Skip to content

सुरुतपल्ली का पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – जहां भगवान शिव पहली और एकमात्र बार लेटे दिखते हैं

Spread the love

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर :- आंध्र प्रदेश के सुरुतपल्ली स्थित पल्लीकोंडेश्वर स्वामी मंदिर में भगवान शिव का अनोखा ‘शयन मुद्रा’ में रूप देखने को मिलता है। जानिए इस मंदिर की खास पौराणिक कथा।

शिव: ब्रह्मांडीय चेतना का प्रतीक”शिव” शब्द का शाब्दिक अर्थ है “कल्याणकारी” या “शुभ”। इन्हें ‘महादेव’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘सर्वोच्च देवता’। हिंदू धर्म में शिव त्रिदेवों में एक प्रमुख स्थान रखते हैं — ब्रह्मा (सृजनकर्ता), विष्णु (पालनकर्ता) और शिव (संहारक)।

हालांकि ये तीन अलग-अलग रूप हैं, परंतु शिव इनमें एकात्मक चेतना के प्रतीक हैं। वे जन्म और मृत्यु के बंधनों से परे हैं — अनादि और अनंत। शैव मत में उन्हें “परब्रह्म” माना गया है, और वे समकालीन हिंदू धर्म के सबसे प्रभावशाली संप्रदायों में से एक के प्रमुख देवता हैं।

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर

स्मार्त परंपरा में भी शिव को ईश्वर के पाँच प्रमुख रूपों में एक माना गया है, जहाँ वे ‘परिवर्तन’ के द्योतक हैं।आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिव को असीम, निराकार, अपरिवर्तनीय और पारलौकिक चेतना का स्वरूप माना गया है। उनके स्वरूप दो प्रकार के माने जाते हैं — शांत और उग्र। शांत रूप में वे एक सिद्ध योगी के रूप में दिखाई देते हैं, जो कैलाश पर्वत पर ध्यान-साधना में लीन रहते हैं। वे एक आदर्श गृहस्थ भी हैं — अपनी पत्नी देवी पार्वती और पुत्रों गणेश व कार्तिकेय के साथ।

वहीं उग्र रूप में वे राक्षसों का संहार करते हुए दिखाई देते हैं, जो अन्याय के विनाश और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। शिव को योग, ध्यान और विभिन्न कलाओं के संरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है।शिव की पूजा केवल उनकी मानवरूपी मूर्तियों तक सीमित नहीं है।

शिवलिंग के रूप में उनकी आराधना विशेष महत्व रखती है। शिवलिंग सामान्यतः एक ऊर्ध्वाकार गोल स्तंभ के रूप में दर्शाया जाता है। “शिव” का अर्थ है “शुभता” और “लिंग” का अर्थ है “चिह्न” या “प्रतीक” — इस प्रकार शिवलिंग को उस दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है जो समस्त ब्रह्मांड की आधारभूत चेतना है।

कुछ व्याख्याओं में यह भी कहा गया है कि शिव वह चेतना हैं जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि प्रलय के समय लीन हो जाती है।हिंदू विश्वास के अनुसार शिव ही वे परमशक्ति हैं जो सृष्टि का निर्माण करते हैं, उसका पालन करते हैं और अंततः उसका संहार भी करते हैं। शिवलिंग इस परमसत्ता का प्रतीक रूप है — जो न केवल शुभ है, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की आत्मा भी है।

भारत एक ऐसा देश है जहां हर मंदिर, हर मूर्ति और हर कथा के पीछे कोई गूढ़ अर्थ और दिव्य अनुभव छिपा होता है।लेकिन क्या आपने कभी भगवान शिव को शयन मुद्रा (लेटे हुए) देखा है?अगर नहीं, तो आइए आपको लिए चलते हैं आंध्र प्रदेश के एक ऐसे रहस्यमय मंदिर की ओर, जहां शिवलिंग नहीं, बल्कि शिव स्वयं लेटे हुए हैं – उनकी आंखें अर्धनिद्रा में हैं और सिर मां पार्वती की गोद में टिका है।यह है – सुरुतपल्ली स्थित श्री पल्लीकोंडेश्वर स्वामी मंदिर।

सुरुतपल्ली पल्लीकोंडेश्वर मंदिर का रहस्य

सुरुतपल्ली पल्लीकोंडेश्वर मंदिर

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित छोटा-सा गांव सुरुतपल्ली (Surutapalli) भले ही बाहरी नजर से एक सामान्य गांव लगे, लेकिन इस गांव में स्थित शिव मंदिर की महिमा अत्यंत अलौकिक है।

यह मंदिर एकमात्र ऐसा स्थल है जहां भगवान शिव को विश्राम अवस्था में दिखाया गया है।यहां भगवान को ‘पल्लीकोंडेश्वर’ (Pallikondeswara – पल्लि = शैया; कोणड = लेटना) के रूप में पूजा जाता है।मंदिर के गर्भगृह में स्थापित यह मूर्ति अपने आप में दुर्लभ, भावनात्मक और चमत्कारी हे।

पौराणिक कथा: जब विषपान के बाद भोलेनाथ थक गए

इस अद्भुत मूर्ति के पीछे की कथा हमें ले चलती है पौराणिक समय में – समुद्र मंथन (Samudra Manthan) की घटना की ओर।जब देवता और दानव मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे,सबसे पहले निकला – हलाहल विष, जो इतना जहरीला था कि पूरी सृष्टि को भस्म कर सकता था।अब कोई इसे पीने को तैयार नहीं हुआ।तब सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और सृष्टि की रक्षा की गुहार लगाई

भगवान शिव का बलिदान

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – भगवान शिव ने बिना देर किए विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, ताकि वह शरीर के अंदर न जाए और संसार की रक्षा हो सके।लेकिन इस अत्यंत तेज़ जहर ने उनके शरीर को झकझोर दिया, जिससे वे अत्यंत थक और अशक्त हो गए।शिवजी एक जगह रुककर लेट गए, उनकी आंखें बंद थीं और शरीर शांत।

माता पार्वती यह देखकर तुरंत उनके पास आईं और सिर को अपनी गोद में रख लिया।उस पल का दृश्य था –एक थके हुए शिव,एक करुणामयी माता पार्वती,और दुनिया की सबसे सच्ची सेवा की छवि।यही वह क्षण है, जिसे आज भी श्री पल्लीकोंडेश्वर मंदिर में मूर्त रूप में देखा जा सकता है।

पल्लीकोंडेश्वर मूर्ति का वर्णन – आंखों देखा अलौकिक दृश्य

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – जब आप मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते हैं, तो सामने दिखाई देता है एक विशाल लेटे हुए भगवान शिव का रूप, जो 16 फीट लंबा है।

भगवान की आंखें अर्धमुद्रित हैं

माथे पर त्रिपुंड है

शरीर पर सर्पों की माला है

एक हाथ माता पार्वती के हाथ में है माँ पार्वती उनकी सेवा में नतमस्तक हैं, उनकी आंखों में करुणा है यह दृश्य भगवान के त्याग और माँ पार्वती के प्रेम दोनों का अद्भुत मिलन है।

पल्लीकोंडेश्वर का अर्थ और नाम की व्युत्पत्ति

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – “पल्ली” का मतलब तमिल/तेलुगु भाषा में होता है – शय्या “कोंड” = लेट जाना

“ईश्वर” = भगवान अर्थात् – जो शय्या पर लेटे हैं, वही हैं पल्लीकोंडेश्वर स्वामी। यह नाम शिव के उस दिव्य क्षण को अमर करता है जब उन्होंने विषपान के बाद सृष्टि की रक्षा के लिए अपनी चेतना तक दांव पर लगा दी थी

शास्त्रों और ग्रंथों में उल्लेख

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – कई शैव और पुराणिक ग्रंथों में इस घटना का उल्लेख है स्कंद पुराण और लिंग पुराण में “शिव के विषपान के बाद पार्वती की सेवा” की कथा वर्णित है श्रीधर स्वामी की टीकाओं में इस स्थान को “विश्रांति तीर्थ” कहा गया है


भावनात्मक महत्व – सेवा और प्रेम का प्रतीक

इस मंदिर में सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि आंतरिक भावनाओं की गहराई भी महसूस होती है। शिव यहां तांडव करते नहीं दिखते, वे थके हुए हैं

माता पार्वती सिर्फ पत्नी नहीं, साक्षात सेवा का रूप हैं यह हमें सिखाता है कि ईश्वर भी थकते हैं और जब वे थकते हैं, तो उन्हें भी किसी की करुणा, सहारा और सेवा की आवश्यकता होती है।

मंदिर का स्थान और यात्रा विवरण

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – स्थान: सुरुतपल्ली गांव, चित्तूर जिला, आंध्र प्रदेश निकटतम शहर: तिरुपति (65 किमी) और चेन्नई (60 किमी)

निकटतम रेलवे स्टेशन: पुथलपट्टू या तिरुपति

निकटतम एयरपोर्ट: चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट

सड़क मार्ग: चेन्नई से NH205 के जरिए सीधी पहुंच

मंदिर समय:

सुबह: 6:00 AM – 12:30 PM

शाम: 4:00 PM – 8:30 PM (त्योहारों पर विशेष दर्शन और रात्रि पूजन होता है

क्या देखें मंदिर में?

शिव-पार्वती की लेटे हुए मुद्रा की प्रतिमा

नंदी की प्रतिमा

63 नायनमार (शैव संतों) की मूर्तियाँ

पीछे छोटा सा शिवलिंग मंदिर वार्षिक प्रदोष उत्सव का आयोजन

त्योहार और विशेष आयोजन

प्रदोष व्रत (Pradosham)

हर महीने की त्रयोदशी को यहां विशेष रुद्राभिषेक और नृत्य अर्पण होता है।

सुरुट्टापल्ली वह पवित्र स्थान है जहाँ सबसे पहले प्रदोष पूजा की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है। मान्यता है कि यदि कोई भक्त शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर यहां पल्लिकोंडा भगवान शिव की श्रद्धा से पूजा करता है — जिन्होंने समुद्र मंथन के दौरान विषपान कर संसार की रक्षा की थी — तो वह व्यक्ति किसी भी प्रकार के हानि, बाधा या संकट से बच सकता है।

कहा जाता है कि:रुका हुआ प्रमोशन फिर से गति पकड़ता है,

शादी में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं,

और जो जोड़े आपसी मनमुटाव या दूरी के कारण अलग हो चुके हैं, उनके बीच फिर से संबंध मधुर बनते हैं।यह स्थान आस्था रखने वालों के लिए न केवल एक तीर्थ है, बल्कि आशा और पुनःसंभावनाओं का केंद्र भी है।

महाशिवरात्रि

यहां शिवरात्रि पर पूरी रात पूजा, संगीत, रुद्रपाठ और महाभिषेक होता है। हजारों भक्त इस दिन विशेष दर्शन के लिए आते हैं।

स्थानीय मान्यता और चमत्कार

स्थानीय लोगों का मानना है कि:

यहां पूजा करने से गंभीर बीमारियों में राहत मिलती है

विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं

मानसिक अशांति शांत होती है

विष, व्याधि और विकारों से मुक्ति मिलती है

कई श्रद्धालु यहां ध्यान, जप और मौन साधना के लिए भी आते हे।

निष्कर्ष: एक मंदिर, एक कथा, एक दिव्य अनुभव

पल्लीकोंडेश्वर मंदिर – सुरुतपल्ली का श्री पल्लीकोंडेश्वर मंदिर एक सामान्य मंदिर नहीं, बल्कि ईश्वर के त्याग, प्रेम और मानवीय भावनाओं का जीवंत चित्रण है।

जब भी आपको लगे कि आप थक गए हैं, जीवन की आपाधापी में टूट गए हैं एक बार सुरुतपल्ली आ जाइए। यहां लेटे हुए शिव को देखकर आपको लगेगा अगर शिव थक सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?

अगर माता पार्वती सेवा कर सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं सीख सकता प्रेम और समर्पण?

ऐसी ही और ताज़ा और भरोसेमंद खबरों के लिए — हमसे जुड़े रहिए।

₹2,156 करोड़ में बनी Avatar 3 का First Look जारी – खौफनाक Na’vi विलेन Varang से थर्राएगा Pandora

Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

Leave a Comment