गोड्डा झारखंड गैंगरेप में आदिवासी नाबालिग से 10 लोगों द्वारा गैंगरेप की घटना ने पूरे राज्य को हिला दिया है। जानिए घटना की पूरी जानकारी, पुलिस कार्रवाई और सामाजिक प्रतिक्रिया।

घटना कहां और कब हुई?
गोड्डा झारखंड गैंगरेप : यह भयानक घटना झारखंड के गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी थाना क्षेत्र की है। यह तब घटी जब एक 17 वर्षीय आदिवासी नाबालिग लड़की एक रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने आई थी। 7 जून 2025 की रात, वह शौच के लिए बाहर निकली और वहीं उसे दरिंदों ने अपना शिकार बना लिया।
क्या हुआ उस रात?
गोड्डा झारखंड गैंगरेप : पीड़िता के अनुसार, एक युवक ने पहले उसका रास्ता रोका और उसे जबरदस्ती एक सुनसान स्थान पर ले गया। वहां पहले से 9 और युवक मौजूद थे। सभी ने बारी-बारी से पीड़िता के साथ बलात्कार किया। घटना के बाद वे उसे बेहोशी की हालत में वहीं छोड़कर भाग गए।
जब लड़की को होश आया, तो वह किसी तरह वापस घर पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई।

पंचायत ने मामले को दबाने की कोशिश की
गोड्डा झारखंड गैंगरेप : इस घटना के सामने आने के बाद, स्थानीय पंचायत ने मामले को दबाने की कोशिश की। परिवार वालों पर दबाव बनाया गया कि वे मामला दर्ज न करें और समाज की ‘इज्जत’ बचाने के नाम पर चुप रहें।
लेकिन पीड़िता की हिम्मत और परिजनों की जागरूकता ने सच्चाई को बाहर लाने में मदद की।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
गोड्डा झारखंड गैंगरेप : पीड़िता की शिकायत के बाद 8 जून को FIR दर्ज की गई।
पुलिस ने अब तक 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें से 5 बालिग हैं और 3 नाबालिग।
2 आरोपी अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
गिरफ्तार किए गए बालिगों को जेल भेज दिया गया है और नाबालिगों को किशोर सुधारगृह में रखा गया है।
मेडिकल जांच और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं।

समाज की प्रतिक्रिया
गोड्डा झारखंड गैंगरेप : इस घटना के सामने आने के बाद पूरे झारखंड में आक्रोश फैल गया है। महिला आयोग, आदिवासी संगठनों और मानवाधिकार संस्थाओं ने इस घटना की तीखी निंदा की है।
सवाल यह उठता है कि:
आदिवासी इलाकों में महिलाओं की सुरक्षा कहां है?
खुले में शौच के चलते कितनी और बेटियां शिकार बनेंगी?
क्या पंचायतें कानून से ऊपर हैं?

इस घटना से क्या सीखा जाए?
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सुरक्षित शौचालय की अनिवार्यता है।
स्थानीय पंचायतों द्वारा मामले दबाने की प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए कानून की सख्त पालना होनी चाहिए।
आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि महिलाएं अपनी बात खुलकर कह सकें और न्याय पा सकें।
अब आगे क्या?
पुलिस दो फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
मीडिया और समाज को इस केस पर नज़र बनाए रखनी चाहिए ताकि कोई राजनैतिक दबाव या सामाजिक दबाव न्याय की राह में रुकावट न बने।
निष्कर्ष
गोड्डा गैंगरेप केस केवल एक व्यक्ति या परिवार की त्रासदी नहीं है, यह हमारे समाज, प्रशासन और सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। जब तक हम मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, तब तक बेटियां सुरक्षित नहीं होंगी।
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