जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर मिली 15 करोड़ की जलती नकदी ने पूरे देश को हिला दिया। पढ़िए इस सनसनीखेज न्यायिक घोटाले की पूरी कहानी और सुप्रीम कोर्ट की महाभियोग सिफारिश की विस्तृत जानकारी।
क्यों सुर्खियों में है यह मामला?मार्च 2025 में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने भारतीय न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को झकझोर कर रख दिया।दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर 15 करोड़ की नकदी मिलने और उसे जलाने की कोशिश ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया।यह सिर्फ एक कैश बरामदगी नहीं थी, बल्कि इससे जुड़ी आग, जांच, ट्रांसफर और अब महाभियोग की प्रक्रिया ने इसे भारत के इतिहास के सबसे संवेदनशील न्यायिक घोटालों में बदल दिया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से विधि (कानून) की पढ़ाई पूरी की।वह 8 अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और अपनी वकालत की शुरुआत इलाहाबाद उच्च न्यायालय से की। अपने करियर के प्रारंभिक वर्षों में ही उन्होंने सिविल, संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉर्पोरेट, कराधान तथा पर्यावरणीय मामलों में गहरी विशेषज्ञता विकसित की।वर्ष 2006 से वे उच्च न्यायालय में विशेष अधिवक्ता (Special Counsel) के रूप में कार्यरत रहे, जहाँ उन्होंने विभिन्न जटिल एवं महत्वपूर्ण मामलों का संचालन किया।
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस : घटना का पूरा विवरण
तारीख: 14 मार्च 2025दिल्ली के पॉश इलाके तुग़लक क्रेसेंट स्थित न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लगने की सूचना मिली।दमकल विभाग की टीम जब पहुँची तो स्टोर रूम में भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली — शुरुआती अनुमान के अनुसार करीब 15 करोड़ रुपये की।घटना के वक्त न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली से बाहर थे। उनकी पत्नी ने दमकल विभाग को सूचना दी।–
जांच की शुरुआत और सुप्रीम कोर्ट का रुख
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस : इन-हाउस जांच कमेटीघटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने 22 मार्च को तीन वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीशों की एक इन-हाउस जांच कमेटी बनाई:
जस्टिस शील नागु (मुख्य न्यायाधीश,
पंजाब और हरियाणा)
जस्टिस जीएस संधावालिया (मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश)
जस्टिस अनु शिवरामन (मुख्य न्यायाधीश, कर्नाटक) ट्रांसफर की सिफारिशइससे पहले, सुप्रीम कोर्ट की कोलीजियम ने 20 मार्च को निर्णय लिया कि जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जाए।हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रांसफर का संबंध जांच से नहीं है।
जांच रिपोर्ट की मुख्य बातें
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस : रिपोर्ट सौंपने की तारीख: 3 मई 2025जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का स्टोर रूम पर सीधा नियंत्रण था।नकदी के जलने का प्रयास किया गया — गवाहों (पुलिस, दमकल) ने इसकी पुष्टि की।CCTV फुटेज, तस्वीरें और जल चुके नोटों के सबूत प्रस्तुत किए गए।जस्टिस वर्मा ने अपनी सफाई में कहा कि नकदी ‘प्लांट की गई’ है और यह ‘साजिश के तहत आग लगाई गई’ —लेकिन कमेटी ने दोनों दलीलों को खारिज कर दिया।–
सुप्रीम कोर्ट की महाभियोग सिफारिश
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश : फुल कोर्ट मीटिंगसुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सिर्फ ट्रांसफर से बात नहीं बनेगी —यह मामला “गंभीर आचरणहीनता” (gross misconduct) का है और महाभियोग (Impeachment) की सिफारिश जरूरी है।रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गईमुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेज दिया है ताकि संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो सके।
इस पर देश की प्रतिक्रियाएं
कपिल सिब्बल का बयान – “जस्टिस वर्मा देश के सबसे अच्छे न्यायाधीशों में से हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई न्याय की स्वतंत्रता पर हमला है।”
CJI बीआर गवई का कड़ा रुख -“न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से आम जनता का भरोसा खत्म होता है। यह विश्वास पुनः प्राप्त करना मुश्किल होता है।” विपक्ष की मांगविपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने और संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की है।
घटनाओं की टाइमलाइन (Timeline)
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस : दिनांक घटना14 मार्च 2025 आग लगने और नकदी की बरामदगी
20 मार्च 2025 जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर प्रस्ताव
22 मार्च 2025 तीन-जजों की जांच कमेटी गठित
3 मई 2025 जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपनाजून 2025 महाभियोग की सिफारिश संसद को
क्या यह न्यायपालिका का संकट है?जस्टिस यशवंत वर्मा कैश केस सिर्फ एक न्यायाधीश की व्यक्तिगत नैतिकता का सवाल नहीं है,बल्कि यह भारत की न्यायपालिका की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।अब पूरे देश की निगाहें संसद पर टिकी हैं — क्या वह इस मामले में महाभियोग प्रस्ताव लाकर सख्त संदेश देगी?
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