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Double Decker Living Root Bridge -मेघालय का चमत्कारी जीवित पुल

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जानिए मेघालय के प्रसिद्ध Double Decker Living Root Bridge का पूरा सफर, इतिहास, स्थानीय संस्कृति, ट्रेकिंग अनुभव, आदिवासी खानपान और लोककथाओं सहित एक रोमांचकारी ब्लॉग में।

Double Decker Living Root Bridge

जब पेड़ बना पुल

भारत में प्राकृतिक अजूबों की कोई कमी नहीं, लेकिन मेघालय का Double Decker Living Root Bridge एक ऐसा चमत्कार है जो मानव की समझ, धैर्य और प्रकृति से रिश्ते को दर्शाता है। यह कोई सामान्य पुल नहीं, बल्कि पेड़ों की जीवित जड़ों से बना हुआ दो मंज़िला पुल है जो आज भी पूरी मजबूती से खड़ा है।

यह पुल न केवल विज्ञान को हैरान करता है, बल्कि यात्रियों को आत्मा तक छूने वाला अनुभव देता है। यहाँ हर कदम, हर झरना और हर पत्ता, एक कहानी कहता है।

Double Decker Living Root Bridge

यह पुल कहाँ स्थित है?

स्थान: नोंगरीअत गाँव (Nongriat Village)

क्षेत्र: चेरापूंजी (Sohra), पूर्वी खासी हिल्स जिला, मेघालय

निकटतम शहर: शिलॉंग (Shillong) – लगभग 70 किमी दूर

निकटतम ट्रेकिंग पॉइंट: टाइर्ना गांव (Tyrna Village)

क्या है Living Root Bridge?

Living Root Bridges वे पुल होते हैं जो इंसानों द्वारा बनाए नहीं जाते, बल्कि पेड़ों की जड़ों को जीवित अवस्था में प्रशिक्षित करके बनाए जाते हैं। खासी जनजाति के लोग वर्षों तक Ficus Elastica (रबर फिग ट्री) की हवाई जड़ों को बांस की सहायता से नदी के उस पार फैलाते हैं।
समय के साथ ये जड़ें मजबूत होती जाती हैं और एक प्राकृतिक पुल का रूप ले लेती हैं।

एक डबल डेकर ब्रिज बनने में लगभग 20–25 साल लगते हैं, और ये पुल 100 साल से अधिक तक टिकाऊ रहते हैं।

कैसे पहुंचे Double Decker Living Root Bridge?

1. शिलॉंग से चेरापूंजी (60–70 किमी) तक टैक्सी या बस से

2. चेरापूंजी से Tyrna Village (15–20 किमी)

3. Tyrna से Nongriat Village तक ट्रेकिंग करनी होती है – जिसमें 3,500 से अधिक सीढ़ियाँ उतरनी होती हैं

यह ट्रेकिंग आसान नहीं है, लेकिन रास्ता बेहद मनोरम है। घने जंगल, पक्षियों की चहचहाहट और छोटे-छोटे झरनों के साथ हर कदम प्रेरणादायक होता है।

Double Decker Bridge का अनुभव

Nongriat गाँव पहुँचने पर जब आप पहली बार इस दो-मंज़िला जीवित पुल को देखते हैं, तो आपकी थकान गायब हो जाती है। नीचे बहती नदी और उसके ऊपर फैली दो परतों वाली हरी-भरी जड़ें, एक प्राकृतिक मूर्ति जैसी प्रतीत होती हैं।

यह पुल मानव और प्रकृति के सहयोग की एक जीती-जागती मिसाल है। पुल पर चलना एक बेहद संतुलित और ध्यानपूर्ण अनुभव होता है — जैसे आप किसी पवित्र मार्ग पर चल रहे हों।

आसपास की प्रमुख जगहें

1. Nohkalikai Falls

भारत का सबसे ऊँचा जलप्रपात (1,115 फीट)। इसके साथ जुड़ी एक दुखद प्रेम कथा भी प्रसिद्ध है। मानसून में यहाँ जाना बेहद आनंददायक होता है।

2. Mawsmai Caves

चूना पत्थर से बनी प्राकृतिक गुफाएं। अंदर जाना रोमांचकारी होता है — खासकर जब बिजली नहीं हो।

3. Seven Sisters Falls

सात धाराओं में गिरने वाला शानदार झरना। साफ मौसम में इसका नज़ारा अविस्मरणीय होता है।

4. Rainbow Falls

Double Decker से आगे लगभग 1.5–2 घंटे की ट्रेकिंग के बाद आता है यह झरना, जिसके पानी में धूप पड़ते ही इंद्रधनुष बनता है।

5. Thangkharang Park

बर्ड-वॉचिंग और पिकनिक के लिए उत्तम स्थान।

कहाँ ठहरें?

Double Decker Living Root Bridge

Nongriat Village में कई स्थानीय होमस्टे उपलब्ध हैं जहाँ स्थानीय भोजन, संस्कृति और जीवनशैली का अनुभव लिया जा सकता है।

चेरापूंजी में होटल, रिसॉर्ट्स और इको-लॉज की भरमार है।

स्थानीय भोजन – खासी फ्लेवर

यहाँ का भोजन सरल लेकिन पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है:

जादोह (Jadoh): चावल और मटन से बना मुख्य व्यंजन

तुनग्रिमबाई: किण्वित सोयाबीन से बनी करी

नकहाम बिट: सुखी मछली की चटनी

पुखलेन: चावल, गुड़ और नारियल से बना पारंपरिक मिठाई

हर्बल चाय और बाँस की सब्ज़ियाँ भी आम हैं

आदिवासी त्योहार और संस्कृति

1. Shad Suk Mynsiem

यह खासी जनजाति का सबसे बड़ा त्योहार है। इसमें पुरुष और महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर लोक नृत्य करते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।

2. Wangala Festival

गारो जनजाति का त्योहार जिसमें “100 ड्रम” एक साथ बजाए जाते हैं। यह कृषि और फसल कटाई से जुड़ा होता है।

यहाँ के त्योहार सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों का उत्सव हैं।

स्थानीय लोक कथाएँ – जंगलों की आत्मा

यह क्षेत्र केवल प्राकृतिक ही नहीं, बल्कि रहस्यमयी कहानियों से भी भरपूर है:

मान्यता है कि इन जीवित पुलों की रक्षा जंगल की आत्माएँ करती हैं।

बच्चे पुल पार करते समय प्रार्थना करते हैं ताकि आत्माएं प्रसन्न रहें।

एक कथा के अनुसार, जब नदी ने गाँव को तबाह करने की धमकी दी, तो देवी ने रात भर में यह जीवित पुल बना दिया ताकि लोग बच सकें।

क्या लेकर जाएं?

Double Decker Living Root Bridge

ट्रेकिंग शूज़

हल्का रेनकोट (बारिश कभी भी हो सकती है)

टॉर्च और पावर बैंक

पानी की बोतल, स्नैक्स और प्राथमिक चिकित्सा किट

कैमरा — हर कोना फोटो लायक है

कुछ सावधानियाँ

बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के लिए ट्रेक कठिन हो सकता है

सीढ़ियाँ फिसलन भरी हो सकती हैं – स्लिपर या सैंडल न पहनें

नेटवर्क और बिजली सीमित हैं – मानसिक तैयारी के साथ आएं

निष्कर्ष

Double Decker Living Root Bridge हमें सिखाता है कि अगर इंसान प्रकृति के साथ काम करे, तो 100 साल चलने वाले पुल भी बनाए जा सकते हैं – वो भी बिना सीमेंट और स्टील के।
यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य, मानवीय धैर्य और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम है।

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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