मायोंग गांव असम को भारत की काले जादू की धरती कहा जाता है। जानिए इसकी रहस्यमयी इतिहास, तंत्र-मंत्र, लोककथाएं और असली घटनाएं इस ब्लॉग में।

- मायोंग गांव कहां है?
- मायोंग नाम का रहस्य
- मायोंग का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
- काला जादू और तांत्रिक साधनाएं
- लोककथाएं और रहस्यमयी किस्से
- मायोंग का जादू संग्रहालय
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण बनाम जन विश्वास
- मायोंग कैसे पहुंचे?
- निष्कर्ष – क्या मायोंग आज भी जादुई है?
मायोंग गांव कहां है?
मायोंग गांव भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम के मोरीगांव जिले में स्थित है। यह गांव ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा है और गुवाहाटी शहर से लगभग 40-50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान न सिर्फ अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के लोगों की तांत्रिक परंपराओं के कारण यह गांव एक रहस्य बन चुका है। —

मायोंग नाम का रहस्य
‘मायोंग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “माया” से मानी जाती है, जिसका अर्थ होता है भ्रम, जादू या मायाजाल। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस नाम का संबंध मणिपुर से आए एक जातीय समूह से भी हो सकता है जो “Mayang” कहे जाते थे। लेकिन स्थानीय मान्यता के अनुसार, मायोंग का नाम इसके तांत्रिक प्रभावों की वजह से ही पड़ा। —
मायोंग गांव का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
मायोंग गांव का इतिहास बहुत पुराना है। लोककथाओं में कहा जाता है कि महाभारत काल में भी यह स्थान अस्तित्व में था। ऐसा माना जाता है कि अर्जुन को दिव्यास्त्र प्रदान करने वाले भगवान शिव ने यहीं तपस्या की थी। इसके अलावा कई साधु-संतों और तांत्रिकों ने यहां वर्षों तक साधना की। मायोंग का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ और अन्य तांत्रिकों ने यहां साधना की थी।
यह गांव 500 सालों से अधिक समय से तंत्र-मंत्र, अघोरी साधना और काले जादू का केंद्र माना जाता रहा है। इतिहासकारों के अनुसार, मयोंग एक समय पर शक्तिपूजा और तांत्रिक अनुष्ठानों का सबसे बड़ा केंद्र हुआ करता था। यह स्थान “कामरूप” और “कामाख्या” क्षेत्र का हिस्सा रहा है, जो कि भारत के सबसे प्रमुख तांत्रिक स्थलों में गिने जाते हैं। —

काला जादू और तांत्रिक साधनाएं
मायोंग गांव को भारत में काले जादू की राजधानी कहा जाता है। यहां के लोग मानते हैं कि उनके पूर्वजों के पास अलौकिक शक्तियां थीं। कुछ प्रचलित मान्यताएं और प्रथाएं जो इस गांव को रहस्यमयी बनाती हैं: मंत्रों द्वारा जानवरों को काबू में करना हवा में गायब होने की शक्ति दूर बैठे व्यक्ति को तकलीफ या राहत देना बिना छुए हड्डी जोड़ देना रोगों का इलाज सिर्फ मंत्रों से करना यहां के तांत्रिक और ओझा अब भी कुछ विशेष उपचार विधियों का पालन करते हैं जिन्हें आम डॉक्टरों द्वारा समझना मुश्किल होता है। —
लोककथाएं और रहस्यमयी किस्से
मायोंग गांव से जुड़ी अनेक डरावनी और हैरान करने वाली कहानियां प्रसिद्ध हैं: एक लोककथा के अनुसार, एक तांत्रिक ने पूरे युद्ध को केवल मंत्रों के जरिए रोक दिया था। एक दूसरी कथा कहती है कि पुराने ज़माने में यहां बलि प्रथा प्रचलित थी, जिसमें इंसानों की बलि भी दी जाती थी। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने परिवार में ऐसी चीजें होते देखी हैं जो विज्ञान से परे थीं, जैसे कि हवा में उड़ते हुए पत्तों से भविष्य बताना या किसी को गायब कर देना। —

मायोंग का जादू संग्रहालय
मायोंग गांव में एक विशेष संग्रहालय भी है – “Mayong Central Museum and Emporium”। यहां पुराने तांत्रिक ग्रंथ, हड्डियों के औज़ार, पांडुलिपियां, काले जादू से जुड़ी दुर्लभ चीजें, ओझाओं द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुएं और लोकपौराणिक हथियार रखे गए हैं। कुछ प्रमुख ग्रंथ जो यहां संरक्षित हैं: कामरूप तंत्र , योगिनी तंत्र , भूत चिंतामणि माया रहस्य ये सभी दस्तावेज मायोंग की तांत्रिक परंपरा की गहराई को दर्शाते हैं।
ये ग्रंथ अब मायोंग संग्रहालय (Mayong Museum of Magic and Witchcraft) में सुरक्षित हैं।
लोगों के गायब होने की कहानी
कहा जाता है कि पुराने समय में तांत्रिक मंत्रों के द्वारा लोगों को हवा में गायब कर दिया जाता था।
इंसानों की बलि
इतिहास में कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जो मानव बलि और बलि स्थल की जानकारी देते हैं। माना जाता है कि किसी ज़माने में मायोंग में शक्ति प्राप्त करने के लिए बलि प्रथा प्रचलित थी।
इलाज का अनोखा तरीका
कुछ स्थानीय वैद्य आज भी जड़ी-बूटियों और मंत्रों की मदद से बीमारियों का इलाज करते हैं।
“बिना छुए हड्डी जोड़ना”, “डर हटाना” और “भूत-प्रेत से मुक्ति” जैसी विधियों का अभ्यास आज भी होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण बनाम जन विश्वास
आज की आधुनिक दुनिया में जहां विज्ञान हर रहस्य को हल करने की कोशिश करता है, वहीं मायोंग में अब भी बहुत से लोग इन परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह सब अंधविश्वास लगता है, लेकिन स्थानीय समुदाय इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत मानते हैं। विज्ञान यह भी मानता है कि कभी-कभी हर्बल मेडिसिन और प्लेसबो प्रभाव से भी चमत्कारी परिणाम मिलते हैं, जो इन ओझाओं की विधियों का एक हिस्सा हो सकता है। —
मायोंग कैसे पहुंचे?
अगर आप मायोंग घूमने का मन बना रहे हैं तो नीचे दिए गए मार्गदर्शन का पालन कर सकते हैं: निकटतम शहर: गुवाहाटी दूरी: लगभग 40–50 किलोमीटर कैसे पहुंचे: गुवाहाटी से कैब या बस द्वारा सीधा मोरीगांव और वहां से मायोंग गुवाहाटी रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से टैक्सी ले सकते हैं घूमने का सही समय: अक्टूबर से मार्च (ठंड का मौसम) —
निष्कर्ष – क्या मायोंग आज भी जादुई है?
मायोंग गांव आज भी रहस्य, जादू, आस्था और परंपरा का अनोखा संगम है। यह स्थान सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि भारत की लोक संस्कृति, आयुर्वेदिक चिकित्सा, और आध्यात्मिक विश्वासों की जीवंत मिसाल है। अगर आप भी रहस्यों में रुचि रखते हैं, तो मायोंग आपके लिए एक ऐसी यात्रा हो सकती है जो कभी नहीं भूलेगी।
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