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64 योगिनी मंदिर: इतिहासकारों ने इसे “ब्रह्मांडीय मंदिर” कहा है।

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64 योगिनी मंदिर का रहस्यमय इतिहास, तांत्रिक साधना, स्थापत्य चमत्कार और इससे जुड़ी रहस्यमयी कथाएं। एक अलौकिक अनुभव जो तंत्र और शक्ति की महिमा दर्शाता है।

64 योगिनी मंदिर

भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना जनपद में एक अद्भुत और रहस्यपूर्ण धरोहर स्थित है, जिसे 64 योगिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं है, बल्कि इसे एक प्राचीन तांत्रिक शिक्षालय या ‘तंत्र का विश्वविद्यालय’ भी माना जाता है। अपनी विशिष्ट गोलाकार रचना, गूढ़ तांत्रिक परंपरा और अद्वितीय ऊर्जा केंद्र के रूप में, यह मंदिर सदियों से जिज्ञासुओं, साधकों और इतिहासकारों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

कहा जाता है कि यहाँ प्राचीन काल में दूर-दराज से साधक आया करते थे, ताकि वे तंत्र-मंत्र, खगोल विद्या, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ी अदृश्य शक्तियों का अभ्यास कर सकें। यहाँ की दीवारों पर बनी योगिनियों की मूर्तियाँ न केवल शक्ति की प्रतीक हैं, बल्कि ये तंत्र साधना के गूढ़ रहस्यों की भी परिचायक हैं। समय के साथ भले ही इस मंदिर के कई रहस्य इतिहास की परतों में छिप गए हों, लेकिन इसकी अनुभूति आज भी लोगों को आध्यात्मिक गहराइयों में डुबो देती है।

64 योगिनी मंदिर: जब देवी शक्ति तंत्र के रूप में प्रकट होती हैं

64 योगिनी मंदिर

भारत भूमि रहस्यों से भरी हुई है। यहाँ एक से एक चमत्कारी स्थल, मंदिर और धार्मिक केंद्र हैं, लेकिन उनमें से कुछ स्थान ऐसे हैं जो रहस्यों, शक्ति और तांत्रिक उपासना के केंद्र माने जाते हैं। ऐसा ही एक अनूठा स्थल है —64 योगिनी मंदिर

ये मंदिर ना केवल देवी उपासना के केंद्र हैं, बल्कि तंत्र साधना, खगोलीय गणना, ऊर्जा चक्रों और प्राचीन विद्याओं का भी स्रोत हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे भारत के विभिन्न 64 योगिनी मंदिर के रहस्य, उनका इतिहास, तांत्रिक महत्त्व और वह अलौकिक अनुभव जो इन मंदिरों में आज भी महसूस किया जा सकता है।

64 योगिनी : कौन हैं ये शक्तियाँ?

“योगिनी” शब्द का अर्थ है — ‘योग से युक्त’, अर्थात वे जो स्वयं में पूर्ण शक्ति हैं। शास्त्रों के अनुसार, योगिनियाँ देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की सहचरी हैं, जिनकी कुल संख्या 64 मानी जाती है। ये:

किसी समय युद्ध में देवी का साथ देती हैं,

तंत्र साधना की अधिष्ठात्री हैं,

और मान्यता है कि सृष्टि के पंचतत्व इन्हीं से संचालित होते हैं।

भारत में स्थित प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर

भारत में वर्तमान समय में चार प्रमुख चौसठ योगिनी मंदिर विद्यमान हैं:

1. मितौली (मुरैना, मध्य प्रदेश)

2. हीरापुर (ओडिशा)

3. भेड़ाघाट (जबलपुर, मध्य प्रदेश)

4. रणिपुर झरियाल (ओडिशा)

इन चारों की विशेषताएं और रहस्य अलग-अलग हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर का रहस्य और इतिहास

1. मितौली 64 योगिनी मंदिर (मुरैना, मध्य प्रदेश)

स्थान:

ग्वालियर से लगभग 40 किलोमीटर दूर मितौली गाँव में स्थित।

स्थापत्य:

यह एक गोलाकार मंदिर है जिसका व्यास लगभग 170 फीट है।

64 कोठरियाँ हैं, हर एक में एक योगिनी की मूर्ति।

केंद्र में एक मंडप है जिसमें एक बड़ा शिवलिंग स्थित है।

इसकी आकृति ठीक वैसी ही है जैसी भारत की संसद भवन की।

क्या यह भारतीय संसद भवन का मॉडल है?

हां! ऐसा माना जाता है कि जब लुटियंस दिल्ली की योजना बना रहे थे, तो उन्होंने मितौली मंदिर के गोलाकार स्वरूप से प्रेरणा ली थी।

रहस्य:

तंत्र विद्या के अभ्यास हेतु बना यह मंदिर खुले आसमान के नीचे है ताकि पंचतत्वों की उपस्थिति बनी रहे।

मान्यता है कि यहां तांत्रिक विश्वविद्यालय था जहाँ खगोल, गणित और तंत्र की शिक्षा दी जाती थी।

भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित है – कोई दरार नहीं!

2. हीरापुर 64 योगिनी मंदिर (ओडिशा)

स्थान:

भुवनेश्वर से 15 किलोमीटर दूर हिरापुर गाँव में स्थित।

इतिहास:

9वीं सदी में भौमा राजवंश की रानी हिरादेवी द्वारा बनवाया गया।

यह मंदिर छोटा लेकिन अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।

विशेषताएं:

व्यास केवल 30 फीट का।

दीवार के चारों ओर 64 योगिनी मूर्तियाँ।

प्रत्येक योगिनी की प्रतिमा पशु या मानव सिर वाली और युद्ध मुद्रा में।

रहस्य:

यहाँ हर अमावस्या को गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं।

माना जाता है कि यहाँ की जमीन पर खड़ा होने मात्र से ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है।

कई लोग यहाँ ध्यान करने के बाद स्वप्न में रहस्यमयी संकेत मिलने की बात कहते हैं।

3. भेड़ाघाट 64 योगिनी मंदिर (जबलपुर, मध्य प्रदेश)

स्थान:

नर्मदा नदी के तट पर स्थित, जबलपुर से कुछ ही दूरी पर।

विशेषताएं:

यह मंदिर ऊँचे पहाड़ पर स्थित है, जिससे आसपास का दृश्य अत्यंत मोहक दिखाई देता है।

कुल 81 कक्ष हैं, जिनमें 64 योगिनियों के अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं।

केंद्र में बड़ा शिवलिंग।

रहस्य:

यह मंदिर अलौकिक शक्तियों के संग्रहण केंद्र के रूप में माना जाता है।

स्थानीय कथाओं के अनुसार, यहाँ रात को घंटी और चूड़ियों की आवाज़ें सुनाई देती हैं।

कई तांत्रिक इसे शक्ति साधना का सर्वोच्च स्थल मानते हैं।

4. रणिपुर–झरियाल 64 योगिनी मंदिर(ओडिशा)

स्थान:

बालांगीर जिले के रणिपुर गाँव में स्थित।

इतिहास:

9वीं सदी में सोमवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया।

विशेषताएं:

शिव और योगिनी मंदिर

गोलाकार संरचना।

सभी योगिनियाँ नृत्य करती हुई मुद्रा में।

शिव और शक्ति की संयुक्त उपासना का केंद्र।

रहस्य:

यहाँ योगिनी तंत्र की उच्चतम साधनाएँ की जाती थीं।

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां अब भी कई “अदृश्य साधक आत्माएँ” निवास करती हैं।

कई पर्यटक कहते हैं कि यहाँ आने पर “विचित्र कंपन” महसूस होता है।

मितौली चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना(मध्य प्रदेश)

भारत में 64 योगिनी मंदिर की कुल चार प्रमुख संरचनाएं पाई जाती हैं — जिनमें दो मध्य प्रदेश में और दो ओडिशा राज्य में स्थित हैं। परंतु इन सभी में से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर को सबसे प्राचीन, संरक्षित और रहस्यपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर आज भी अपनी मूल गोलाकार स्थापत्य के साथ सुरक्षित रूप में विद्यमान है, जो इसे अनूठा बनाता है।

करीब 100 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह प्राचीन मंदिर अपनी गोलाकार बनावट के कारण दूर से उड़न तश्तरी जैसा दिखता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए 200 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के केंद्र में खुला मंडप है, जहाँ एक विशाल शिवलिंग विराजमान है।

इतिहास के अनुसार, इसका निर्माण 1323ईस्वी शताब्दी में कच्छपघात वंश के राजा देवपाल ने करवाया था। यह स्थान न सिर्फ शिव भक्ति का केंद्र था, बल्कि ज्योतिष और गणित की शिक्षा के लिए भी प्रसिद्ध था। सूर्य के गोचर पर आधारित अध्ययन के कारण यह मंदिर तांत्रिक साधकों और विद्वानों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता था।

64 योगिनी मंदिर का नाम इसकी विशिष्ट गोलाकार संरचना और शक्ति की 64 रूपों की उपासना पर आधारित है। इस मंदिर में 64 अलग-अलग कक्ष बने हुए थे, जिनमें प्रत्येक में एक योगिनी देवी और एक शिवलिंग प्रतिष्ठित किया गया था। ये सभी योगिनियाँ देवी शक्ति की विभिन्न शक्तियों और ऊर्जा के रूपों की प्रतीक मानी जाती थीं।

समय के साथ कई दुर्लभ मूर्तियाँ चोरी या क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे मंदिर की मूल भव्यता को क्षति पहुँची। शेष बची मूर्तियों को संरक्षण की दृष्टि से दिल्ली के एक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। इस मंदिर की पूरी संरचना 101 खंभों पर टिकी है, और इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है।

मंदिर जिससे संसद भवन को प्रेरणा मिली

कहा जाता है कि प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस, जिन्होंने नई दिल्ली का नियोजन किया था, संसद भवन की रचना के लिए इसी मंदिर की गोलाई, स्तंभों और स्थापत्य शैली से प्रेरित हुए थे।

64 योगिनी मंदिर आज भी एक रहस्यमय ऊर्जा से आच्छादित माना जाता है। यहां भगवान शिव की तांत्रिक साधना की अदृश्य परंपरा अब भी जीवित मानी जाती है। खासकर रात्रि के समय इस परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित है, क्योंकि मान्यता है कि यही वह समय होता है जब शिव की योगिनियाँ सक्रिय होती हैं। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर योगिनियों को जाग्रत करने की तांत्रिक क्रियाएं सम्पन्न की जाती थीं, जिनका उद्देश्य दिव्य शक्तियों को साधना था।

64 योगिनी मंदिरों से जुड़े गहरे रहस्य

1. खगोल विज्ञान और वास्तु शास्त्र का अद्भुत मेल

सभी मंदिर गोलाकार क्यों हैं?

क्योंकि गोलाकार संरचना ऊर्जा का अधिकतम संकलन करती है।

यह आकृति ब्रह्मांडीय यंत्रों (Yantras) से जुड़ी होती है, जैसे श्री-चक्र।

2. तांत्रिक अनुष्ठानों का गुप्त केंद्र

64 योगिनी मंदिर साधकों के लिए ऊर्जा केंद्र की तरह काम करते हैं।

रात में यहाँ अनुष्ठान करना अब भी वर्जित है, क्योंकि माना जाता है कि गलत विधियों से किया गया प्रयोग जानलेवा हो सकता है।

3. महिला शक्ति का सर्वोच्च प्रतीक

ये मंदिर इस बात का प्रमाण हैं कि भारत में स्त्री शक्ति को देवी रूप में पूजा जाता रहा है।

प्रत्येक योगिनी एक विशिष्ट शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है – ज्ञान, सौंदर्य, युद्ध, विनाश, सृजन, मोक्ष आदि।

4. गूढ़ मंत्र और स्वप्न संकेत

कई साधकों ने दावा किया है कि यहाँ ध्यान करते समय या बाद में उन्हें गुप्त मंत्र, स्वप्न में निर्देश, या भविष्य के संकेत प्राप्त हुए।

ऐतिहासिक महत्व और विदेशी शोध

64 योगिनी मंदिर :-ब्रिटिश काल में इन मंदिरों पर कई विदेशी विद्वानों ने शोध किया और इन्हें विश्व की सबसे प्राचीन शक्ति-परंपरा का हिस्सा बताया।

जेम्स फर्ग्युसन जैसे इतिहासकारों ने इसे “ब्रह्मांडीय मंदिर” कहा है।

UNESCO इन मंदिरों को विरासत स्थल के रूप में मान्यता देने पर विचार कर चुका है।

64 योगिनी मंदिर की यात्रा का अनुभव

क्या आप यात्रा कर सकते हैं?

हाँ, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

यह धार्मिक स्थल हैं, उचित आचरण जरूरी है।

ध्यान और साधना करते समय शांत रहें।

स्थानों की पवित्रता बनाए रखें।

क्या कुछ अनुभव होता है?

कई लोग कहते हैं कि यहाँ:

हवा में अजीब सी स्थिरता होती है,

मन अचानक ध्यान में चला जाता है,

और कुछ तो ये तक कहते हैं कि उन्होंने “अनजानी उपस्थिति” को महसूस किया।

64 योगिनी मंदिर— शक्ति, तंत्र और रहस्य का संगम

64 योगिनी मंदिर केवल स्थापत्य चमत्कार नहीं हैं, बल्कि ये मानव चेतना, शक्ति, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का मिलन-बिंदु हैं। ये मंदिर उस संस्कृति का प्रतीक हैं जहाँ विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ चलते थे।

यदि आप अध्यात्म, तंत्र, इतिहास या रहस्यवाद में रुचि रखते हैं, तो चौसठ योगिनी मंदिर आपके लिए एक अनूठा अनुभव हो सकता है — एक ऐसी यात्रा जो न केवल आपको स्थानों से जोड़ेगी, बल्कि आपके भीतर की ऊर्जा को भी जागृत करेगी।

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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