देवघर बस हादसा – देवघर के मोहनपुर में बस और गैस सिलेंडर ट्रक की टक्कर में 18 कांवरियों की मौत और 23 घायल। सावन की भक्ति के बीच यह हादसा क्यों और कैसे हुआ? जानिए पूरी कहानी।
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एक श्रद्धा से भरी यात्रा और फिर एक खौफनाक मंजर…देवघर बस हादसा
सावन का महीना… कांवर यात्रा… भोलेनाथ की भक्ति… और फिर अचानक चीख-पुकार, खून से लथपथ सड़क और बिखरे हुए बैग, चप्पलें और कांवर।
देवघर (झारखंड) के मोहनपुर में जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
18 कांवरियों की जान चली गई।
23 घायल हो गए।
और सैकड़ों परिवारों की सावन भक्ति एक पल में मातम में बदल गई।
हादसा कब और कहां हुआ?
बिहार झारखंड दुर्घटना
यह दर्दनाक सड़क हादसा मंगलवार सुबह बिहार-झारखंड की सीमा पर देवघर जिले के मोहनपुर प्रखंड के जमुनिया चौक के पास हुआ।
बस में लगभग 50 कांवरिए सवार थे, जो बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर बासुकीनाथ धाम की ओर लौट रहे थे।
कैसे हुआ हादसा? जानिए पल-पल की कहानी
बस जैसे ही नवापुर मोड़ के पास पहुंची, ड्राइवर को झपकी आ गई।
सामने से आ रहे गैस सिलेंडर लदे ट्रक से जोरदार टक्कर हो गई।
ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई।
फिर बेकाबू बस लगभग 500 मीटर तक दौड़ती रही और जमुनिया चौक के पास सड़क किनारे रखी ईंटों से जा टकराई।
इस दोहरे टक्कर से बस का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। कांवरियों के शरीर सड़क पर गिर पड़े। चीखें गूंजने लगीं। कांवरियों की मौत हो गई।
घायलों की हालत और राहत कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही मोहनपुर थाना पुलिस, सीसीआर डीएसपी लक्ष्मण प्रसाद, एसडीओ रवि कुमार, और जिला परिषद अध्यक्ष किरण कुमारी तुरंत मौके पर पहुंचे।
सभी घायलों को देवघर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी है।
कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनमें से कुछ को रांची रेफर किया जा सकता है।
चश्मदीदों ने क्या बताया?
स्थानीय निवासी रामानुज यादव ने कहा—
“बस में लगभग सभी लोग पूजा करके लौट रहे थे… ड्राइवर को शायद नींद आ गई थी, तभी ये सब हुआ…”
एक अन्य ग्रामीण ने कहा—
“हमने ऐसी चीखें पहले कभी नहीं सुनीं… बस का हाल देख कर ही सब समझ में आ गया…”
कौन थे कांवरिए? कहां से आए थे?
देवघर बस हादसा – हादसे में मारे गए और घायल सभी श्रद्धालु बिहार के अलग-अलग जिलों से आए थे, जिनमें खासकर भागलपुर, मुंगेर, और लखीसराय के लोग शामिल हैं।
ये सभी श्रद्धालु हर साल की तरह बाबा बैद्यनाथ का दर्शन करने आए थे और भक्ति भाव से लौट रहे थे।
सावन की भक्ति में ऐसा मातम क्यों?
सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। कांवर यात्रा देश की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है।
लेकिन हर साल इस यात्रा के दौरान सड़क हादसों की खबरें आती रहती हैं।
क्या कारण हैं?
नींद की वजह से वाहन चालक का नियंत्रण खो देना
ओवरलोडिंग
सड़क की खराब स्थिति
ट्रैफिक नियमों की अनदेखी
सरकार की प्रतिक्रिया
झारखंड सरकार ने हादसे पर दुख जताया है और घायलों के इलाज के लिए सभी जरूरी निर्देश जारी किए हैं।
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का ऐलान किया है।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
हर साल कांवर यात्रा के दौरान इस तरह के हादसे कहीं न कहीं होते हैं।
अगर समय पर ड्राइवर को आराम मिलता, सुरक्षा इंतजाम होते, या दो ड्राइवरों की व्यवस्था होती — तो शायद 18 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
हादसे से सीख: यात्रियों और प्रशासन के लिए जरूरी चेतावनी
लंबी दूरी की बस यात्राओं में दो ड्राइवर अनिवार्य हों
बसों की नियमित फिटनेस जांच की जाए
ट्रैफिक पुलिस द्वारा रूट पर निगरानी बढ़ाई जाए
कांवरियों को सुरक्षित यात्रा मार्ग और प्रशिक्षण मिले
हेल्पलाइन नंबर और इमरजेंसी मेडिकल टीमें हर कुछ किलोमीटर पर रहें
समाप्ति: एक नींद, एक चूक और उजड़ गए घर
ये हादसा हमें यह सिखाता है कि भक्ति के साथ-साथ सतर्कता भी जरूरी है।
एक पल की नींद ने 18 जिंदगियों को लील लिया।
सावन का यह दिन, जो कभी भक्ति से जुड़ा था, अब दर्द और आंसुओं की याद बनकर रह गया।
Kahani Nights ऐसे ही सामाजिक, धार्मिक और मानवीय घटनाओं को आपके सामने लाता है, ताकि हम मिलकर एक सुरक्षित और जागरूक समाज बना सकें।
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