केरल का कोडिन्ही बच्चों की असामान्य संख्या के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। जानिए इस रहस्यमय गाँव की वैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक
Kodinhi Twins Village — जुड़वां बच्चों की भूमि
भारत के दक्षिणी राज्य केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव — कोडिन्ही (Kodinhi) — आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और मीडिया के लिए जिज्ञासा का विषय बन चुका है। कारण? इस गाँव में जुड़वां बच्चों की संख्या अविश्वसनीय रूप से अधिक है। एक सामान्य गाँव में जितने बच्चे होते हैं, उतने ही यहाँ जुड़वां जोड़े हैं!
यह स्थान अब विश्व पटल पर “ट्विन्स विलेज” या “जुड़वां गाँव” के नाम से पहचाना जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह रहस्य क्या है, इसके पीछे के वैज्ञानिक तर्क, सामाजिक मान्यताएँ और इससे जुड़ी कुछ अनसुनी कहानियाँ।
आँकड़ों में Kodinhi Twins Village :
Kodinhi Twins Village की कुल जनसंख्या लगभग 2,000 परिवारों की है।
यहाँ जन्म लेने वाले जुड़वां बच्चों की संख्या लगभग 450 से अधिक जोड़े है।
जन्म दर: 42 से 45 जुड़वां प्रति 1000 जन्म, जबकि भारत में औसतन 4 से 5 जुड़वां प्रति 1000 जन्म होते हैं।
पहला दर्ज किया गया जुड़वां जन्म: 1949 में।
यह ट्रेंड पिछले कुछ दशकों से और तेज़ी से बढ़ा है। साल दर साल गाँव में जुड़वां बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है, जबकि गाँव के बाहर सामान्य जन्म दर बनी हुई है।
खोज की शुरुआत दो स्कूली बच्चों से हुई
Kodinhi Twins Village की इस रहस्यमय कहानी की शुरुआत बहुत ही सामान्य तरीके से हुई — दो स्कूली बच्चों द्वारा किए गए एक छोटे से सर्वे से। इन दोनों लड़कियों ने अपने स्कूल प्रोजेक्ट के लिए गाँव में मौजूद जुड़वां बच्चों की गिनती शुरू की थी। जब उन्होंने पाया कि जुड़वां बच्चों की संख्या सामान्य से बहुत अधिक है, तो यह बात जल्द ही पूरे गाँव में फैल गई।
2008 की जनगणना और हैरानी
भास्करन, जो गाँव के स्थानीय निवासी हैं, बताते हैं:
“2008 में हमने गाँव के सभी घरों में सर्वे किया। जब परिणाम सामने आए, तो हमें खुद हैरानी हुई — उस समय गाँव में 280 जुड़वां जोड़े थे! तभी हमें अहसास हुआ कि हमारा गाँव सामान्य नहीं है, यहाँ कुछ खास है।”
इस खोज के बाद गाँव वालों ने मिलकर एक संस्था का गठन किया, जो जुड़वां बच्चों के कल्याण और उनके परिवारों के लिए काम करती है। इस संस्था को बाद में औपचारिक रूप से रजिस्टर भी कराया गया।
दो बेटियों की माँ — शमसाद बेगम की कहानी
41 वर्षीय शमसाद बेगम, जो अब कोडिन्ही की निवासी हैं, बताती हैं कि जब उन्होंने 14 साल पहले जुड़वां बेटियों को जन्म दिया था, तब वह एक “दोहरी खुशी” का मौका था।
उनकी बेटियाँ — ईशाना और शाहाना, अब नौवीं कक्षा में पढ़ रही हैं। हालांकि वे एक जैसे (identical) नहीं हैं, लेकिन गाँव में जुड़वां होना ही अपने आप में एक सामान्य बात है।
शमसाद 2000 में अपनी शादी के बाद Kodinhi Twins Village आई थीं। उन्होंने बताया:
“जब हमारी जुड़वां बेटियाँ हुईं, तब हमने इसे सामान्य ही माना। लेकिन कुछ सालों बाद, लोगों ने कहना शुरू किया कि हमारे गाँव में देश में सबसे ज्यादा जुड़वां होते हैं। तब जाकर हमने सोचना शुरू किया कि यह कैसे संभव है?”
वंशानुगत कड़ी — पति मजीद का जुड़वां संबंध : Kodinhi Twins Village
शमसाद के मायके परिवार में पाँच पीढ़ियों से किसी भी जुड़वां बच्चे का जन्म नहीं हुआ था, लेकिन उनके पति मजीद के परिवार में यह कहानी कुछ और थी।
मजीद के पिता का एक जुड़वां भाई था, और उनका परिवार मानता है कि शायद यहीं से यह जुड़वां होने की प्रवृत्ति आती है।
हर परिवार में नहीं है जुड़वां बच्चों का इतिहास
Kodinhi Twins Village में भले ही जुड़वां बच्चों की संख्या बहुत अधिक है, लेकिन हर परिवार में जुड़वां बच्चों का इतिहास नहीं है।
प्रसीना (34 वर्ष), सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी सुब्रमण्यम (71 वर्ष) की इकलौती बेटी हैं। उनका परिवार पिछले दो पीढ़ियों से कोडिन्ही में रह रहा है, लेकिन अब तक किसी भी पीढ़ी में जुड़वां बच्चों का जन्म नहीं हुआ था।
सुब्रमण्यम बताते हैं:
“हमारी बेटी की शादी के बाद वह कतर (Qatar) चली गई और साल में एक बार ही घर आती थी। करीब दस साल पहले जब वह गर्भवती हुई, तो हमें अंदाजा भी नहीं था कि वह जुड़वां बच्चों को जन्म देगी।”
इस घटना ने उनके परिवार को भी हैरानी में डाल दिया, क्योंकि पहले कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ था। इससे यह साफ हो गया कि जुड़वां बच्चों की यह प्रवृत्ति कोडिन्ही में केवल वंशानुगत नहीं है, बल्कि इसका संबंध शायद पर्यावरणीय या अन्य अज्ञात कारकों से भी हो सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या है इसके पीछे का कारण?
Kodinhi Twins Village :
1. जेनेटिक फैक्टर:
वैज्ञानिक मानते हैं कि जुड़वां जन्मों में जीन का बहुत बड़ा योगदान होता है। यदि किसी समुदाय में पीढ़ियों से जुड़वां बच्चों का जन्म होता आया है, तो अगली पीढ़ियों में यह प्रवृत्ति और भी बढ़ सकती है। कोडिन्ही में यह प्रवृत्ति कम से कम 3 पीढ़ियों से देखी जा रही है।
2. पानी या पर्यावरणीय प्रभाव:
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि कोडिन्ही के जल स्रोतों या मिट्टी में कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं जो अंडोत्सर्ग (ovulation) को प्रभावित करते हैं। इससे हाइपर-ओव्यूलेशन की संभावना बढ़ जाती है, जिससे जुड़वां बच्चों का जन्म होता है।
3. आहार संबंधी परिकल्पनाएँ:
अक्सर अफ्रीकी गाँवों में यम (yam) के सेवन को जुड़वां बच्चों के जन्म से जोड़ा जाता है। इसी तरह, कोडिन्ही के पारंपरिक आहार में भी कुछ स्थानीय खाद्य-पदार्थ ऐसे हो सकते हैं जिनका असर प्रजनन प्रणाली पर पड़ता है। हालांकि अब तक यह परिकल्पना प्रमाणित नहीं हो सकी है।
4. संभाव्यता (Statistical Coincidence):
कुछ वैज्ञानिक इसे एक दुर्लभ संयोग मानते हैं – यानी एक ऐसा सांख्यिकीय विचलन (statistical anomaly) जो किसी विशेष क्षेत्र में असामान्य रूप से ज्यादा जुड़वां जन्मों के रूप में सामने आया।
5. शोध निष्कर्ष:
2008 में भारत, जर्मनी और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की टीम ने Kodinhi Twins Village में व्यापक अध्ययन किया।
उन्होंने बाल, लार और डीएनए नमूने इकट्ठे किए लेकिन कोई निश्चित कारण सामने नहीं आ सका।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
1. Twins and Kin Association (TAKA):
2008 में गाँव में जुड़वां बच्चों और उनके परिवारों की सहायता के लिए एक संगठन शुरू किया गया — “TAKA”। इसका उद्देश्य जुड़वां बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और पहचान संबंधी समस्याओं का समाधान करना है।
2. स्कूल और पहचान की दिक्कतें:
गाँव के स्कूलों में इतनी बड़ी संख्या में जुड़वां बच्चे पढ़ते हैं कि शिक्षकों को उन्हें पहचानने में कठिनाई होती है। कई बार माता-पिता खुद भी एक-दूसरे को पहचानने में भ्रमित हो जाते हैं!
3. शादी और संबंध:
दिलचस्प बात यह है कि कोडिन्ही की लड़कियाँ जब अन्य गाँवों में शादी करके जाती हैं, तब भी वहाँ जुड़वां बच्चों को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है — जो कि इस रहस्य को और गहरा करता है।
वैश्विक समानताएँ
Kodinhi Twins Village ही नहीं, दुनिया में और भी ऐसे गाँव हैं जहाँ जुड़वां जन्मों की दर असामान्य रूप से अधिक है:
1. Cândido Godói, ब्राज़ील:
यहाँ भी जुड़वां बच्चों की संख्या बहुत अधिक है। कुछ सिद्धांत इसे नाजी डॉक्टर जोसेफ मेंगेले के प्रयोगों से जोड़ते हैं।
2. Igbo-Ora, नाइजीरिया:
इसे “Twins Capital of the World” कहा जाता है। यहाँ भी यम के सेवन को संभावित कारण माना गया है।
इन स्थानों की तरह कोडिन्ही भी अब एक वैश्विक अध्ययन का विषय बन चुका है।
मीडिया और लोकप्रियता :
कोडिन्ही की कहानी पर BBC, National Geographic, Discovery Channel जैसे प्लेटफॉर्म्स डॉक्युमेंट्री बना चुके हैं।
भारत के प्रमुख अखबारों और न्यूज़ चैनलों जैसे NDTV, Times of India, The Hindu ने भी इस पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है।
क्या यह वरदान है या चुनौती ?
Kodinhi Twins Village के लोग इस प्रवृत्ति को गर्व और चुनौती दोनों मानते हैं। एक ओर यह गाँव अपनी अनोखी पहचान से प्रसिद्ध हुआ है, वहीं दूसरी ओर जुड़वां बच्चों की परवरिश और शिक्षा में अतिरिक्त चुनौतियाँ भी आती हैं:
आर्थिक दबाव
शिक्षा में भेदभाव की संभावनाएँ
सामाजिक तुलना और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
मान्यताएँ और विश्वास
Kodinhi Twins Village के कई ग्रामीण मानते हैं कि यह ईश्वर की विशेष कृपा है। कुछ स्थानीय कथाओं में इसे देवी-देवताओं की कृपा, या किसी प्राचीन संत की दुआ से जोड़कर देखा जाता है। गाँव के मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं ताकि यह आशीर्वाद बना रहे।
पर्यटन और जिज्ञासा
अब Kodinhi Twins Village एक प्रकार का टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है। लोग दूर-दराज़ से इस गाँव को देखने आते हैं और जुड़वां बच्चों से मिलना चाहते हैं। हालाँकि ग्रामीण इससे थोड़े असहज भी हो जाते हैं क्योंकि यह उनकी निजता में दखल बनता जा रहा है।
सरकारी मदद का न होना — एक चिंता
Kodinhi Twins Village : जहाँ कुछ परिवार इस रहस्य को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं, वहीं अभिलाष, जो पेशे से एक ऑटो रिक्शा चालक हैं, अपने अनुभव को थोड़ी चिंता के साथ साझा करते हैं।
अभिलाष के दो जुड़वां जोड़े हैं — यानी चार बच्चे, वो भी दो-दो एक साथ जन्मे।
वे सवाल उठाते हैं:
“सरकार इस गाँव को इतना प्रसिद्ध मानती है, लेकिन अब तक हम जैसे परिवारों को कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है। दो-दो जुड़वां बच्चों की परवरिश करना आसान नहीं है।”
अभिलाष जैसे कई परिवार मानते हैं कि Kodinhi Twins Village को सिर्फ एक “रहस्यमयी जगह” कहकर मीडिया में दिखाना काफी नहीं है, बल्कि वहाँ रहने वाले वास्तविक परिवारों की समस्याओं को भी समझना और समाधान देना जरूरी है।
Kodinhi Twins Village एक अनसुलझा रहस्य
Kodinhi Twins Village एक ऐसा गाँव है जो विज्ञान और संस्कृति दोनों को चुनौती देता है। जुड़वां बच्चों की यह रहस्यमयी कहानी आज भी पूरी तरह से समझी नहीं जा सकी है। यह गाँव अपने आप में एक जीवित प्रयोगशाला है — एक ऐसा स्थान जहाँ हर गली में एक जैसे चेहरे हैं, हर परिवार में दोहराव है, और हर जन्म एक रहस्य बनकर आता है।
क्या आपको पता है?
Kodinhi Twins Village में सालाना एक जुड़वां उत्सव (Twins Day Festival) भी मनाया जाता है, जहाँ देशभर से जुड़वां जोड़े आते हैं।
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