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शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा की कहानी – पाकिस्तान के ड्रोन हमले में शहीद

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राजस्थान की वीर भूमि झुंझुनू से आने वाले शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा ने देश के लिए जो बलिदान दिया, वह आज भी करोड़ों भारतीयों को गर्व और आंसुओं से भर देता है।

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा

10 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के उधमपुर एयरबेस पर पाकिस्तान के ड्रोन हमले में उनकी शहादत हुई। इस लेख में हम उनकी पूरी जीवन गाथा, पारिवारिक संबंध और बलिदान की मार्मिक कहानी जानेंगे।


1. जीवन परिचय – बचपन से देशभक्ति की प्रेरणा

  • पूरा नाम: सुरेन्द्र सिंह मोगा
  • जन्म स्थान: गांव मेहरदासी, जिला झुंझुनू, राजस्थान
  • पद: मेडिकल असिस्टेंट सरजेंट, भारतीय वायुसेना
  • सेवा काल: लगभग 15 वर्ष
  • परिवार: माता-पिता, पत्नी सीमा, बेटी वर्तिका (11 वर्ष), बेटा दक्ष (7 वर्ष), एक बहन

छोटे से गांव में जन्मे शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा का सपना था देश के लिए कुछ करना। बचपन से ही उन्होंने अनुशासन और मेहनत को अपना मूल मंत्र बनाया। पढ़ाई के बाद वायुसेना में मेडिकल असिस्टेंट के रूप में भर्ती हुए और हर जवान की जान बचाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।


2. बहन से भावनात्मक रिश्ता और गांव में बना घर

बहन – रिश्ते से बढ़कर

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा अपनी बहन के बेहद करीब थे। उनकी बहन ने बताया कि भाई हमेशा रक्षा बंधन पर घर जरूर आते थे, और उन्होंने अपनी शादी में पापा जैसी जिम्मेदारी निभाई थी। शहादत के दिन बहन का यह वाक्य सबको रुला गया –

“अब मेरी राखी कौन बांधेगा भैया?”

“गांव का वो सपना जो अधूरा रह गया…”

भारतीय वायुसेना में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट रहे शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा का एक सपना था—रिटायरमेंट के बाद भीड़-भाड़ और शोरगुल से दूर, अपने गांव की शांत फिजाओं में सुकून भरी ज़िंदगी जीने का। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने झुंझुनूं जिले के मंडावा तहसील स्थित अपने पैतृक गांव मेहरादासी में पुराने मकान को तुड़वाकर लाखों रुपये खर्च करके एक नया सुंदर घर बनवाया था।

जब गांव वाले पूछते—”इतना बड़ा मकान गांव में क्यों बनवा रहे हो? शहर में बनाते तो अच्छा होता,”
तो सुरेन्द्र मोगा मुस्कुराकर कहते—
“ड्यूटी तो मैंने शहरों में निभाई है, अब जीना है गांव की मिट्टी में।”

अप्रैल 2025 में जब नए घर का गृह प्रवेश हुआ तो पूरा गांव आमंत्रित था। सभी ने मिलकर उनके सपने का स्वागत किया था।
15 अप्रैल को जब वे फिर से ड्यूटी पर लौटे, तो मां से कहा—
“अभी तो पेंट-पॉलिश बाकी है मां… अगली बार छुट्टी में आऊंगा तो घर को पूरी तरह चमका दूंगा।”

लेकिन किसे पता था कि अगली बार वो आएंगे, पर अब कोई सजावट नहीं होगी, सिर्फ तिरंगा ओढ़े उनका पार्थिव शरीर होगा।

3. पाकिस्तान के ड्रोन हमले में शहादत – ऑपरेशन ‘हेल्थ शील्ड’

10 मई 2025 को उधमपुर एयरबेस पर तैनात शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा ड्यूटी पर थे। उसी दिन पाकिस्तान ने एक खतरनाक ड्रोन हमला किया। भारतीय वायुसेना की एयर डिफेंस टीम ने उस ड्रोन को मार गिराया, लेकिन गिरते हुए मलबे का एक टुकड़ा सुरेन्द्र सिंह पर गिरा।

वो उस समय घायल अफसरों की मदद कर रहे थे और अपने अंतिम समय तक सेवा करते रहे। इस ऑपरेशन को बाद में “ऑपरेशन हेल्थ शील्ड” नाम दिया गया।

पापा ने कहा था सब ठीक है… लेकिन वो आख़िरी बात थी”

भारतीय वायुसेना में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर तैनात सुरेन्द्र सिंह मोगा (जाट) ने 9 मई 2025 की रात लगभग 12 बजे अपनी पत्नी सीमा से फोन पर बात की थी। बातचीत के दौरान सीमा ने पाकिस्तान की ओर से बढ़ते ड्रोन खतरे को लेकर चिंता जाहिर की, जिस पर सुरेन्द्र ने उन्हें ढाढ़स बंधाया और कहा –
“सब सामान्य है, चिंता मत करना। मैं पूरी तरह सुरक्षित हूं।”

उसी दिन रात करीब 9 बजे उनकी बेटी वृतिका ने भी अपने पिता से बात की थी। उन्होंने भी बेटी को भरोसा दिलाया था कि सब कुछ नियंत्रण में है और वह सुरक्षित हैं।

लेकिन किसे अंदाजा था कि ये दोनों ही बातचीत उनकी अंतिम बातचीत बन जाएंगी।

बेटी वृतिका ने दुख और गर्व से भरे स्वर में कहा –
“पापा बहुत अच्छे इंसान और बहादुर फौजी थे। उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। अब मैं भी फौज में जाऊंगी और देश के दुश्मनों से एक-एक का हिसाब लूंगी। पापा के जैसा बनूंगी।”

वृतिका की इन बातों में उस बेटी का साहस झलकता है जिसने अपने पिता को खोया है, लेकिन उनके सपने को जीने की कसम भी खाई है।


4. अंतिम विदाई – पूरा गांव हुआ नतमस्तक

जब शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा गांव मेहरदासी पहुंचा, तो हजारों लोग उनकी अंतिम विदाई देने पहुंचे। गांव की हर गली, हर घर शोक में डूबा था लेकिन गर्व की भावना सबके चेहरों पर थी।

“जब लाडले को विदा करने जुटीं गांव की बेटियां और माताएं…”

आम तौर पर गांवों में अंतिम संस्कार जैसे आयोजनों में महिलाएं कम ही शामिल होती हैं, लेकिन शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा की अंतिम यात्रा ने परंपराएं तोड़ दीं।
अपने वीर सपूत को आख़िरी सलाम देने के लिए सैकड़ों महिलाएं और युवतियां उमड़ पड़ीं। कई युवतियां तो घरों की छतों पर चढ़कर गर्व से नारे लगाती रहीं—
“जय हिन्द!” “हिन्दुस्तान ज़िंदाबाद!” “शहीद सुरेन्द्र अमर रहें!”

अंतिम संस्कार में न केवल मेहरादासी गांव बल्कि आसपास के अनेक गांवों से हजारों लोग पहुंचे। माहौल ग़मगीन था लेकिन हर आंख में गर्व और हर चेहरे पर सम्मान झलक रहा था।

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा

उनकी मां ने पार्थिव शरीर से लिपटकर कहा:

“मेरा बेटा अब भारत मां का हो गया।”

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी उनकी वीरता पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

उठ जा यार… एक बार बस उठ जा…

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा की अंतिम यात्रा में जब उनकी पत्नी वीरांगना सीमा ने पार्थिव शरीर को ताबूत से देखा, तो दर्द और प्रेम के ज्वार ने सभी सीमाएं तोड़ दीं।
रोती हुई आंखों और कांपते होठों से उन्होंने ताबूत पर लिपटी प्लास्टिक को हटाया और रूंधे गले से बोलीं—
“उठ जा यार… प्लीज़ एक बार बस उठ जा… चेहरा दिखा दे, फिर मैं खुद को संभाल लूंगी।”
इसके बाद उन्होंने कांपते हाथों से सलामी दी और कहा—
“जय हिंद!”
उनकी यह आवाज़ जैसे पूरे गांव के दिलों में उतर गई। वहां मौजूद हर आंख नम हो गई, हर दिल कांप उठा।

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मेहरादासी गांव में जब शहीद की अंत्येष्टि पूर्ण सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ हुई, तो यह मंजर देखने वालों की आंखें हमेशा के लिए भीग गईं।


5. एक मेडिकल योद्धा – डॉक्टर से भी बढ़कर

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा एक ऐसे सैनिक थे जो बंदूक नहीं बल्कि जीवन बचाने वाली दवाइयों के साथ युद्ध में शामिल थे। उनका मानना था कि:

“सेना में डॉक्टर का कर्तव्य है – जान बचाना, चाहे खुद की जान चली जाए।”

उनकी सेवा भावना, साहस और मानवता का संगम उन्हें हर सैनिक से अलग बनाता है।


6. बच्चों की कसम – वीर पिता का सपना अब संतानें पूरा करेंगी

उनकी बेटी वर्तिका ने कहा:

“मैं आर्मी में जाऊंगी और पापा का सपना पूरा करूंगी।”

दक्ष भी अपने पापा को सैल्यूट करता है और सेना की वर्दी पहनने की जिद करता है।


7. प्रेरणा और राष्ट्रसेवा की सीख

  • कर्तव्य से बड़ा कोई धर्म नहीं
  • देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने का जज्बा
  • परिवार, भावना और बलिदान का समर्पण
  • शांति के लिए सेवा और सेवा के लिए बलिदान

निष्कर्ष – शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा की अमर गाथा

शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा की कहानी एक ऐसा प्रेरणास्रोत है जो हमें यह सिखाती है कि सेवा और बलिदान किसी भी वर्दी या पद से ऊपर होता है। उनका जीवन और शहादत आज के युवाओं के लिए एक मिशाल है।

देश को ऐसे ही सपूतों पर गर्व है।

🇮🇳 शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा – अमर रहें 🇮🇳

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“Kahani Nights की ओर से श्रद्धांजलि”

एक वीर जाता है, लेकिन उसकी कहानी हमेशा जिंदा रहती है…”

कहानी नाइट्स परिवार की ओर से शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
उन्होंने न केवल वर्दी पहनी, बल्कि उस वर्दी का मान भी रखा।
उनका बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि हमारी आज़ादी, हमारी सुरक्षा और हमारे सपनों के पीछे किसी का लहू बहा होता है।

हम प्रार्थना करते हैं कि
ईश्वर शहीद की आत्मा को शांति दें,
परिवार को यह अपार दुःख सहने की शक्ति दें
और हम सबको यह सिखा दें कि
देश के लिए जीना और मरना ही सच्ची वीरता है।

💐
“शहीद सुरेन्द्र सिंह मोगा अमर रहें!”
“जय हिन्द!”

— Kahani Nights परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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