Agbogbloshie, Ghana में बसे दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक कचरे के ढेर की सच्चाई, वहाँ रहने वाले लोगों का जीवन और इस संकट का वैश्विक असर।

जब हम पुराने कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी को कबाड़ी को देते हैं, तो शायद हम नहीं सोचते कि वह आखिरकार कहाँ जाता है। दुनिया भर से फेंका गया यही इलेक्ट्रॉनिक कचरा जब अफ्रीका के एक कोने, Agbogbloshie, Ghana में जमा होता है, तो यह केवल एक डंपिंग ग्राउंड नहीं रहता – यह बन जाता है जहरीली गैसों, बीमारियों और टूटते सपनों का मैदान।
Agbogbloshie को दुनिया का सबसे बड़ा ई-वेस्ट डंप माना जाता है, जहाँ पर हजारों लोग इस ज़हरीले माहौल में अपना जीवन जीने को मजबूर हैं। इस लेख में हम जानेंगे इस क्षेत्र की भयावह स्थिति, वहाँ के लोगों का जीवन, उनके संघर्ष, स्वास्थ्य पर असर और इस संकट का वैश्विक पहलू।
Agbogbloshie: कहाँ है और क्यों चर्चा में है?
Agbogbloshie, घाना की राजधानी अकरा (Accra) के पास स्थित है। यह एक समय में एक हरा-भरा इलाका था, लेकिन आज यह दुनिया के सबसे जहरीले इलाकों में गिना जाता है। यहाँ हर साल लगभग 2,00,000 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा फेंका जाता है – अधिकतर अमेरिका, यूरोप और एशिया से।
यह कचरा सेकंड हैंड डिवाइसेज़ के नाम पर कानूनी या अवैध रूप से यहां पहुँचता है, लेकिन वास्तव में यह पूरी तरह से बेकार हो चुका इलेक्ट्रॉनिक सामान होता है, जिसे तोड़कर तांबा, एल्युमिनियम जैसी धातुएं निकाली जाती हैं।

2022 में दुनिया भर में कुल 62 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल कचरा – जिसे “ई-वेस्ट” कहा जाता है – उत्पन्न हुआ। यह आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की नवीनतम ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर रिपोर्ट से सामने आया है। फेंके जा रहे स्मार्टफोन, स्मार्ट वॉच, फ्लैट स्क्रीन, कंप्यूटर और टैबलेट की संख्या लगातार बढ़ रही है, और 2010 की तुलना में इसमें 82% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
Agbogbloshie :ई-वेस्ट आज दुनिया में सबसे बड़े कचरे के स्रोतों में से एक बन चुका है। यह सबसे कीमती कचरा भी है, क्योंकि इसमें सोना, चांदी, और प्लैटिनम ग्रुप मेटल्स जैसी बहुमूल्य धातुएं मौजूद होती हैं। बावजूद इसके, साल 2022 में केवल 22.3% ई-वेस्ट ही आधिकारिक रूप से एकत्र और रीसायकल किया गया।

यह आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ हमें इसके पर्यावरणीय प्रभाव और जिम्मेदार निपटान के प्रति भी सजग होना होगा।
यूरोप और अमेरिका से निकलने वाला ई-वेस्ट, जो पहले एशिया भेजा जाता था, अब अंतरराष्ट्रीय संधियों के उल्लंघन के बावजूद पश्चिम अफ्रीका के बंदरगाहों पर भारी मात्रा में पहुँच रहा है।
Agbogbloshie : घाना में यह स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है, जहाँ 2021 के जुलाई में विशाल अगबोगब्लोशी (Agbogbloshie) स्क्रैपयार्ड के बंद होने के बाद, गैर-आधिकारिक खुले कचरा स्थल तेजी से फैलते जा रहे हैं। ये कचरे के स्थल अब लोगों के घरों के और भी नजदीक आ गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गहरा असर पड़ रहा है।

हर साल लगभग 50 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, यानी ई-कचरा, फेंका जाता है। अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। लेकिन केवल 20% ई-कचरा ही सही तरीके से रीसायकल किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, शेष कचरा या तो लैंडफिल में दबा दिया जाता है, या फिर उसे गैर-आधिकारिक श्रमिकों द्वारा बेहद खराब परिस्थितियों में निपटाया जाता है।
Agbogbloshie : यह केवल ई-कचरे का संकट नहीं है, बल्कि यह वैश्विक असमानता और पर्यावरणीय न्याय का भी गंभीर मुद्दा है।
घाना में, टेमा बंदरगाह के ज़रिए, जो पूर्व में अगबोगब्लोशी डंप साइट से लगभग 20 मील दूर स्थित है, बड़ी मात्रा में ई-कचरा पहुँचता है। हर साल पश्चिमी यूरोप और अमेरिका से सैकड़ों हजारों टन पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विशाल कंटेनरों में यहाँ लाए जाते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इन उपकरणों को अक्सर सेकंड-हैंड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के रूप में दर्ज किया जाता है, जिससे इन्हें आधिकारिक तौर पर कचरा नहीं माना जाता। लेकिन इनसे होने वाला पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव बेहद हानिकारक होता है।

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वहाँ के लोगों का जीवन कैसा है?
1. ज़हर में पलती ज़िंदगियाँ
Agbogbloshie के आसपास लगभग 80,000 से ज्यादा लोग रहते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या बच्चों और किशोरों की है। ये लोग दिनभर कंप्यूटर, टीवी, मोबाइल, और इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड्स को जलाते हैं ताकि उनसे तांबा और दूसरी कीमती धातुएं निकाली जा सकें।
धुएं और जलते प्लास्टिक की बदबू से भरे वातावरण में सांस लेना तक मुश्किल होता है। कई लोगों को सांस की बीमारी, आंखों में जलन, सिरदर्द, और त्वचा रोग हो चुके हैं।
2. बचपन का अंत
10–16 साल के बच्चे स्कूल जाने की उम्र में यहाँ दिनभर आग और धुएं के बीच काम करते हैं। इन बच्चों का बचपन शिक्षा और खेल की बजाय बीमारियों और भूख से भरा होता है।
3. महिलाएं और परिवार
यहाँ की महिलाएं घर चलाने के लिए प्लास्टिक और तारों की छंटाई करती हैं। कई बार गर्भवती महिलाएं भी इन जहरीले तत्वों के संपर्क में आती हैं, जिससे नवजात बच्चों में विकृति और मानसिक रोग हो जाते हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव
बीमारी का प्रकार कारण
Agbogbloshie :सांस की बीमारियाँ जहरीला धुआं और जलते प्लास्टिक की गैसें
त्वचा रोग जहरीले रसायनों के संपर्क से
मस्तिष्क विकास में कमी लेड, मरकरी और कैडमियम जैसे तत्वों से
बच्चों में जन्म दोष गर्भवती महिलाओं की विषैली हवा से
आंखों की जलन और दर्द निरंतर धुएं में काम करना
इन श्रमिकों में जलन, पीठ दर्द, और संक्रमित घाव जैसी समस्याएं आम हैं, साथ ही उन्हें सांस की दिक्कतें, लगातार मतली, और कमजोर कर देने वाले सिरदर्द भी होते हैं — जो कि खतरनाक कार्य परिस्थितियों और विषैली वायु प्रदूषण के कारण होते हैं।

पर्यावरणीय संकट
Agbogbloshie न केवल लोगों को बल्कि पूरे इकोसिस्टम को प्रभावित कर रहा है:
पास की ओडो नदी में जहरीले रसायन मिल चुके हैं।
ज़मीन बंजर और काली हो चुकी है – खेती लायक नहीं।
हवा में PM2.5 और PM10 की मात्रा खतरनाक स्तर पर है।
जानवरों और पक्षियों की संख्या में गिरावट आई है।
कैसे पहुँचता है ये कचरा घाना तक?
अमीर देश ‘donation’ या ‘reuse’ के नाम पर पुराना सामान घाना भेजते हैं।
अधिकतर माल ‘Used Electronic Goods’ के टैग के साथ भेजा जाता है।
घाना के पास इसे रोकने के लिए संसाधनों की भारी कमी है।
वैश्विक कानून जैसे Basel Convention के बावजूद कंट्रोल नहीं हो पा रहा।

क्यों नहीं रुका यह संकट?
स्थानीय सरकार की सीमित शक्ति
कचरे से निकलने वाले तांबे और धातुओं की मांग
बेरोजगारी और गरीबी
वैश्विक जिम्मेदारी की कमी
क्या कोई समाधान है?
1. सख्त अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण: ई-वेस्ट ट्रांसपोर्ट पर कड़ी निगरानी और सज़ा।
2. स्थानीय रीसायक्लिंग सेंटर: सुरक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम केंद्रों का निर्माण।
3. शिक्षा और जागरूकता: वहाँ के बच्चों को स्कूल और महिलाओं को सुरक्षित रोजगार।
4. डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम: हर ई-वेस्ट यूनिट की मॉनिटरिंग।
5. वैश्विक सहयोग: विकसित देशों को ज़िम्मेदारी लेनी होगी।

Agbogbloshie घाना परमाणु ऊर्जा आयोग से जुड़े शोधकर्ता एरिक अकोर्तिया ने चेतावनी दी कि, “इस क्षेत्र में जो गंभीर प्रदूषण फैल चुका है, उसे देखते हुए यह स्पष्ट है कि हालात आपातकालीन स्तर के हैं और इसमें धीरे-धीरे लेकिन ठोस हस्तक्षेप की ज़रूरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि “अफ्रीका जैसे विकासशील देशों और संक्रमण काल से गुजर रहे अन्य देशों को कचरे के आयात जैसे मुद्दों को गंभीरता से लेना होगा।”
हालांकि कुछ सकारात्मक संकेत सामने आने लगे हैं। जर्मन विकास संस्था GIZ ने एग्बोग्लोशी में एक सतत और प्रभावी रीसाइक्लिंग सिस्टम तैयार करने हेतु 5 मिलियन यूरो (लगभग $5.5 मिलियन) की परियोजना पर काम शुरू किया है। इस योजना में स्थानीय श्रमिकों के लिए एक स्वास्थ्य क्लिनिक और एक फुटबॉल मैदान भी शामिल है।
लेकिन जिस तेजी से दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए ई-कचरे की अवैध डंपिंग को रोकना और एग्बोग्लोशी जैसे इलाकों को इससे बचाना भविष्य में कहीं अधिक जटिल चुनौती बन सकता है।
टेक्नोलॉजी की इस दौड़ में अगर जिम्मेदारियां न निभाईं गईं, तो अगला संकट पर्यावरण और इंसानों की सेहत पर गहरा असर डाल सकता है।

Agbogbloshie सिर्फ एक जगह का नाम नहीं है, बल्कि यह एक आईना है – जो दिखाता है कि कैसे आधुनिक समाज का तकनीकी कचरा गरीब और पिछड़े देशों के लिए ज़हर बन चुका है। वहाँ के लोग दिन-रात ज़िंदगी और मौत के बीच जीते हैं, बस कुछ पैसों की खातिर।
आज ज़रूरत है कि हम, आप और दुनिया की सरकारें इस संकट को गंभीरता से लें। क्योंकि एक दिन यह ज़हर पूरी पृथ्वी को अपनी चपेट में ले सकता है।
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