निठारी कांड भारत के सबसे भयानक सीरियल मर्डर मामलों में से एक है, जिसमें बच्चों के गायब होने, हत्या और मानव मांस खाने जैसी वीभत्स घटनाएं सामने आई थीं। जानें इस केस की पूरी कहानी।
निठारी कांड एक ऐसा सच्चा अपराध है जिसने पूरे भारत को हिला कर रख दिया। यह केस सिर्फ हत्याओं तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें बच्चों का यौन शोषण, लाशों के टुकड़े, और मानव मांस खाने जैसी वीभत्स और रूह कंपा देने वाली घटनाएं शामिल थीं। इस केस ने नोएडा मर्डर केस के नाम से भी सुर्खियां बटोरीं।
निठारी गांव: एक शांत बस्ती की डरावनी सच्चाई
उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित निठारी गांव पहले एक सामान्य और शांत बस्ती के रूप में जाना जाता था। लेकिन साल 2005 से 2006 के बीच जब बच्चों के अचानक गायब होने की घटनाएं बढ़ने लगीं, तब इस गांव की छवि बदलने लगी।
गायब होते मासूम बच्चे
इस समय के दौरान गांव से लगातार बच्चे गायब हो रहे थे, लेकिन पुलिस ने इन शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। माता-पिता थानों के चक्कर काटते रहे, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ निराशा ही मिली।
वो दिन जब सच्चाई बाहर आई
29 दिसंबर 2006 को पुलिस ने एक अहम कदम उठाया और मोनिंदर सिंह पंधेर के घर की तलाशी ली। उसके घर के पीछे स्थित नाले से पुलिस को जो कुछ मिला, उसने पूरे देश को झकझोर दिया।
नाले से मिली लाशें और हड्डियां
- नाले से कई मानव खोपड़ियाँ मिलीं।
- कई बच्चों के कपड़े और जूते बरामद हुए।
- कुछ हड्डियों पर काटने के निशान थे, जिससे यह भी संदेह हुआ कि मानव मांस खाने
मुख्य आरोपी: मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरिंदर कोली
घर के मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर एक अमीर कारोबारी थे, और उनके नौकर सुरिंदर कोली को गिरफ्तार किया गया।
सुरिंदर कोली की कबूलनामे
पूछताछ में कोली ने कई बच्चों के अपहरण, यौन शोषण और हत्या की बात कबूली। वह बच्चों को बहला-फुसलाकर घर लाता, उनके साथ दरिंदगी करता, और फिर उनकी लाश को टुकड़ों में काटकर नाले में फेंक देता था।
यह सब उसने 2005 से 2006 के बीच किया, और अब तक कुल 16 हत्याएं प्रमाणित हो चुकी थीं, हालांकि असली संख्या इससे अधिक हो सकती है।
क्रूरता की हद: क्या यह केवल हत्या थी?
इस केस की सबसे खौफनाक बात थी कि सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि उसके बाद के कृत्य और भी वीभत्स थे।
क्या हुआ था बच्चों के साथ?
- अपराध से पहले यौन शोषण
- गला दबाकर हत्या
- लाश के टुकड़े कर देना
- कई मामलों में कैनिबलिज़्म (मानव मांस खाना)
शिकार की पहचान – मासूम चेहरों पर राक्षसी नजरें :-
सुरिंदर कोली दिन में चुपचाप पंधेर के बंगले में काम करता था, लेकिन उसकी आंखें हर समय घर के बाहर खेलते बच्चों पर लगी रहती थीं।
उसके शिकार में 4 से 14 साल की उम्र के बच्चे होते थे – गरीब, अकेले, या नौकरी की तलाश में भटकती बच्चियां।
“मैं देखता था किसके पास किसी को खोजने वाला नहीं है…”
– कोली का कबूलनामा, CBI रिपोर्ट से
वो बच्चों से कहता –
“आओ, टॉफी दूंगा। मालिक के घर काम मिलेगा।” अंदर आओ, पंखा है, गर्मी नहीं लगेगी…” और बच्चे… मासूम विश्वास के साथ उसके साथ चल पड़ते।
दरवाजे के पीछे मौत का कमरा
जैसे ही बच्चा उसके साथ B-27, सेक्टर 31, नोएडा के उस बंगले में दाखिल होता,
कोली उसे सीधे पीछले कमरे में ले जाता –
खिड़कियों पर मोटे पर्दे ,दरवाजे में अंदर से कुंडी और अलमारी में धारदार चाकू, रस्सी और पॉलीथीन
“वो चीखते थे… मैं उनका मुंह दबा देता था।”
– कोली
कोली बच्चों को ज़मीन पर गिराकर उनके ऊपर चढ़ जाता और अपने दोनों हाथों से उनका गला दबाता कभी कपड़ा लपेटकर खींचता कभी तकिए से मुंह दबाता उनकी चीखें घुट जातीं, उनके पैर हवा में तड़पते… और फिर शरीर शांत हो जाता।जब बच्चा मर जाता, कोली उसकी लाश के साथ बलात्कार करता था।यह बात CBI के अफसरों तक को मानसिक रूप से तोड़ गई।
बलात्कार के बाद कोली लाश को किचन के स्लैब पर लाता।कोली कभी-कभी शवों का मांस अपने लिए बचा कर रखता था।
वह कहता था – “मैं प्याज के साथ थोड़ा सा भूनकर खाता था… जैसे बकरे का गोश्त।”
वहां रखा होता –एक लंबा धारदार चाकू ,लोहे की कुल्हाड़ी ,साफ़ पॉलीथीन और रस्सी ,वह धीरे-धीरे शव के हाथ, पैर, सिर काटता ,पेट चीरकर अंग निकालता , कुछ हड्डियां वह बालकनी में सुखाता, बाकी टुकड़े पॉलीथीन में भरकर सीवर नाले में फेंक देता।
CBI की फोरेंसिक टीम को किचन में खून के धब्बे ,चाकू पर त्वचा के टुकड़े, और फ्रिज में संदिग्ध मांस मिला था।
हर हत्या के बाद कोली शव के टुकड़े
बंगले के पीछे सीवर नाले में फेंक देता था।
यह जगह धीरे-धीरे हड्डियों और कपड़ों का ढेर बन गई।
जब 2006 में पुलिस ने तलाशी ली :-
तो उस नाले से निकले – 16 बच्चों की खोपड़ियाँ, 50 से ज़्यादा हड्डियाँ, और लाल रिबन, चप्पलें, स्कूली बैग…
ये बच्चों का नहीं, नरक का घर था…”
– स्थानीय पत्रकार
मनोविज्ञान: क्या था कोली के दिमाग में?
कोली को क्लासिकल सीरियल किलर पैटर्न वाला अपराधी माना गया:
उसे बच्चों की चीखें अच्छी लगती थीं
उसे लाशों से सेक्स करने में संतुष्टि मिलती थी
भोजन में मानव मांस शामिल करना उसे “आत्मिक तृप्ति” देता था
CBI की रिपोर्ट में कहा गया कि “वह इंसान नहीं, नरभक्षी राक्षस था।”
पुलिस और मीडिया की भूमिका
शुरुआत में पुलिस की लापरवाही इस केस को बढ़ावा देने में मददगार रही। कई महीने तक पुलिस ने केस को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते और भी बच्चों की जान गई। लेकिन जब मामला मीडिया में आया, तो पुलिस और CBI को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।
CBI की जांच और कोर्ट का फैसला
CBI ने केस को अपने हाथ में लिया और विस्तृत जांच शुरू की। सुरिंदर कोली को कई मामलों में मौत की सज़ा
समाज पर असर: डर, गुस्सा और सवाल
निठारी कांड ने भारत में बच्चों की सुरक्षा, पुलिस की संवेदनहीनता और न्याय व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े किए।
लोगों में फैला डर
इस केस के बाद न सिर्फ निठारी बल्कि पूरे देश में लोगों के मन में डर बैठ गया। माता-पिता अपने बच्चों को अकेला छोड़ने से डरने लगे।
मीडिया और जन आक्रोश
मीडिया ने इस केस को लगातार कवर किया, और जनआंदोलन की वजह से ही यह केस न्याय तक पहुंच पाया। वरना शायद यह भी बाकी लापता बच्चों की तरह अंधेरे में चला जाता।
आज भी जिंदा है निठारी कांड की परछाईं
आज भले ही इस केस को 15+ साल हो गए हों, लेकिन निठारी कांड की परछाईं अब भी नोएडा की गलियों में महसूस होती है।
कोली की फांसी अब तक टली हुई
हालांकि सुरिंदर कोली को फांसी की सज़ा मिल चुकी है, लेकिन कानूनी पेचीदगियों और माफीनामों के चलते उसकी फांसी अब तक टलती रही है।
क्या मोनिंदर पंधेर सच में निर्दोष था?
मोनिंदर पंधेर की भूमिका को लेकर आज भी संदेह बना हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि इतने वीभत्स अपराध उसकी जानकारी के बिना नहीं हो सकते।
निष्कर्ष: क्यों यह केस Mahalaxmi Murder Case जितना डरावना है
बिंदु | निठारी कांड | Mahalaxmi केस |
---|---|---|
हत्या की संख्या | 16+ | 1 |
लाश के टुकड़े | हड्डियाँ और खोपड़ियाँ | 59 टुकड़े |
मानव मांस खाना | संभावित | नहीं |
शिकार | बच्चे | पति |
मीडिया कवरेज | राष्ट्रीय स्तर पर | स्थानीय स्तर पर |
निठारी कांड पर आधारित एक वेब सीरीज़ बनी है, जिसका नाम Sector 36 है। यह एक हिंदी क्राइम थ्रिलर फिल्म है जो 13 सितंबर 2024 को Netflix पर रिलीज़ हुई थी।
FAQs – निठारी कांड से जुड़े आम सवाल
1. निठारी कांड कब हुआ?
यह कांड मुख्य रूप से 2005 से 2006 के बीच हुआ था।
2. इसमें कितने लोग मारे गए?
अब तक 16 हत्याओं की पुष्टि हुई है, लेकिन असल संख्या इससे ज़्यादा हो सकती है।
3. क्या दोषियों को सजा मिली?
सुरिंदर कोली को मौत की सजा दी गई है, लेकिन अभी तक फांसी नहीं हुई है।
4. क्या मोनिंदर पंधेर भी दोषी है?
कुछ मामलों में दोषी करार दिया गया, लेकिन कई मामलों में उसे बरी किया गया है। —
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