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बेगूसराय अंधविश्वास: युवक की मौत के बाद शव पर रगड़ा गया आटा और बेलन

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बेगूसराय अंधविश्वास- के सदर अस्पताल में करंट लगने से मरे युवक को परिजनों ने जिंदा करने के लिए शव पर बेलन और आटा रगड़ा। डॉक्टर ने पहले ही मृत घोषित कर दिया था। जानिए पूरी घटना की चौंकाने वाली कहानी।

अंधविश्वास का मामला बिहार

📍बिहार के बेगूसराय सदर अस्पताल में दिखा अंधविश्वास का चौंकाने वाला नजारा

बेगूसराय अंधविश्वास – क्या है मामला?

शव पर आटा बेलन

बिहार के बेगूसराय सदर अस्पताल में एक 25 वर्षीय युवक मनीष कुमार की करंट लगने से मौत हो गई। लेकिन डॉक्टर द्वारा मृत घोषित किए जाने के बावजूद, उसके परिजनों ने मानने से इनकार कर दिया। परिजनों ने अस्पताल परिसर में ही युवक के शव को बेंच पर लिटाया, और जिंदा करने के लिए शरीर पर बेलन और आटा रगड़ना शुरू कर दिया।

बेगूसराय अंधविश्वास

वीडियो हुआ वायरल

इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि कई लोग युवक के शव के इर्द-गिर्द खड़े हैं और उसके परिजन बार-बार शरीर पर बेलन और आटा-पाउडर रगड़ रहे हैं। देखने वाले भीड़ जमा कर तमाशा देखती रही, पर कोई कुछ कहने वाला नहीं था।

कैसे लगी युवक को करंट?

घटना रिफाइनरी थाना क्षेत्र के मोसादपुर देवना गेट नंबर-10 की है। मनीष कुमार अपने गैरेज पर चार पहिया वाहन की वेल्डिंग कर रहा था। इसी दौरान ऊपर से गुजर रहे बिजली के तार से उसका हाथ सट गया और उसे तेज करंट लग गया। आनन-फानन में उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे सदर अस्पताल रेफर किया गया।

डॉक्टर ने मृत घोषित किया, परिजन माने नहीं

जब मनीष को बेगूसराय सदर अस्पताल लाया गया, तब तक उसकी हालत बेहद गंभीर थी। डॉक्टरों ने तुरंत जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया। लेकिन परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और शव को अस्पताल परिसर में ही एक बेंच पर लिटा दिया।

घरेलू नुस्खों से “जिंदगी” की तलाश

बेगूसराय अंधविश्वास – इसके बाद शुरू हुआ अंधविश्वास का खेल। परिजन मानने को तैयार नहीं थे कि मनीष मर चुका है। उन्होंने शरीर पर बेलन रगड़ना और आटा-पाउडर मलना शुरू कर दिया। यह सिलसिला लगभग एक घंटे तक चला, लेकिन जब कोई असर नहीं हुआ, तब जाकर पोस्टमार्टम के लिए शव को भेजा गया।

परिजनों का क्या कहना है?

मनीष के परिवार का कहना है कि:

मनीष सिर्फ घायल हुआ था, डॉक्टरों ने जल्दबाज़ी में मृत घोषित कर दिया।

डॉक्टरों ने सही से इलाज नहीं किया।

हमने अपने घरेलू तरीकों से बचाने की कोशिश की।

अस्पताल की एक नर्स मदद करने आई थी, लेकिन डॉक्टर ने उसे भी हटा दिया।

प्रशासन का जवाब

सिविल सर्जन अशोक कुमार ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा:

“युवक को मृत अवस्था में ही अस्पताल लाया गया था। डॉक्टरों ने सभी जरूरी जांच के बाद उसे मृत घोषित किया। परिजनों की ओर से अंधविश्वास और पारंपरिक विश्वास के चलते घरेलू उपाय किए गए, इससे अस्पताल प्रशासन का कोई लेना-देना नहीं है।”


समाज में अंधविश्वास की जड़ें

बेगूसराय अंधविश्वास – यह घटना सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि एक बड़े सामाजिक मुद्दे की तस्वीर है। जब शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और जागरूकता नहीं पहुंचती, तो इस तरह के अंधविश्वास पनपते हैं। परिजनों का भरोसा विज्ञान से ज्यादा परंपरागत घरेलू उपायों पर था, जो दुखद परिणाम लेकर आया।


निष्कर्ष: कब खत्म होगा अंधविश्वास?

बेगूसराय की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि 21वीं सदी में भी हम अंधविश्वास के दलदल से बाहर क्यों नहीं निकल पाए हैं? डॉक्टरों पर सवाल उठाना उचित हो सकता है, लेकिन बिना जांच के उन पर आरोप लगाना और शव के साथ ऐसा व्यवहार समाज के लिए भी खतरनाक संकेत है।

सुझाव

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाए जाएं

प्राथमिक उपचार और आपात स्थिति में क्या करें, इसकी जानकारी दी जाए

डॉक्टरों की जवाबदेही के साथ-साथ परिजनों की मानसिक स्थिति को भी समझा जाए


आपकी राय?

क्या आप मानते हैं कि अंधविश्वास के चलते मौतें हो रही हैं? क्या डॉक्टरों की भूमिका को लेकर अधिक पारदर्शिता जरूरी है?
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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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