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अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा सैन्य भागीदार – रूस पीछे छूटता हुआ

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भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी – भारत ने रूस से दूरी बनाकर अमेरिका को अपना सबसे बड़ा रक्षा भागीदार बना लिया है। SIPRI रिपोर्ट के अनुसार अब भारत अरबों डॉलर के हथियार अमेरिका से खरीद रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

भारत की विदेश नीति और रक्षा साझेदारी हमेशा से वैश्विक राजनीति का अहम हिस्सा रही है। लंबे समय तक भारत और रूस (सोवियत संघ) के बीच गहरी दोस्ती और सैन्य सहयोग दुनिया के सामने मिसाल रहा। लेकिन बदलते समय और नई चुनौतियों ने भारत को मजबूर किया कि वह अपने रणनीतिक साझेदारों का दायरा बदले। यही कारण है कि आज भारत की सबसे बड़ी सैन्य साझेदारी रूस के बजाय अमेरिका के साथ खड़ी दिखाई दे रही है।

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर “एकतरफा रिश्ता” रखने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि भारत रूस से ज्यादा तेल और हथियार खरीदता है और अमेरिका से बहुत कम। लेकिन सच्चाई यह है कि अब भारत अरबों डॉलर के डिफेंस डील सीधे अमेरिका से कर रहा है और रूस से हथियार आयात लगातार घट रहा है।


भारत की अमेरिका से बढ़ती सैन्य खरीद – भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी

India America Military Deal

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी

इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि 2008 से पहले भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सौदे बेहद छोटे पैमाने पर थे – महज़ 23.3 करोड़ डॉलर। इसमें भी केवल कुछ काउंटर-बैटरी रडार और एक पुराना युद्धपोत शामिल था।

लेकिन 2008 के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई। भारत ने अब तक अमेरिका से लगभग 24 अरब डॉलर के हथियार और सैन्य उपकरण खरीदे हैं। इनमें शामिल हैं:

जेट इंजन

ड्रोन

तोपखाने के गोले

बख्तरबंद वाहन

टैंक-रोधी मिसाइलें

टॉरपीडो

वर्तमान समय में भी करीब 5 अरब डॉलर के हथियार सौदे pipeline में हैं, और भविष्य में यह आंकड़ा अरबों डॉलर तक पहुँच सकता है। यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि अमेरिका अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बन चुका है और धीरे-धीरे रूस को पीछे छोड़ रहा है।


अमेरिकी इंजन और पुरानी रुकावटें

India US Arms Import 2025

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी- भारत-अमेरिका संबंधों ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 1998 के पोखरण-2 परमाणु परीक्षणों के बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे, जिसके कारण भारत की नौसेना के Sea King और Sea Harrier विमान लंबे समय तक प्रभावित रहे।

इसी तरह, हल्के लड़ाकू विमान LCA तेजस के लिए इंजन सप्लाई में भी अमेरिका ने देरी की थी। लेकिन अब हालात बदले हैं। भारत के रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि अमेरिकी टैरिफ वॉर के बावजूद हथियारों की खरीद प्रक्रिया जारी है और pipeline सक्रिय है।


भारत – अमेरिकी विमानों का सबसे बड़ा ऑपरेटर

India weapons import 2025

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी – भारत आज अमेरिकी रक्षा तकनीक का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।

भारत, अमेरिका के बाहर C-17 Globemaster III और P-8I Poseidon विमानों का सबसे बड़ा संचालक है।

अमेरिका ने 2016 में भारत को ‘Major Defence Partner’ घोषित किया था।

2025 की कांग्रेसनल रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका–भारत की सुरक्षा साझेदारी एशिया में अमेरिकी रणनीति का मुख्य हिस्सा बन चुकी है।


सोवियत हथियारों की जगह अमेरिकी तकनीक

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी – पिछले दशक में भारतीय सेनाओं ने कई सोवियत हथियारों को अमेरिकी सिस्टम से बदल दिया है।

C-130J Super Hercules और C-17 Globemaster ने सोवियत IL-76 को पीछे छोड़ दिया।

Apache Attack Helicopters ने Mi-24 और Mi-35 गनशिप्स को रिप्लेस किया।

P-8I Poseidon ने सोवियत TU-142 को हटाया।

Sikorsky MH-60R Romeo हेलीकॉप्टर ने Ka-25, Ka-28 और British Sea King की जगह ले ली।

भारतीय सेना की मानक राइफल अब अमेरिकी SIG 716 है।


ट्रंप का “एकतरफा रिश्ता” बयान और हकीकत

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी – डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत–अमेरिका रिश्ता एकतरफा है। लेकिन यह बयान तथ्यों से मेल नहीं खाता।

भारत और अमेरिका के बीच अरबों डॉलर की रक्षा परियोजनाएँ pipeline में हैं, जिनमें शामिल हैं:

LCA तेजस के लिए GE F-414 इंजन का संयुक्त उत्पादन

Stryker Infantry Combat Vehicle का सह-उत्पादन

Javelin Anti-Tank Missile प्रोजेक्ट

31 MQ-9B Guardian/Sea Guardian UAVs (करीब $4 अरब का सौदा)

यह सब दिखाता है कि रिश्ता बिल्कुल भी “एकतरफा” नहीं है, बल्कि यह परस्पर लाभकारी साझेदारी है।


रूस से आयात घटता हुआ

भारत अमेरिका रक्षा साझेदारी – 2010 तक भारत अपने 72% हथियार रूस से खरीदता था।

SIPRI की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि अब यह घटकर केवल 36% रह गया है।

भारत ने रूस से अभी भी S-400 मिसाइल सिस्टम और परमाणु पनडुब्बी जैसे अहम उपकरण खरीदे हैं। लेकिन अमेरिकी साझेदारी ने तेजी से रूस की जगह ले ली है।


निष्कर्ष

भारत की रक्षा साझेदारी अब नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। रूस दशकों तक भारत का भरोसेमंद दोस्त रहा है, लेकिन अब अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी बनने की ओर बढ़ रहा है।

जहाँ अमेरिका cutting-edge तकनीक और ग्लोबल समर्थन देता है, वहीं रूस की स्थिति यूक्रेन युद्ध और प्रतिबंधों के कारण कमजोर होती जा रही है। यही कारण है कि भारत अब अमेरिका के साथ गहरे रक्षा रिश्ते बना रहा है।

यह कदम न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत बढ़ाएगा बल्कि उसे वैश्विक रणनीति में और भी अहम स्थान दिलाएगा।

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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