अमित सैनी सुसाइड – 22 वर्षीय अमित सैनी ने आत्महत्या कर ली। आरोप है कि पुलिस ने लॉकअप में उसके प्राइवेट पार्ट्स के बाल तक उखाड़े। सुसाइड नोट में अमित ने कई पुलिसकर्मियों के नाम लिखे हैं। पढ़िए पूरी कहानी
Table of Contents
अमित सैनी सुसाइड
राजस्थान के अलवर में पुलिस हिरासत से छूटने के बाद 22 वर्षीय अमित सैनी ने आत्महत्या कर ली। आरोप है कि पुलिस ने लॉकअप में उसके प्राइवेट पार्ट्स के बाल तक उखाड़े। सुसाइड नोट में अमित ने कई पुलिसकर्मियों के नाम लिखे हैं
राजस्थान के अलवर जिले के शिवाजी पार्क इलाके से एक हिला देने वाला मामला सामने आया है। 22 वर्षीय अमित सैनी ने पुलिस हिरासत से छूटने के बाद जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
परिवार और उसके नाबालिग दोस्त का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में अमानवीय टॉर्चर किया — अमित के प्राइवेट पार्ट्स के बाल तक उखाड़े गए, बार-बार अलग कमरे में ले जाकर पीटा गया, और उस पर 16 चोरी के केस कबूलवाने का दबाव डाला गया।
क्या हुआ था उस दिन?
अमित सैनी सुसाइड : घटना की शुरुआत — 7 जुलाई की शाम
अलवर के शिवाजी पार्क इलाके में रहने वाला 22 वर्षीय अमित सैनी एक साधारण युवक था। कुछ महीनों से वह बेरोजगार था, लेकिन उससे पहले वह एक निजी अस्पताल में गार्ड की नौकरी करता था। उसी इलाके में उसका एक नाबालिग दोस्त भी रहता था, जो 7 जुलाई 2024 की शाम को अपने घर से सिर्फ बिस्किट लेने निकला था। लेकिन उसकी यह छोटी-सी रोजमर्रा की क्रिया उसकी जिंदगी बदल देगी, इसका अंदाज़ा उसे भी नहीं था।
सड़क पर टहलते समय पुलिस की एक गाड़ी आई और नाबालिग को संदिग्ध मानते हुए उसे बिना किसी स्पष्ट कारण या वारंट के जबरन गाड़ी में बैठा लिया गया। पुलिसकर्मी उसे एक निर्माणाधीन इमारत के पास ले गए और कबाड़ चोरी के एक मामले में उससे पूछताछ करने लगे। तकरीबन तीन घंटे बाद, पुलिस ने उसी स्थान पर अमित सैनी को भी बुला लिया और फिर दोनों को साथ में थाने के लॉकअप में बंद कर दिया गया।
पुलिस हिरासत में टॉर्चर की कहानी
अलवर पुलिस टॉर्चर
अमित सैनी सुसाइड :- थाने पहुंचने के बाद जो हुआ, वह न केवल कानून की धज्जियां उड़ाता है, बल्कि एक इंसान की गरिमा को पूरी तरह कुचलने वाला था। नाबालिग साथी के अनुसार, पुलिस ने न सिर्फ उनसे जोर-जबरदस्ती से कबूलवाया कि वे 16 चोरी की वारदातों में शामिल थे, बल्कि उनके साथ अमानवीय मारपीट भी की गई। सबसे भयावह आरोप यह था कि पुलिस ने अमित को चार बार अलग कमरे में ले जाकर बुरी तरह पीटा और उसके प्राइवेट पार्ट के बाल तक उखाड़ दिए।
नाबालिग बार-बार पुलिस को बताता रहा कि वह अभी बालिग नहीं है, लेकिन पुलिस ने जानबूझकर उसकी उम्र 19 साल लिख दी ताकि वह किशोर न्याय अधिनियम की प्रक्रिया से बचते हुए उसे लॉकअप में रख सके। एक नाबालिग को नियमित लॉकअप में रखना और फिजिकल टॉर्चर देना स्पष्ट रूप से मानवाधिकार और किशोर न्याय कानून का उल्लंघन है।
8 जुलाई — जमानत के बावजूद जारी दबाव
अमित सैनी सुसाइड :- अगले दिन, यानी 8 जुलाई को नाबालिग की नानी थाने पहुंचीं और उसकी जमानत करवाई। पुलिस ने औपचारिक तौर पर उसे रिहा कर दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगले दिन फिर से थाने आना होगा। इसी दिन अमित को भी छोड़ा गया, लेकिन उसका मोबाइल फोन, पर्स और बाइक पुलिस ने जब्त कर रखी और लौटाने के लिए अगले दिन आने को कहा।यह सब कुछ अमित के लिए एक मानसिक यंत्रणा बन गया था। एक ओर बेरोजगारी, दूसरी ओर चोरी का झूठा आरोप, पुलिस की बर्बरता, और फिर उसके व्यक्तिगत सामान को लौटाने से इनकार। यह पूरा प्रकरण उसके आत्म-सम्मान और मानसिक स्थिरता को पूरी तरह तोड़ चुका था।
9 जुलाई — ज़हर खाकर आत्महत्या
अमित सैनी सुसाइड :- 9 जुलाई को अमित ने जहर खाकर जान दे दी।। उसने जहर खाकर अपनी जान दे दी। यह कोई अचानक लिया गया कदम नहीं था, बल्कि धीरे-धीरे की गई मानसिक हत्या का नतीजा था। परिजनों ने जब उसे घर में तड़पते हुए देखा तो तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के दौरान ही उसे मृत घोषित कर दिया
अमित की मौत और सुसाइड नोट
अमित सुसाइड नोट
अमित सैनी सुसाइड :- सुसाइड नोट से सामने आई सच्चाई अमित की मौत के बाद जब परिजनों ने उसके सामान की तलाशी ली तो एक डायरी के पन्ने पर लिखा सुसाइड नोट मिला। यह पत्र अमित के उस दर्द को उजागर करता है जिसे वह शब्दों में दर्ज कर इस दुनिया से गया।
सुसाइड नोट में सबसे ऊपर लिखा था —“मुझे मारने के पीछे इन लोगों का हाथ है”इसके बाद जिन लोगों के नाम दर्ज थे, वे सभी पुलिस महकमे से संबंधित थे:
दिनेश रावआशारामअनिस खान (टेल्को सर्किल)
नितिन (टेल्को सर्किल)
गुरमीत (सदर थाना)
मनजीत (सदर थाना)
फूलसिंह (सदर थाना)
सुसाइड नोट के अगले पन्ने पर उसने लिखा:“मुझे इंसाफ दिलाना अब भोले के हाथ में है।”यह एक धार्मिक सन्दर्भ था, शायद शिव जी की ओर इशारा परिजनों के गंभीर आरोप
परिजनों के गंभीर आरोप
अमित सैनी सुसाइड :- परिजनों ने दावा किया कि उन्होंने यह सुसाइड नोट खुद पुलिस को सौंपा है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने FIR में नामजद पुलिसकर्मियों के नाम हटवाने का दबाव डाला। उन्होंने यह भी कहा कि अमित की मौत के बाद भी मोबाइल, पर्स और बाइक अब तक पुलिस ने नहीं लौटाई।
अमित की दादी ने प्रेस से कहा,“हमारा बच्चा मानसिक रूप से तोड़ा गया, उसे मजबूर किया गया मरने के लिए। अगर पुलिस ने यह सब नहीं किया होता, तो वह आज जिंदा होता।”
पुलिस की प्रतिक्रिया
अमित सैनी सुसाइड :- सदर थाना प्रभारी रमेश सैनी ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 7 जुलाई को गश्त के दौरान शालीमार इलाके में दो युवक संदिग्ध हालात में मिले थे। उनके नाम अमित सैनी और शिवलाल राजपूत बताए गए। दोनों को शांतिभंग के आरोप में पकड़ा गया और थाने लाया गया। उनके मुताबिक अमित नशे की हालत में था और किसी भी प्रकार की मारपीट नहीं की गई। दोनों को कोर्ट में पेश किया गया और जमानत दे दी गई
पोस्टमार्टम और पुलिस जांच – अमित सैनी सुसाइड
अमित सैनी सुसाइड :- अमित की मौत के बाद शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। पुलिस ने मर्ग रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन अब तक FIR में गंभीर धाराएं नहीं जोड़ी गईं, न ही किसी आरोपी पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया गया है। वही
अलवर की एडिशनल SP डॉ. प्रियंका ने बयान देते हुए कहा है कि थाने के CCTV फुटेज की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही यह भी माना कि नाबालिग को लॉकअप में रखना पूरी तरह नियमों के खिलाफ है
अब सवाल ये हैं:क्या अमित की मौत केवल आत्महत्या है या पुलिस टॉर्चर से हुई हत्या?क्या पुलिस कभी जवाबदेह होगी?नाबालिग के साथ हुए अत्याचार का कौन जवाब देगा?और क्या यह मामला भी अन्य हिरासत मौतों की तरह समय के साथ दबा दिया जाएगा?
अब सवाल ये हैं: Justice For Amit Saini
मानवाधिकार पर बहस
अमित सैनी सुसाइड :- क्या अमित की मौत केवल आत्महत्या है या पुलिस टॉर्चर से हुई हत्या?
क्या पुलिस कभी जवाबदेह होगी?
नाबालिग के साथ हुए अत्याचार का कौन जवाब देगा?
और क्या यह मामला भी अन्य हिरासत मौतों की तरह समय के साथ दबा दिया जाएगा?
नाबालिग को बाल अधिकार कानूनों से क्यों वंचित किया गया?
क्या यह सीधा हिरासत में उत्पीड़न और मानसिक हत्या का मामला नहीं है?
ऐसी ही और ताज़ा और भरोसेमंद खबरों के लिए — हमसे जुड़े रहिए।
महक परी की गिरफ्तारी: अश्लील और गाली-गलौज से भरी रील्स बनाकर वायरल करने वाली लड़की