Jhalawar School Collapse – राजस्थान के झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूल की छत गिरने से 8 बच्चों की मौत और 20 से अधिक घायल। पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने जताया दुख। हादसे से पहले बच्चों ने जताई थी शिकायत, लेकिन नहीं मिला ध्यान।
झालावाड़ स्कूल हादसा
Jhalawar School Collapse – झालावाड़ की दर्दनाक घटना ने झकझोर दिया देश को
पीपलोदी गांव सरकारी स्कूल छत गिरी
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार को हुई एक बेहद दुखद घटना ने पूरे देश को हिला दिया। भारी बारिश के दौरान गांव के सरकारी स्कूल की जर्जर छत गिर गई, जिसमें 8 मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और 17 से 30 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों का इलाज मनोहरथाना अस्पताल में चल रहा है।
🧱 बच्चों ने पहले ही जताया था खतरे का संकेत, नहीं मिला ध्यान
घटना के बाद बच्चों और स्थानीय ग्रामीणों ने मीडिया से बात करते हुए चौंकाने वाला खुलासा किया। स्कूली छात्राओं ने बताया कि हादसे से ठीक पहले उन्होंने शिक्षकों को बताया था कि छत से कंकड़ और मलबा गिर रहा है, लेकिन उन्हें बाहर नहीं जाने दिया गया। एक छात्रा ने कहा,
“हमने सर से कहा कि हमें बाहर जाने दीजिए, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कुछ ही मिनटों बाद छत गिर गई और हम फंस गए।”
🧑🏫 शिक्षकों पर गंभीर आरोप, ग्रामीण बोले- खुद भाग निकले
घटना के बाद स्कूल में मौजूद शिक्षक खुद सुरक्षित बाहर निकल गए जबकि बच्चे अंदर ही दब गए। कई ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षकों ने बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया और हादसे के समय खुद भाग गए।
💬 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया गहरा शोक
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर दुख जताया और कहा:
“राजस्थान के झालावाड़ स्थित एक स्कूल में हुई दुर्घटना बेहद दुखद है। मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रशासन प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है।”
🕊️ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी जताया दुख
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस हृदय विदारक घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने अपने आधिकारिक पोस्ट में कहा:
“झालावाड़ में विद्यालय की छत गिरने की घटना अत्यंत दुखद है। मेरी प्रार्थना है कि ईश्वर शोक संतृप्त परिवारों को यह दुःख सहन करने की शक्ति दे। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं।”
- छुट्टी की योजना थी लेकिन वापस ले ली गई:
स्कूल में काम करने वाले कुक और हेल्पर श्रीलाल भील ने बताया कि लगभग तीन दिन पहले स्कूल को दस दिनों के लिए बंद करने की चर्चा हुई थी। हालांकि, केवल एक दिन की छुट्टी के बाद स्कूल दोबारा खोल दिया गया। - जर्जर भवन की सूची में नहीं था यह स्कूल:
जिलाधिकारी अजय सिंह राठौड़ ने जानकारी दी कि शिक्षा विभाग को पहले से निर्देश दिए गए थे कि सभी जर्जर स्कूल भवनों को चिन्हित कर वहां कक्षाएं बंद कर दी जाएं। लेकिन यह स्कूल न तो जर्जर भवनों की सूची में शामिल था और न ही यहां छात्रों की छुट्टी घोषित की गई थी।
🏛️ राजनीतिक हलकों में भी गूंज – जांच कमेटी गठित
Jhalawar School Collapse – राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे को गंभीर मानते हुए उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का एलान किया है।
वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया पर दुख व्यक्त करते हुए घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
📸 घटनास्थल से तस्वीरें और बयान
School Building Fall
घटना के समय लगभग 30 से ज्यादा छात्र-छात्राएं कक्षा में मौजूद थे। अचानक छत का एक बड़ा हिस्सा गिर गया जिससे पूरा कमरा मलबे में दब गया। ग्रामीणों और राहत दलों की मदद से मलबा हटाया गया और बच्चों को निकाला गया।
एक अभिभावक ने कहा:
“सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग वर्षों पुरानी है और इनकी मरम्मत नहीं होती। जब तक बड़ी जनहानि नहीं होती, प्रशासन सोता रहता है।”
🛠️ क्या यह लापरवाही नहीं?
स्कूल की छत गिरने का मामला
Jhalawar School Collapse – इस हादसे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या स्कूल भवनों का नियमित निरीक्षण नहीं होता?
बच्चों की शिकायत को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?
शिक्षकों ने खुद को कैसे सुरक्षित कर लिया लेकिन बच्चों को बाहर क्यों नहीं निकाला?
🚨 सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
Jhalawar School Collapse – यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी सरकारी भवन के जर्जर होने के कारण जान गई हो। लेकिन यह जरूर एक चेतावनी है कि अब बिना देरी के देशभर के सरकारी स्कूलों की सुरक्षा जांच होनी चाहिए, ताकि ऐसे दर्दनाक हादसों की पुनरावृत्ति न हो।
✅ निष्कर्ष
Jhalawar School Collapse – झालावाड़ स्कूल की यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की लापरवाही और अनदेखी का परिणाम है। मासूम बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ज़रूरत है न्याय, जवाबदेही और सुधार की।
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