयोजन समाज में आशा और एकता का संचार करता है। जब किसान हताश होते हैं, तो यह रस्म उन्हें सकारात्मक ऊर्जा देती है।

सामाजिक दृष्टिकोण:

ये आयोजन पूरे गांव को जोड़ता है।

बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक सब इसमें भाग लेते हैं।

यह एक सांस्कृतिक उत्सव बन जाता है जो परंपरा को जीवित रखता है।

मेंढक और मेंढकी की शादी की पूरी प्रक्रिया

1. चयन:

दो स्वस्थ मेंढक और मेंढकी को पकड़ कर रखा जाता है। ग्रामीण मानते हैं कि जोड़े में सामंजस्य होना चाहिए।

2. सजावट:

दुल्हे और दुल्हन के जैसे मेंढक और मेंढकी को सजाया जाता है:

हल्दी, कुमकुम, चंदन

सिर पर फूलों की माला

रंग-बिरंगे धागे

क्या आपने कभी सोचा है कि एक मेंढकी भी दुल्हन की तरह तैयार होती है?

पहला चरण: मेंढकी का स्नान और श्रृंगार

frog wedding india : सबसे पहले मेंढकी को बड़े प्यार और सहेज कर पकड़ा जाता है। उसे किसी देवी की तरह बैठाया जाता है – और फिर उसके शरीर पर सरसों या नारियल का तेल लगाया जाता है। यह ठीक वैसा ही होता है जैसे किसी इंसानी दुल्हन की शादी से पहले ‘हल्दी’ की रस्म की जाती है।

तेल लगाने के बाद उसे थोड़ी देर के लिए आराम करने दिया जाता है ताकि तेल उसके शरीर में समा जाए। फिर उसे स्वच्छ पानी से स्नान कराया जाता है।

ये स्नान केवल शारीरिक सफाई के लिए नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है – जिसमें माना जाता है कि अब मेंढकी विवाह के लिए शुद्ध और तैयार हो चुकी है।


दुल्हन की तरह सजाई जाती है मेंढकी

frog wedding india : मेंढकी को सूखने के बाद, गांव की महिलाएं उसे:

फूलों की माला पहनाती हैं,

उसके माथे पर कुमकुम और चंदन लगाती हैं,

रंगीन धागे या रिबन से सजाती हैं।

कई बार तो उसके ऊपर लाल चुनरी भी डाली जाती है – जिससे वह बिल्कुल किसी गांव की भोली-भाली दुल्हन जैसी लगती है।

3. बारात:

एक जुलूस की तरह मेंढक को ले जाया जाता है। महिलाएं गीत गाती हैं, बच्चे नाचते हैं।

4. मंत्रोच्चार और विवाह:

पुजारी शादी करवाते हैं। बाकायदा फेरे, सिंदूर, और आशीर्वाद की रस्में होती हैं।

5. विदाई:

शादी के बाद दोनों मेंढकों को तालाब में छोड़ दिया जाता है – यह इस रस्म का सबसे पवित्र क्षण माना जाता है

क्या आपने ये देखा है?

“एक जीव की शादी, इंसानों की खुशी के लिए… ये सिर्फ भारत में ही संभव है।”

बहुत से लोग इसे मज़ाक समझते हैं, लेकिन अगर आप असम के किसी गांव में जाकर इसे अपने आँखों से देखें, तो समझ पाएंगे कि ये सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, आशा और प्रकृति प्रेम की मिसाल है।

जब बारिश ज़रूरत से ज़्यादा हो जाए, तो मेंढक का तलाक भी होता है!

frog wedding india : जैसे मेंढकों की शादी से इंद्रदेव को खुश करके बारिश बुलाई जाती है, वैसे ही अगर बारिश हद से ज़्यादा होने लगे – और खेत, सड़कें, गांव डूबने लगें – तो गांववाले वही मेंढक जोड़े को तलाक दिलवाते हैं!

ये परंपरा भी सच्ची है!

कुछ जगहों पर मान्यता है कि शादी से जैसे वर्षा आती है, वैसे ही तलाक से वर्षा रुकती है। इसलिए कुछ गांवों में मेंढकों को फिर से पकड़कर, विधिवत तरीके से उनका अलगाव करवाया जाता है।

“जब ज़रूरत हो तो शादी, और जब ज़्यादा हो जाए तो तलाक!”
– यही है भारत की लोक परंपराओं की मज़ेदार सच्चाई।

भारत के अन्य हिस्सों में भी होती है यह परंपरा

राज्य नाम / परंपरा का रूप विशेषता

-कर्नाटक वरुण पूजा में मेंढक विवाह मंदिरों में होता है
-महाराष्ट्र मेंढक लग्न बच्चों की भागीदारी
-उड़ीसा जंगलों में सामूहिक पूजा आदिवासी समुदाय निभाते हैं
-तमिलनाडु स्थानीय देवी के साथ पारंपरिक गीतों के साथ

देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग नामों से जाना जाता है:

असम में: भेकुलिर बिया (भेकुली = मेंढक, बिया = शादी)

दक्षिण भारत में: मांडूका परिणय

त्रिपुरा में: बांगर बायें (बंग = मेंढक, बाये = शादी)

मीडिया में सुर्खियां

मेंढकों का तलाक : Times of India, NDTV, ANI जैसी मीडिया एजेंसियों ने इस परंपरा को “India’s cutest monsoon ritual” कहा है।

Social media पर ऐसे वीडियो वायरल होते हैं जिसमें मेंढक फूलों की माला में लिपटे होते हैं।

क्या यह रूढ़िवाद है?

कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं।
लेकिन मेरा मानना है कि – अगर एक परंपरा किसी को हिंसा पहुंचाए बिना, सिर्फ प्रकृति से जुड़ाव और सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है, तो वह एक लोक-आस्था है, अंधविश्वास नहीं।

लेखक का संदेश – frog wedding india

मैंने जब पहली बार मेंढक विवाह के बारे में सुना, तो हंसी आई। लेकिन जब असम के ग्रामीणों की आंखों में भरोसा और श्रद्धा देखी, तो एहसास हुआ – हमारे देश की आत्मा परंपराओं में बसती है।

“एक मेंढक की टर्राहट अगर किसी किसान को उम्मीद दे, तो वह टर्राहट किसी मंत्र से कम नहीं।”

मेंढक और मेंढकी की शादी एक सांस्कृतिक परंपरा है।

इसका उद्देश्य सिर्फ वर्षा लाना नहीं, बल्कि समुदाय को जोड़ना और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाना भी है।

यह परंपरा आधुनिकता के दौर में भी लोकप्रिय और प्रभावी बनी हुई है।

क्या आपके गांव में भी होती है मेंढक की शादी?

अगर हाँ, तो कमेंट में जरूर बताइए। और अगर नहीं, तो एक दिन असम ज़रूर जाइए – बारिश को बुलाने वाले मेंढकों की शादी देखने।

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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