जयपुर साइबर फ्रॉड : जयपुर पुलिस ने चीन से संचालित हो रहे ₹8 करोड़ के साइबर ठगी रैकेट का पर्दाफाश किया। जानें कैसे फर्जी ऐप्स और रिव्यू स्कीम्स के जरिए लोगों को फंसाया गया।
जयपुर साइबर फ्रॉड : ब्लॉग के मुख्य बिंदु (Table of Content)
- जयपुर में क्या हुआ – घटना की पूरी जानकारी
- चीनी कनेक्शन: कौन चला रहा था यह रैकेट?
- ठगी का तरीका – रिव्यू स्कीम और ऐप्स का इस्तेमाल
- पुलिस की कार्रवाई: कैसे पकड़े गए आरोपी
- किन-किन राज्यों में फैला था नेटवर्क
- आपके लिए सबक: ऐसे बचें इस तरह की साइबर ठगी से
- निष्कर्ष: डिजिटल सुरक्षा की बढ़ती ज़रूरत
जयपुर में क्या हुआ – ₹8 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा
18 जून 2025 को, दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने जयपुर में चल रहे एक हाई-प्रोफाइल ऑनलाइन साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया।
इस गिरोह ने अब तक भारत के हज़ारों लोगों से लगभग ₹8 करोड़ की ठगी की थी।
गिरफ्तार हुए तीन आरोपी जयपुर से ऑपरेट कर रहे थे और इनका लिंक चीन के ऑनलाइन साइबर नेटवर्क से था।
चीनी कनेक्शन: कौन चला रहा था यह रैकेट?
जयपुर साइबर फ्रॉड : पुलिस जांच में सामने आया कि इस साइबर फ्रॉड रैकेट का संचालन भारत में बैठे एजेंट्स के जरिए हो रहा था, लेकिन मुख्य कंट्रोल चीन से किया जा रहा था।
सभी डिजिटल पेमेंट, व्हाट्सएप नंबर, ऐप्स और वेब पोर्टल्स चीन से डिजाइन और डिप्लॉय किए गए थे।
गिरोह का मकसद था – लोगों को ‘छोटे इनामों’ के लालच में फंसाकर मोटी रकम ऐंठना।
ठगी का तरीका – कैसे फंसते थे लोग?
जयपुर साइबर फ्रॉड : इस रैकेट का ठगी का तरीका बेहद चौंकाने वाला था:
फर्जी रिव्यू स्कीम्स:
जयपुर साइबर फ्रॉड : लोगों को सोशल मीडिया या मैसेज के ज़रिए कहा जाता –
“इस लिंक पर क्लिक कर अमेज़न/फ्लिपकार्ट प्रोडक्ट का रिव्यू करो और ₹1000-₹5000 तक कमाओ”।
पहले ₹100-₹200 असली पेमेंट दी जाती थी।
फिर उनसे कहा जाता था कि “बड़ा बोनस पाने के लिए ₹10,000 या ₹50,000 जमा करें।”
और जमा करते ही वेबसाइट बंद हो जाती, नंबर ब्लॉक हो जाता।
फेक ऐप्स और पोर्टल्स:
गिरोह ने कुछ फेक ऐप्स बनाए थे जो असली की तरह दिखते थे, जैसे:
ShoppingWinApp
ReviewPlusClub
BonusEarners
पुलिस की कार्रवाई: कैसे पकड़े गए आरोपी ?
जयपुर साइबर फ्रॉड : दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट ने टेक्निकल सर्विलांस और बैंक ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग के ज़रिए तीन आरोपियों को जयपुर के वैशाली नगर और मानसरोवर इलाके से गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपी:
अर्जुन सेन – 26 वर्ष, IT इंजीनियर
दीपक मीणा – 31 वर्ष, मार्केटिंग बैकग्राउंड
ली चांग वू (असली नाम पता नहीं) – चीन से रिमोट कंट्रोल करने वाला मास्टरमाइंड
उनके पास से बरामद:
15 मोबाइल फोन
28 फर्जी सिम कार्ड
40 से अधिक फर्जी बैंक खाते
₹4.2 लाख कैश
लैपटॉप्स और हार्ड ड्राइव
किन-किन राज्यों में फैला था नेटवर्क?
जयपुर साइबर फ्रॉड : पुलिस के अनुसार इस रैकेट का नेटवर्क दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, और बंगाल तक फैला हुआ था।
प्रमुख राज्य:
महाराष्ट्र – सबसे ज्यादा शिकायतें
दिल्ली – मुख्य टेक्निकल ऑपरेशन
राजस्थान – फ्रंट ऑपरेशन बेस
पुलिस अब बाकी नेटवर्क की भी जांच कर रही है।
घटना का पूरा खुलासा
किसने किया शिकार?
जयपुर साइबर फ्रॉड : पीड़ित: K Kant (नाम आंशिक रूप से बताया गया), सोशल मीडिया पर फर्जी “hotel/restaurant review” के नाम पर फंसाया गया।
ठगी की राशि: ₹15.8 लाख से अधिक, कई लेनदेन।
दिनांक 19 जून 2025 को दिल्ली पुलिस ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया ।
ठगी कैसे हुई?
- Telegram पर संपर्क – फर्जी अकाउंट;
- बिटवीन: शुरुआत में छोटे-छोटे पेमेंट्स;
- फिर “account unfreezing”, “credit score improvement” आदि बहाने बनाकर ₹15.8 लाख से ऊपर राशि ले ली गई । 4. राशि फटाफट Tether (USDT) में बदलकर चीनी हैंडलर को ट्रांसफर की गई—20 मिनट के भीतर ।
आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी
जयपुर साइबर फ्रॉड : गिरफ्तार :
Mahender Singh Rajawat (25), DCM रोड, Jaipur
Ariph Khan (25), Main Market Jaipur
Laxmi Narayan Vaishy (23), Jagatpura area Jaipur
गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट ने बैंक ट्रांजैक्शन और WhatsApp संवाद की जांच से की ।
तकनीकी कार्रवाई
WhatsApp चैट, बैंक‑लिंक ट्रैक, Telegram संदेशों और तकनीकी इनवेस्टिगेशन के आधार पर पुलिस ने सटीक पहचान की ।
संदर्भ में बड़े पैमाने पर साइबर अपराध
इस घटना को स्थानीय स्तर पर देखना पर्याप्त नहीं है; भारत में ‘Digital Arrest’ जैसे साइबर फ्रॉड की बढ़ती प्रवृत्ति को समझने के लिए अन्य केस भी हैं :
- डिजिटल कोर्ट रूम में फंसा 75 वर्षीय व्यक्ति, ₹23.56 लाख की ठगी
होटल के कमरे में वीडियो कॉलबिंद courtroom setup; पीड़ित को धोखा दिया गया कि वह CBI केस में है ।
पूरा घटनाक्रम – नकली कोर्ट रूम की स्क्रिप्ट कैसे चली?
जयपुर साइबर फ्रॉड :Step-by-Step स्कैम प्रक्रिया:
- फर्जी कॉल – पीड़ित को फोन आया कि उनका Aadhaar नंबर किसी ड्रग डीलिंग केस में मिला है (Classic “digital arrest” tactic)।
- वीडियो कॉल पर धमकी – खुद को CBI अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने ज़ूम/वीडियो कॉल पर उन्हें कहा:
“आपको एक वर्चुअल कोर्ट रूम में पेश किया जा रहा है”
“बचने के लिए अब डिजिटल प्रक्रिया में सहयोग करना होगा”
- होटल रूम का सेटअप –
जयपुर के एक 3‑स्टार होटल में नकली कोर्ट सेटअप किया गया:
एक टेबल के सामने एक आदमी जज की तरह बैठा
पीछे तिरंगा और संविधान की फोटो
कोर्ट की तर्ज़ पर सवाल‑जवाब की एक्टिंग
- कई वीडियो कॉल्स –
75 वर्षीय बुज़ुर्ग को कई दिन तक अलग-अलग नामों से कॉल किए गए जैसे:
“CBI इंस्पेक्टर”
“कोर्ट क्लर्क”
“डिजिटल जज”
पैसा वसूलना –
कहा गया कि “अगर बेल चाहिए तो ₹23.56 लाख ज़मानत राशि दो”
बुज़ुर्ग ने डर के मारे धीरे-धीरे पैसे ट्रांसफर किए
खाते अलग-अलग थे, कुछ क्रिप्टो के जरिए USDT में कन्वर्ट हुए
कैसे बनाते हैं नकली कोर्टरूम? टेक्नोलॉजी + मनोविज्ञान
जयपुर साइबर फ्रॉड :चीज़ कैसे इस्तेमाल होती है
होटल रूम कोर्ट रूम जैसा बनाया जाता है – सफेद दीवारें, कुर्सी, टेबल, बैकग्राउंड
वीडियो कॉल Zoom/Skype/WhatsApp पर वीडियो कॉल होती है
फर्जी ID और बैज स्क्रीन पर “Govt. of India” वाले नकली बैज और ID कार्ड दिखाए जाते हैं
Legal words Bail, Remand, FIR, Section 302 जैसे शब्दों से डराया जाता है
Emotional Threat “अगर सहयोग नहीं किया तो आपकी प्रॉपर्टी जब्त होगी” जैसी बातें
- झारखंड से संचालित बैंक‑कस्टमर फेक verification रैकेट
अनिल कुमार मंडल गिरफ्तार, ₹8 लाख का धोखाधड़ी, Remote‑access apps के जरिए फाइनेंशियल डेटा चोरी ।
- राजस्थान में फेक मोबाइल ऐप “SBI REWARDZ.apk” से डेटा चोरी
विंडो द्वारा sensitive financial data चुराया जा रहा था ।
आपके लिए सबक: कैसे बचें इस तरह की साइबर ठगी से?
सावधान रहें:
जयपुर साइबर फ्रॉड :अगर कोई वेबसाइट या ऐप आपसे पैसे मांगती है “बोनस या इनाम” देने के नाम पर – तो सतर्क हो जाएं।
सिर्फ सरकारी अथवा वैरिफाइड ऐप्स का ही उपयोग करें।
इन चीजों से बचें:
WhatsApp पर आने वाले “फ्री पैसे कमाओ” स्कीम्स
ऐसे लिंक जो किसी अज्ञात नंबर से आए हों
फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर
Cyber Crime Helpline:
1930 (India Cyber Crime Helpline)
www.cybercrime.gov.in
डिजिटल इंडिया के साथ डिजिटल धोखेबाज भी बढ़ रहे हैं
जयपुर साइबर फ्रॉड : जयपुर का यह मामला हमें बताता है कि कैसे डिजिटल तकनीक का दुरुपयोग कर इंटरनेशनल गैंग्स भारतीयों को निशाना बना रहे हैं।
पुलिस की तत्परता सराहनीय है, लेकिन अब समय आ गया है कि हर नागरिक को साइबर जागरूकता दी जाए।
“फ्री की चीज़ों से बचिए, वरना सब कुछ फ्री में चला जाएगा…”
क्या आपको कभी ऐसा कोई मैसेज या ऐप मिला है?
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