लखनऊ मेट्रो में 3 साल साल की बच्ची से रेप के आरोपी को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। जानें पूरी घटना, सर्जरी अपडेट और जांच की स्थिति।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर एक दिल दहला देने वाली घटना से दहल उठी। ढाई साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी और उसके बाद आरोपी का पुलिस एनकाउंटर — यह दोहरी घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई। लोग सोशल मीडिया पर भावनाओं से भरे हुए पोस्ट कर रहे हैं। कुछ इसे न्याय मान रहे हैं, तो कुछ एनकाउंटर संस्कृति पर सवाल उठा रहे हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी विस्तार से।
दरिंदगी की पुष्टि
5 जून की रात लखनऊ में दिल दहला देने वाली घटना घटी। आलमबाग लखनऊ मेट्रो स्टेशन के नीचे फुटपाथ पर सो रही एक मासूम बच्ची को आरोपी दीपक चुपचाप उठा कर ले गया। बच्ची अपने माता-पिता के साथ वहीं सो रही थी। देर रात लगभग ढाई बजे वह बच्ची को मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट के पास ले गया, जहां उसने उसके साथ हैवानियत की हदें पार कर दीं। जब मासूम बेहोश हो गई, तो आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गया।
इस दर्दनाक वारदात का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें आरोपी बच्ची को गोद में उठाकर ले जाता दिख रहा है। फुटेज में यह स्पष्ट दिखाई देता है कि वह उसे लिफ्ट के पास ले जाकर घिनौना कृत्य करता है। इस दरिंदगी से बच्ची को गंभीर चोटें आईं, खासकर उसके प्राइवेट पार्ट को गहरी क्षति पहुंची। केजीएमयू के डॉक्टर्स के अनुसार बच्ची की हालत बेहद नाजुक है। शुक्रवार को उसकी आंतों की सर्जरी की गई, जबकि जननांग की सर्जरी को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है।
डॉक्टर बोले – बच्ची दर्द से तड़प रही थी
राजनारायण लोकबंधु अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि गुरुवार सुबह लगभग साढ़े सात बजे पीड़ित परिजन मासूम बच्ची को लेकर लखनऊ अस्पताल पहुंचे। उसकी हालत बेहद नाजुक थी और वह असहनीय दर्द में कराह रही थी। डॉक्टरों ने तत्काल गंभीरता को समझते हुए उसे इमरजेंसी ICU में भर्ती कर लिया।
इसके बाद गायनी विशेषज्ञ डॉ. शालिनी कटियार, बच्चों के रोग विशेषज्ञ डॉ. ब्रजेश कुमार और सर्जन डॉ. राजेश श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम ने मिलकर उसका परीक्षण किया। प्रारंभिक जांच में बच्ची के प्राइवेट पार्ट में कई गंभीर चोटें पाई गईं, जिनके कारण तुरंत सर्जरी की आवश्यकता महसूस हुई।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे दोपहर करीब 12 बजे लखनऊ के KGMU ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। वहां पहुँचने के बाद बच्ची को पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में शिफ्ट किया गया, जहाँ वरिष्ठ सर्जन डॉ. जेडी रावत की निगरानी में इलाज शुरू हुआ।
डॉ. जेडी रावत, जो KGMU के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख हैं, उन्होंने जानकारी दी कि गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे बच्ची को विभाग में एडमिट किया गया था। फिलहाल उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है, लेकिन उसके प्राइवेट पार्ट में गंभीर घाव हैं। ICU में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगातार उसकी निगरानी कर रही है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि वह जल्द स्वस्थ हो सके।
लखनऊ पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी पर तुरंत कार्रवाई की। गुरुवार को ही उसके ऊपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। घटना के महज 24 घंटे के भीतर लखनऊ पुलिस ने आरोपी दीपक को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। दीपक, राधेश्याम वर्मा का बेटा था और ऐशबाग स्थित डूडा कॉलोनी का निवासी था। वह ट्रेन में अवैध रूप से पानी बेचने के साथ-साथ धार्मिक कार्यक्रमों में झांकियां सजाने का काम करता था।
सीसीटीवी फुटेज ही वह कड़ी बनी, जिससे उसकी पहचान पक्की हुई और लखनऊ पुलिस ने उसे ट्रैक कर लिया।
जैसे ही लखनऊ पुलिस ने दीपक की तलाश शुरू की, वह फरार हो गया। पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर छापेमारी की और सोशल मीडिया पर उसकी फोटो वायरल कर दी गई। मामला अब सिर्फ एक रेप केस नहीं, बल्कि जन भावना और कानून के बीच का संघर्ष बन चुका था।
लखनऊ मेट्रो स्टेशन पर लगे सुरक्षा कैमरों में इस दिल दहला देने वाली वारदात की पूरी तस्वीर कैद हो गई है। पुलिस को मिले 3 मिनट 55 सेकंड के एक वीडियो में आरोपी दीपक की हर हरकत साफ नजर आती है। वीडियो में देखा जा सकता है कि आरोपी पहले आलमबाग मेट्रो स्टेशन के नीचे आता है, फिर लिफ्ट की ओर बढ़ता है और एक लिफ्ट का बटन दबाता है।
इसके बाद वह सड़क पार करता है और सो रही बच्ची को गोद में उठाकर तेजी से उसी लिफ्ट की तरफ दौड़ता है। वहां वह मासूम को नीचे रखकर उसके साथ घिनौना कृत्य करता है। वारदात को अंजाम देने के बाद वह मौके से भाग जाता है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार वीडियो से ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने बच्ची को पहले से निशाना बना लिया था और पूरी वारदात को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया।
एनकाउंटर की घटना
जहां घटना हुई, वहां से करीब 5 किमी दूर हुई आरोपी की मौत
जिस स्थान पर मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की गई, उससे लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस ने आरोपी दीपक को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। यह एनकाउंटर वीआईपी रोड स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान के पास देवीखेड़ा क्षेत्र में हुआ।
DCP सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि जांच के दौरान मेट्रो स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज का गहराई से विश्लेषण किया गया। रात करीब 3 बजे से 3:30 बजे के बीच, एक युवक सफेद रंग की होंडा एक्टिवा स्कूटी पर वहां आता दिखा। उसी ने सोती हुई बच्ची को उठाकर मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट के पास ले जाकर दरिंदगी की थी।
सीसीटीवी में कैद स्कूटी के नंबर की मदद से आरोपी की पहचान की गई। उसके मोबाइल फोन की लोकेशन भी ट्रेस की गई, जिससे यह पुष्टि हुई कि वह देवीखेड़ा इलाके में घूम रहा है। पुलिस को इनपुट मिला था कि वह शहर से फरार होने की कोशिश में है।
शुक्रवार सुबह जैसे ही लखनऊ पुलिस ने उसे पकड़ने का प्रयास किया, उसने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लगी। पहले उसे लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया, फिर गंभीर हालत के चलते ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया। इलाज के दौरान आरोपी ने दम तोड़ दिया।
परिवार की प्रतिक्रिया
बच्ची के माता-पिता ने लखनऊ पुलिस की कार्रवाई पर संतोष जताया। पिता ने कहा,
“जो दरिंदा हमारी बच्ची के साथ ये हैवानियत कर सकता है, वो किसी का नहीं हो सकता। पुलिस ने जो किया, वह सही किया। कम से कम अब और कोई बेटी उसकी शिकार नहीं बनेगी।”
जनता का नजरिया
इस एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर दो धाराएं बन गईं:
न्याय की जीत
बहुत से लोग मानते हैं कि ऐसे अपराधियों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए। न्यायालयों में सालों तक केस चलाने से अच्छा है कि पुलिस ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करे।
कानून से ऊपर कार्रवाई?
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि एनकाउंटर संस्कृति न्याय प्रणाली को दरकिनार करने जैसी है। ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के ज़रिए सज़ा मिलनी चाहिए ताकि संविधान का सम्मान बना रहे।
सवालों की आग और जनता का गुस्सा—24 घंटे में पुलिस एक्शन में
लखनऊ के व्यस्ततम क्षेत्र आलमबाग में जिस तरह से मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की गई, उसने सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शहर के बीचों-बीच ऐसी भयानक घटना हो जाना, और वह भी बिना किसी पुलिस हस्तक्षेप के, प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जहां यह वारदात हुई, वह जगह पिंक बूथ और तीन पुलिस चौकियों से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर थी। घटनास्थल से मात्र 300 मीटर के दायरे में एक पिंक बूथ मौजूद था, फिर भी आरोपी इतनी गंभीर घटना को अंजाम देकर आसानी से फरार हो गया। यह सवाल उठाता है कि रात्रि गश्त और निगरानी में आखिर चूक कहां हुई?
इस वीभत्स अपराध में बच्ची को गहरी शारीरिक क्षति पहुंची है, खासकर उसके प्राइवेट पार्ट को गंभीर नुकसान हुआ है और उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। इस घिनौने कृत्य ने न केवल लोगों के दिलों को झकझोर दिया, बल्कि कानून-व्यवस्था की पोल भी खोल दी।
जनता के बढ़ते आक्रोश और मीडिया की सख्त नजर के बीच, लखनऊ पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विशेष रणनीति बनाई। आरोपी को पकड़ने के लिए कुल पांच टीमें गठित की गईं, जिन्होंने तेजी से उसे ट्रैक कर लिया। यही कारण रहा कि घटना के महज 24 घंटे के भीतर पुलिस ने आरोपी को ढेर कर दिया।
तीन बार आया मेट्रो स्टेशन, फिर बनाई मासूम को शिकार
घटना की रात आरोपी दीपक कई बार आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास आता-जाता रहा।लखनऊ पुलिस जांच में पता चला है कि वह दो से तीन बार स्टेशन के आसपास मंडराया। जैसे ही उसे यकीन हो गया कि बच्ची के माता-पिता गहरी नींद में हैं, उसने मौके का फायदा उठाया और मासूम को गोद में उठाकर ले गया। इसके बाद मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट के पास उसने बच्ची के साथ हैवानियत की और फिर सेवा रोड की तरफ निकल गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि इतना जघन्य अपराध करने के बाद भी उसके चेहरे पर खौफ का कोई असर नहीं दिखा। घटना के बाद भी वह स्कूटी लेकर लगभग ढाई घंटे तक आलमबाग और आस-पास की गलियों में घूमता रहा।
दीपक की जिंदगी और अघोरी वेशभूषा
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार दीपक रोजाना शाम को करीब 6 बजे घर से बाहर निकलता था और तड़के 5 बजे के आसपास लौटता था। कभी-कभार वह अपने जीजा के साथ फल के व्यापार में मजदूरी भी करता था।
जांच में यह भी सामने आया कि दीपक कई बार अजीबोगरीब वेशभूषा में नजर आता था। लखनऊ पुलिस को उसके मोबाइल में ऐसी कई तस्वीरें मिली हैं, जिनमें वह अघोरी जैसे कपड़े पहने हुए दिख रहा है। इससे उसकी मानसिक स्थिति को लेकर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इस लखनऊ एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका मानना है कि आरोपी को कोर्ट में पेश कर उसके अपराध की पुष्टि होनी चाहिए थी। उनका कहना है कि पुलिस की कार्रवाई बिना ट्रायल के सज़ा देने के बराबर है।
पुलिस का बयान
लखनऊ के पुलिस आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“हमने आरोपी को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास किया। उसने पुलिस टीम पर जानलेवा हमला किया, जिसके बाद आत्मरक्षा में यह कार्रवाई की गई। बच्ची की स्थिति अब स्थिर है और हम उसकी पूरी सुरक्षा और इलाज सुनिश्चित कर रहे हैं।”
कानून व्यवस्था पर सवाल
यह घटना एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर बहस खड़ी कर देती है। बाल यौन अपराधों की बढ़ती संख्या और पुलिस की प्रतिक्रिया की गति — ये दो पहलू आम जनता के लिए सबसे अधिक चिंता का कारण बने हुए हैं।
क्या पुलिस को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए? या क्या यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।
मनोवैज्ञानिक नजरिया
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की दरिंदगी करने वाले लोग अक्सर मानसिक रूप से विकृत होते हैं। उनमें सहानुभूति की भावना मर चुकी होती है और वे समाज के प्रति क्रूरता से भरे होते हैं। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए परिवार, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की ज़रूरत है।
क्या एनकाउंटर ही समाधान है?
हाल के वर्षों में देश में कई हाई प्रोफाइल एनकाउंटर हुए हैं — चाहे वह हैदराबाद रेप केस हो या कानपुर का विकास दुबे मामला। हर बार जनता का गुस्सा शांत हुआ है, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान है?
कानून के जानकार मानते हैं कि यदि एनकाउंटर को ही न्याय का तरीका बना दिया जाए, तो यह संविधान के विरुद्ध होगा। लेकिन यदि पुलिस की कार्रवाई आत्मरक्षा में है, तो यह न्यायसंगत मानी जा सकती है।
समाज की भूमिका
हर घटना सिर्फ लखनऊ पुलिस और सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। समाज की भी भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना, उन्हें ‘गुड टच – बैड टच’ की जानकारी देना, पड़ोसियों की निगरानी करना — ये सब छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।
निष्कर्ष
लखनऊ की यह घटना भले ही एक आरोपी की मौत और एक मासूम की जिंदगी की लड़ाई से जुड़ी हो, लेकिन यह देश के करोड़ों लोगों के दिल को छू गई। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की और दरिंदे को खत्म किया, लेकिन यह एक अलार्म है कि समाज को अपनी भूमिका निभाने की सख्त जरूरत है।
उम्मीद की जाती है कि इस घटना से सबक लिया जाएगा और बच्चियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। ताकि आने वाले कल में किसी और परिवार को ऐसा डरावना दिन न देखना पड़े।
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