2022 में केरल के कोच्चि शहर में हुआ एक ऐसा दिल दहला देने वाला मानव बलि कांड , जिसमें 2 गरीब महिलाओं की तांत्रिक बलि चढ़ाई गई। पढ़िए इस सच्चे और खौफनाक अपराध की पूरी कहानी।

विषय-सूची
- एक ऐसी सच्ची घटना, जो रूह कंपा दे
- क्या हुआ था उस दिन?
- कौन थीं वे महिलाएं?
- कसूरवार कौन थे?
- बलि की भयानक रीतियां
- क्या थी मानसिकता इन हत्यारों की?
- कैसे खुला यह राज?
- कहानी का अंत… या कोई नई शुरुआत?
एक ऐसी सच्ची घटना, जो रूह कंपा दे
भारत में टोनही, तंत्र-मंत्र, और बलि जैसी बातें अक्सर गांवों तक सीमित मानी जाती हैं। लेकिन जब कोच्चि जैसे पढ़े-लिखे शहर में एक 21वीं सदी में मानव बलि का मामला सामने आता है, तो यह पूरे देश की रूह को झकझोर देता है। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक सच्चा, दिल दहला देने वाला किस्सा है।
क्या हुआ था उस दिन?
सितंबर और अक्टूबर 2022 कोच्चि में दो अलग-अलग दिनों पर, कोच्चि के पथानामथिट्टा जिले में दो महिलाओं को अगवा किया गया और फिर उनकी बलि चढ़ा दी गई। यह सब एक तांत्रिक के कहने पर हुआ जिसने दावा किया कि मानव बलि से दौलत, शांति और समृद्धि मिलेगी।
कौन थीं वे महिलाएं?

रोज़लीन — एक टूटे हुए जीवन की तस्वीर
49 वर्षीय रोज़लीन, पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी, लेकिन अब कोच्चि की झुग्गी में अकेली रहती थी। कभी घर की देखभाल करने वाली माँ, फिर परिस्थितियों के मारे सेक्स वर्कर बन गई। रोज़लीन के पास परिवार नहीं था, कोई नहीं जो उसे खोजे या बचाए।
उस दिन, उसे बताया गया कि एक तांत्रिक उसे उसके पुराने पापों से मुक्त कर देगा और पैसे भी देगा। उसे यह नहीं पता था कि वह जिस “मोक्ष” की ओर जा रही है, वह मौत का दरवाज़ा है।
26 सितंबर 2022 – पहली बलि: रोज़लीन की मौत
कोच्चि की एक सुनसान गली में शाम के करीब 4 बजे एक महिला — रोज़लीन — ऑटो से उतरती है। वह परेशान है लेकिन पैसों की ज़रूरत ने उसे मजबूर कर रखा है। उसे एक “क्लाइंट” ने 15,000 रुपये देने का वादा किया है। ऑटो से उतरते ही एक अधेड़ महिला — लेला — उसे मुस्कुरा कर अंदर बुलाती है। दरवाज़ा धीरे-धीरे बंद होता है।
रसोई के उस छोटे से कमरे में मोमबत्तियां जल रही हैं, फर्श पर लाल सिंदूर और नींबू रखे हैं, और दीवारों पर कुछ भयानक चित्र बने हैं — जैसे किसी ने रक्त से चित्रकारी की हो। रोज़लीन असहज हो जाती है, लेकिन पैसे के लालच में वह रुक जाती है।
रसदन, जो खुद को तांत्रिक कहता है, अंदर आता है। वह मंत्र पढ़ना शुरू करता है और कहता है कि “तुझे देवी की शक्ति चाहिए तो बलिदान देना होगा।” अगले ही पल, लेला पीछे से रस्सी लेकर आती है और रोज़लीन के हाथ बांध देती है। वह चिल्लाती है, लेकिन कमरे में आवाज़ बाहर नहीं जाती।
फिर रसदन एक तेज़ धार वाली दरांती निकालता है… और गला काट देता है। कमरे में खून की धार बह जाती है। शरीर को प्लास्टिक की चादर में लपेटकर टुकड़ों में बांटा जाता है। कुछ हिस्सों को तांत्रिक क्रियाओं में उपयोग किया जाता है और बाकी को गड्ढे में गाड़ दिया जाता है।

11 अक्टूबर 2022 – दूसरी बलि: पद्मा की चीख़
17 दिन बाद वही प्लान दोहराया जाता है।
52 साल की पद्मा मूल रूप से तमिलनाडु की रहने वाली थी। एक माँ, जो बेटियों से अलग हो चुकी थी। वह एक ढाबे में काम करके गुज़ारा करती थी लेकिन आमदनी इतनी कम थी कि वह गुप्त रूप से देह व्यापार करने लगी थी। वह किसी को नहीं बताती थी कि रात को कहाँ जाती है।
11 अक्टूबर को जब वह रसदन की गाड़ी में बैठी, तो उसके हाथ में 100 रुपये का नोट था — शायद आखिरी बार कुछ खरीदने का सपना लिए।
52 साल की पद्मा को 15,000 रुपये और “पूरे दिन का खाना” देने का झांसा दिया गया। इस बार रसदन खुद उसे बुलाता है, और कोच्चि गाड़ी से लेकर आता है। लेला फिर वही तांत्रिक कमरा तैयार करती है — मोमबत्तियां, अगरबत्तियां, और हड्डियों से बना एक हार।
पद्मा जैसे ही कमरे में घुसती है, उसे अजीब सी गंध लगती है — जैसे किसी सड़े हुए मांस की। लेकिन पैसे की मजबूरी और एक दिन की रोटी ने उसे वहां रोके रखा।
रसदन मंत्र पढ़ना शुरू करता है और फिर अचानक उसे नीचे गिरा देता है। तीनों मिलकर उसे कुर्सी से बांध देते हैं। उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया जाता है। वह जान चुकी होती है कि आज वह ज़िंदा नहीं लौटेगी।
इस बार रसदन ने कहा — “यह बलि विशेष है, समृद्धि और यौन शक्ति के लिए।”
उसके बाद उसी दरांती से गला रेता जाता है। खून की धार फर्श पर बहती है और रसदन, लेला और भगवल तीनों उस खून को अपने माथे पर लगाते हैं। फिर वही प्रक्रिया — शव के टुकड़े, कुछ हिस्सों को काली पूजा में इस्तेमाल करना और बाकी को जलाना या दफनाना।
पुलिस जब वहां पहुंची, तो कमरे में दीवार पर खून से लिखी इबारतें मिलीं — “शक्ति आओ”, “बलिदान स्वीकार हो”। पूजा के लिए इस्तेमाल हुए शव के अंग, खून सनी चटाई, और एक “हड्डियों की माला” भी बरामद हुई।
रसदन उर्फ मुहम्मद शफी — एक शैतानी तांत्रिक :-
उसका असली नाम मुहम्मद शफी था, लेकिन वह “रसदन” नाम से पहचाना जाता था। पहले भी बलात्कार और धोखाधड़ी के केस में जेल जा चुका था। जेल से निकलने के बाद उसने खुद को “तांत्रिक” घोषित किया।
उसकी खासियत थी — लोगों की कमजोरियों को पकड़ना। उसने भगवल सिंह और लेला को यह यकीन दिलाया कि वे मानव बलि से अमीर और शक्तिशाली हो सकते हैं। उसका असली मकसद सिर्फ हिंसा, खून और सेक्सुअल संतुष्टि था।
विशेषज्ञों का मानना है -कि रसदन एक sexual sadist psychopath था — उसे दूसरों को पीड़ा देने में संतुष्टि मिलती थी। वो मानता था कि महिला की बलि से उसे “ऊर्जा” मिलती है। कई बार उसने पूजा के बहाने नग्नता, अंग स्पर्श और यौनाचार भी किया।
कसूरवार कौन थे?

केस में तीन मुख्य आरोपी थे:
- भगवंतन (Muhammed Shafi उर्फ रसदन): कोच्चि के एक साइकोपैथ जो खुद को तांत्रिक बताता था। असली मास्टरमाइंड वही था।
- Laila और उसका पति Bhagaval Singh: यह दंपति शांति, समृद्धि और सेक्सुअल प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए तंत्र-मंत्र की ओर मुड़े। रसदन ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मानव बलि से सब कुछ बदल जाएगा।
बलि की भयानक रीतियां
रसदन ने दोनों महिलाओं को एक-एक कर अपने जाल में फंसाया। उन्हें कोच्चि के गेस्टहाउस में लाया गया, जहां पहले उनका गला काटा गया और फिर शरीर के टुकड़े किए गए। शरीर के कुछ हिस्सों को “बलि” के नाम पर रिवाजों में इस्तेमाल किया गया। कुछ हिस्सों को दफनाया गया, तो कुछ को कथित रूप से ‘रसोई’ में जलाया भी गया।
पूरा अपराध इतना क्रूर और योजनाबद्ध था कि यह किसी हॉरर फिल्म की स्क्रिप्ट जैसा लगता है, लेकिन हकीकत इससे भी डरावनी है।
क्या थी मानसिकता इन हत्यारों की?

तीनों अपराधियों की मानसिक स्थिति पर विशेषज्ञों ने कई बातें कही। रसदन को एक ‘sexual sadist psychopath’ कहा गया, जिसे दूसरों को दर्द देने में आनंद आता था। वहीं, लेला और भगवल जैसे पढ़े-लिखे लोग भी इस तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के दलदल में ऐसे फंसे कि दो निर्दोष महिलाओं की बलि चढ़ा दी।
यह घटना साबित करती है कि केवल अशिक्षा ही नहीं, बल्कि मानसिक कमजोरी और अंधभक्ति भी खतरनाक हो सकती है।
कैसे खुला यह राज?
जब पद्मा के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई, तब पुलिस को शक हुआ। कॉल रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस रसदन तक पहुंची। पूछताछ के बाद उसने सब कुछ उगल दिया — न केवल पद्मा की हत्या, बल्कि एक और महिला रोज़लीन की भी बलि दी गई थी।
जांच के दौरान घटनास्थल से खून के निशान, शव के टुकड़े, तंत्र-मंत्र से जुड़ी सामग्रियां, और रेसिपी जैसी ‘ritual lists’ भी बरामद हुईं।
कहानी का अंत… या कोई नई शुरुआत?
2022 का कोच्चि मानव बलि मामला केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के उस अंधेरे कोने की झलक है, जहाँ अंधविश्वास, लालच और मानसिक रोग मिलकर इंसानियत का गला घोंट देते हैं। यह केस आज भी अदालत में चल रहा है, और देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या हमारी आधुनिकता वाकई इतनी सतही है कि अंधविश्वास अब भी लोगों को हैवान बना सकता है? यह कहानी एक चेतावनी है — कि अगर हम जागरूक न हुए, तो अगला बलिदान कहीं और भी हो सकता है।
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