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Dyatlov Pass –1959 की एक सच्ची डरावनी कहानी जिसे आज तक कोई नहीं सुलझा पाया।

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रूस के बर्फीले पहाड़ों में 1959 में डायटलोव ट्रेकिंग ग्रुप की रहस्यमयी मौतों ने पूरी दुनिया को हिला दिया। जानिए Dyatlov Pass की सच्ची घटना की पहली कड़ी – एक ऐसी यात्रा जो डर, रहस्य और मौत में बदल गई।

Dyatlov Pass

 शुरुआत – एक महत्वाकांक्षी अभियान Dyatlov Pass :-

साल 1959, जनवरी की जमा देने वाली सर्दी।

Dyatlov Pass

सोवियत संघ (आज का रूस) के Ural Polytechnic Institute के नौ अनुभवी युवा ट्रेकर्स एक कठिन मिशन पर निकलने की तैयारी कर रहे थे। इस मिशन का उद्देश्य था — Ural Mountains की Otorten चोटी पर चढ़ाई, जो उस समय के हिसाब से सबसे मुश्किल रूट्स में से एक मानी जाती थी।

इगोर डायटलोव 23                    Radio Engineering
ज़िना कोलोमोगोरोवा 22             Radio Engineering
यूरी डोरोशेंको 21                      Radio Engineering
रूस्तेम स्लोबोडिन 23       Engineering Technology 
 निकोलाई थिबॉ-ब्रिनोल 23         Civil Engineering
ल्यूडमिला दुबिनिना 20               Engineering and  Economics
अलेक्जेंडर कोलेवाटोव 24          रेडियो एक्सपर्ट
यूरी क्रिवोनिशेंको 24                  Construction and Hydraulics           
सेम्योन ज़ोलोटार्योव 38              Physical Education

Dyatlov Pass की यात्रा की शुरुआत :-

Dyatlov Pass

27 जनवरी 1959 को उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की।

हंसी, उमंग और देशभक्ति से भरे ये युवा अपने आखिरी गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे। रास्ते में उन्होंने गाँवों में रातें बिताईं, डायरी में सब दर्ज किया, और तस्वीरें लीं।

लेकिन 28 जनवरी को टीम का एक सदस्य यूरी युडिन बीमार हो गया और Dyatlov Pass से वापस लौट आया। आज भी वो खुद को “भाग्यशाली अभिशप्त” कहता है, क्योंकि उसकी वापसी ने उसकी जान बचा ली

आखिरी पड़ाव – 1 फरवरी की रात :-

Dyatlov Pass

टीम ने Kholat Syakhl (स्थानीय भाषा में “मौत का पहाड़”) की ढलान पर अपना कैंप लगाया।हवा बहुत तेज़ थी, तापमान -30°C के करीब था, और बर्फ़ लगातार गिर रही थी।

लेकिन फिर…2 फरवरी से कोई संपर्क नहीं हुआ।जब 12 फरवरी को भी कोई खबर नहीं आई, तो परिवारों ने Dyatlov Pass के खोज अभियान की मांग की। खोजी दल जब 26 फरवरी को कैंप पर पहुँचा, तो एक ऐसा दृश्य देखा, जो किसी डरावने सपने जैसा था।वो टेंट – जो कभी सुरक्षा था, अब रहस्य बन गया।टेंट अंदर से काटा गया था, जैसे लोग बाहर से नहीं बल्कि अंदर से ही भागे हों ।सारे जूते, कपड़े, खाने-पीने का सामान वहीं थे ।तापमान -30°C और लोग बिना जूते, बिना जैकेट टेंट से बाहर भागे! बची हुई तस्वीरें – सच्चाई की झलक?

Dyatlov Pass कि टीम के कैमरों में आखिरी कुछ तस्वीरें थीं:

मुस्कुराते हुए चेहरे गहराते

Dyatlov Pass

बादल और एक अंतिम अनजानी, ब्लर फोटो – जो कुछ “प्रकाश” या “आकार” जैसा दिखता है…

जब बचाव दल ने बर्फ के बीच दबे टेंट और शवों की खोज की, तब तक Dyatlov Pass पर मौसम बेहद खराब हो चुका था। लेकिन जो मिला… उसने सभी को सन्न कर दिया।

फटा हुआ टेंट – डर से भागे या किसी से बचने की कोशिश? टेंट अंदर से फटा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने जान बचाने के लिए उसे अंदर से काटा हो। सभी 9 यात्रियों का सामान, जूते और जैकेट अंदर ही थे — फिर वे -30 डिग्री की ठंड में नंगे पांव बाहर क्यों भागे?

Dyatlov Pass

क्या टेंट के बाहर कुछ ऐसा था… जो इंसान नहीं था?

पहले पांच शव – मौत की पहली परत

बचाव दल को सबसे पहले  Dyatlov Pass में जो शव मिले, वे थे:

Yuri Doroshenko  (21वर्ष)– वह एक पेड़ के नीचे मृत पाया गया, बर्फ में चेहरा नीचे।शरीर पर कोई जैकेट नहीं, बस अंडरवियर और पतली शर्ट।उसके हाथों की त्वचा जली हुई थी — मानो आग जलाने की कोशिश में जल गया हो।चेहरा नीला और सूजा हुआ, बाल बर्फ में जमे हुए थे।शरीर पर काटने के निशान — जैसे उसने किसी से लड़ाई की हो। विशेष बात: आग जलाने के बावजूद वह ठंड से मरा। लेकिन जलने के निशान ये बताते हैं कि वो कुछ छिपाने की कोशिश में था… या कुछ से लड़ रहा था।

Yuri Krivonischenko (23 वर्ष) – Doroshenko के पास ही मिला:-

Dyatlov Pass

उसके पैर और हाथ बर्फ में काले पड़ चुके थे।सबसे डरावनी बात — उसके दाएँ हाथ की एक उंगली आधी कटी हुई थी, और मुँह में खून। क्या वो इतना डर गया था कि अपनी उंगली चबाने लगा? या फिर… कुछ ऐसा देख लिया जो इंसानी दिमाग झेल नहीं सका?

Igor Dyatlov (23 वर्ष) – रहस्यमयी संघर्ष के निशानटीम का लीडर था, पर उसकी हालत बताती है कि वो खुद भी असहाय था।बर्फ में उल्टा पड़ा मिला, मुट्ठियाँ भींची हुई — जैसे अंतिम साँस तक लड़ाई की हो।शरीर पर कोई बड़ी चोट नहीं, लेकिन छोटे खरोंचों और bruises से भरा।क्या वह किसी को बचा रहा था? या किसी अदृश्य शक्ति से लड़ रहा था?
Zina Kolmogorova (22 वर्ष) 

मौत से भागती हुईवह अपने टेंट से 630 मीटर दूर पाई गई। उसकी नाक टूटी हुई थी, चेहरे और हाथों पर गहरे खरोंच।शरीर का पोशाक बेतरतीब — मानो जल्दी में कुछ भी पहनकर भागी हो।क्या वो भागते समय किसी से लड़ रही थी? या ठोकरें खाकर गिरी?चोटें ये नहीं बतातीं कि वह गिरकर मरी — कुछ ने हमला किया था।

Rustem Slobodin (23 वर्ष) – अनकहे संघर्ष की कहानीउसके सिर पर 7 इंच का फ्रैक्चर था — लेकिन बाहर से कोई घाव नहीं।शरीर वापस टेंट की ओर मुड़ा था — क्या वह मदद लाने जा रहा था?एक पैर में हल्का फ्रॉस्टबाइट, बाकी शरीर में सामान्य ठंड से मृत्यु।इतनी बड़ी चोट कैसे लगी अगर हमला नहीं हुआ था?

Dyatlov Pass में 2 महीने बाद मिले चार और शव – मौत की दूसरी परत
ये चारों गहरी बर्फ में 4 मीटर नीचे दबी हुई एक खाई में मिले। लेकिन इनकी मौतें कहीं ज़्यादा डरावनी थीं..

Lyudmila Dubinina (20 वर्ष) – चीखती हुई मौतशरीर के रिब्स टूटे हुए, दिल और फेफड़े कुचले हुए, लेकिन बाहर कोई खून नहीं।जीभ, आँखें, होंठ गायब थे।चेहरा पूरी तरह काला और सूजा हुआ – पहचानना मुश्किल।शरीर के कपड़े रेडिएशन से प्रभावित पाए गए।क्या वह ज़िंदा थी जब उसकी जीभ निकाली गई?क्या उसकी चीखें उस बर्फीले जंगल में गूंजती रहीं?
Semyon Zolotaryov (38 वर्ष) – कैमरे वाला रहस्यसबसे ताकतवर पुरुष, पर शरीर की हालत बुरी थी। 5 ribs टूटे, आँखें गायब।एक हाथ में कैमरा — जो उसने मरने से पहले भी छोड़ना नहीं चाहा।उसके कपड़ों पर भी रेडिएशन था।

Alexander Kolevatov (24 वर्ष) – अंदरूनी अंग पिघल चुके थे ।चेहरा पिघला हुआ सा, बाल बिखरे।गर्दन टेढ़ी और पीठ पर ज़ख्म।उसके शरीर से भी रेडिएशन निकला।रेडिएशन इतना क्यों था? क्या ये कोई सैनिक परीक्षण था? या कोई परालौकिक तत्व?
Nikolai Thibeaux-Brignolle (23 वर्ष) – सिर की चट्टानी चोटसिर पर जबरदस्त वार — मानो चट्टान से टकराया हो, लेकिन कोई स्किन कट नहीं।दिमागी रक्तस्राव से मौत।इतनी गहरी चोट कैसे हुई? जब आसपास कोई ऐसा हथियार या ऊँचाई नहीं थी?
इन मौतों की समान बातें:ज्यादातर के शरीर पर कोई बाहरी घाव नहीं, लेकिन अंदरूनी चोटें भयानक।कई के कपड़ों पर रेडिएशन, जो कहीं और से आया था।कुछ के शरीर के हिस्से गायब थे – पर खून का कोई निशान नहीं।

एक्सपर्ट्स ने कहा — इतनी ताकत की चोट किसी कार एक्सीडेंट या ब्लास्ट में ही होती है।

Dyatlov Pass में रेडिएशन और रहस्य

जांच में पाया गया कि कुछ शवों के कपड़ों पर असामान्य रेडिएशन था।

Dyatlov Pass के कुछ सवाल, जिनके जवाब आज भी नहीं हैं:

1. इतनी सर्दी में उन्होंने टेंट क्यों छोड़ा?2. बिना कपड़ों के बाहर क्यों भागे?3. शरीर के हिस्से गायब क्यों थे?4. रेडिएशन कहां से आया?5. किसी की आँखें और जीभ कैसे गायब हुई?

साजिश या परालौकिक शक्ति?

समय के साथ इस घटना पर कई थ्योरीज़ बनीं: सैन्य परीक्षण की असफलता? एलियन या सुपरनैचुरल शक्ति?यति का हमला?परस्पर लड़ाई?लेकिन कोई भी थ्योरी हर सवाल का जवाब नहीं दे पाई।

Dyatlov Pass की सरकारी रिपोर्ट और चुप्पी1959 की आधिकारिक रिपोर्ट ने सिर्फ इतना कहा:”उनकी मौत एक अज्ञात, जबरदस्त ताकत के कारण हुई जो वे नियंत्रित नहीं कर पाए।”इसके बाद जांच को बंद कर दिया गया और Dyatlov Pass को दशकों तक एक “संवेदनशील क्षेत्र” बना दिया गया।

9 आत्माएं, अनसुलझा रहस्य

आज भी Dyatlov Pass पर बर्फ बहती है… और वो सन्नाटा, वो डर, हवा में गूंजता है। कोई नहीं जानता उस रात वहाँ क्या हुआ… लेकिन जो हुआ, उसने इतिहास को एक डरावना मोड़ दे दिया।
निष्कर्ष – मौत आई थी चुपचाप, मगर अकल्पनीय रूप मेंयह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी — ये ऐसा रहस्य है जो आज तक जिंदा है।हर शरीर जैसे किसी अदृश्य शक्ति से लड़ा हो।
क्या आप वहां जाने की हिम्मत करेंगे…?

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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