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कमरा नंबर 11-कलकत्ता हाईकोर्ट का एक भूतिया कमरा

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कलकत्ता हाईकोर्ट के कमरा नंबर 11 से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं, जिसे वर्षों तक बंद रखा गया। क्या यह सच में है भूतिया? पढ़ें पूरी कहानी।

भारत में कानून के इतिहास में कलकत्ता हाईकोर्ट (अब कोलकाता हाईकोर्ट) का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। लेकिन इसी इमारत के भीतर एक कमरा है, जिसे लेकर दशकों से रहस्य और डर की कहानियाँ जुड़ी हुई हैं — कमरा नंबर 11 (Room No. 11)।

कमरा नंबर 11

यह कोई आम अदालत का कमरा नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जिसे लंबे समय तक बंद रखा गया, जहाँ न्यायाधीशों और कर्मचारियों ने अजीबो-गरीब घटनाओं की बात की है। कहा जाता है कि यह कमरा भूतिया है, और यहाँ कुछ ऐसा हुआ था जिसने इसे हमेशा के लिए रहस्य का केंद्र बना दिया।

कमरा नंबर 11:- इतिहास की परतें और रहस्य की शुरुआत

कलकत्ता हाईकोर्ट की स्थापना 1 जुलाई 1862 को हुई थी। इसे भारत की सबसे पुरानी उच्च न्यायालयों में गिना जाता है। परंतु, कमरा नंबर 11 का जिक्र किसी कानूनी फैसले से नहीं, बल्कि रहस्यमय और अलौकिक घटनाओं से होता है।

मान्यताओं के अनुसार:

१९८० के दशक में इस कमरे में एक वकील की रहस्यमयी मौत हो गई थी।

लोगों का कहना है कि उस वकील की आत्मा अब भी इस कमरे में भटकती है।

कुछ कर्मचारियों ने बताया है कि उन्होंने उस कमरे से अजीब सी आवाजें सुनी हैं — जैसे कोई कुर्सी खींच रहा हो, फाइलें पलटी जा रही हों, या कोई धीमी आवाज में कुछ बोल रहा हो।

इन घटनाओं के कारण कोर्ट प्रशासन ने इसे “सील” कर दिया और यह वर्षों तक बंद रहा।

कमरा नंबर 11

कोर्ट की कार्यवाही और आधिकारिक स्थिति

हालांकि किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ में “भूतिया” शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन यह सच है कि कमरा नंबर 11 को लंबे समय तक प्रयोग में नहीं लाया गया।

कुछ वरिष्ठ वकीलों और जजों ने इसे महज “संयोग” या “पुरानी इमारत के कारण होने वाली ध्वनियाँ” कहा, लेकिन इसके बावजूद किसी ने इस कमरे को दोबारा नियमित उपयोग में लेने की बात नहीं की।

2014 में एक बार फिर से इस कमरे को खोला गया, ताकि यह जांचा जा सके कि इसे फिर से प्रयोग में लाया जा सकता है या नहीं। लेकिन इसके बाद भी इस कमरे को लेकर डर बना रहा।

स्थानीय लोग और कर्मचारियों की मान्यताएँ

कोर्ट के पुराने कर्मचारियों और आसपास के लोगों का मानना है कि:

इस कमरे में किसी आत्मा का वास है।

एक बार किसी सफाईकर्मी ने रात में गलती से इस कमरे का दरवाज़ा खोल दिया था, और उसके बाद उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई।

कुछ लोगों ने इस कमरे के पास से गुजरते समय ठंडी हवा का झोंका महसूस किया जबकि वह इलाका पूरी तरह बंद था।

क्या यह सिर्फ एक अफवाह है?

ऐसे मामलों में हमेशा दो पहलू होते हैं:

1. तथ्य — इमारत पुरानी है, लकड़ी की बनी सीढ़ियाँ और खिड़कियाँ हैं, जिससे ध्वनि उत्पन्न हो सकती है।

2. मान्यताएँ — जब कोई घटना बार-बार घटती है और लोग उसका तर्क नहीं खोज पाते, तब वे उसे अलौकिक मानने लगते हैं।

कमरा नंबर 11 का रहस्य भी शायद इन्हीं दोनों के बीच में कहीं छिपा हुआ है।

वास्तविक अनुभव और घटनाएँ

1. Ghostbusters (Detectives of Supernatural) टीम का आवेदन

एक पेरानॉर्मल जांच टीम ने अदालत की रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजा ताकि वे कमरा नंबर 11 में रात रहकर वहां की “अप्राकृतिक गतिविधियाँ” का वैज्ञानिक परीक्षण कर सकें  ।

ऐसा कहा जाता है कि पुलिसकर्मियों और चपरासियों ने रात के वक्त यहां अदृश्य आवाजें, कदम, और जज तथा क़ैदियों की छायाएँ देखी  ।

टीम के संस्थापक देवराज सान्याल ने बताया कि उन्होंने लगभग दो महीने पहले हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उदय कुमार के कार्यालय में इस संबंध में अपील की थी। उनका कहना है कि वह उन कहानियों और अफवाहों की सच्चाई जानना चाहते हैं जो सालों से कोर्ट के कुछ कमरों, खासकर कमरा नंबर 11, को लेकर कही जाती रही हैं।

देवराज सान्याल ने कहा,

“हम ये देखना चाहते हैं कि जो कुछ लोग सालों से कहते आ रहे हैं — जैसे कि आत्माओं की उपस्थिति, अजीब आवाज़ें, अचानक लाइट्स का बंद होना — क्या उनमें कोई सच्चाई है? हम सिर्फ़ अफवाहों पर भरोसा नहीं करना चाहते, बल्कि पूरी जांच करना चाहते हैं।”

टीम का इरादा कोर्ट परिसर के कुछ चुनिंदा हिस्सों और कमरों में आधुनिक उपकरणों की मदद से जांच करने का है। उनका दावा है कि वह पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक और दस्तावेज़ीय ढंग से अंजाम देंगे, जिससे अगर कुछ असामान्य है, तो उसे रिकॉर्ड किया जा सके।

कलकत्ता हाईकोर्ट, जिसे भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित न्यायालयों में से एक माना जाता है, वर्ष 1862 में स्थापित हुआ था। इसके लंबे इतिहास के दौरान इस इमारत से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियाँ सामने आती रही हैं। कमरा नंबर 11 को लेकर विशेष रूप से कहा जाता है कि उसमें अजीब घटनाएं होती रही हैं, और लंबे समय तक यह कमरा बंद भी रखा गया था।

हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह संभवतः पहला मौका होगा जब किसी भारतीय उच्च न्यायालय में किसी अलौकिक जांच टीम को आधिकारिक तौर पर प्रवेश मिलेगा।

2. पुलिसकर्मी का अनुभव

एक पुलिसकर्मी ने बताया कि उसने कमरे के बाहर एक क़ैदी की आकृति बेंच पर बैठी देखी। डरकर वह नीचे की ओर भाग गया  ।

यह घटना तब हुई जब वह ड्यूटी पर रात में था — और उसके बाद उस हिस्से में पुलिस ड्यूटी कम कर दी गई  ।

3. जज अभिजीत गांगुली का बयान

उच्च न्यायालय के एक चर्चित जज अभिजीत गांगुली ने माना कि रात 8 बजे के बाद कमरा नंबर 11 और उसकी सीढ़ियाँ भूतिया होती हैं, और एक “अशरीरी आत्मा” की उपस्थिति होती है  ।

उन्होंने बतौर उदाहरण कहा कि जस्टिस संजीव बनर्जी को रात में पीछे से धक्का महसूस हुआ, जिसके बाद उस सीढ़ी को रात में बंद कर दिया गया  ।

4 . सफाईकर्मी की मानसिक हालत बिगड़ना (1990 का मामला)

घटना:
एक रात सफाईकर्मी गलती से कमरा नंबर 11 का दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया, क्योंकि वह नया था और उसे कमरे के बारे में जानकारी नहीं थी।

क्या हुआ:

वह लगभग 15 मिनट तक कमरे में था।

जब बाहर आया तो उसका चेहरा पीला पड़ चुका था और वह कांप रहा था।

कुछ बोल नहीं पा रहा था — बस दीवार की ओर घूर रहा था।

अगले दिन से :
उसकी मानसिक हालत बिगड़ती गई। अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर भी कारण नहीं समझ सके। उसने बाद में कहा —

“मैंने वहाँ कोई इंसान नहीं देखा, लेकिन मुझे लगा जैसे कोई मेरे पीछे-पीछे चल रहा था।”

5. अनुभवी वकील की रहस्यमयी आवाज़ों की गवाही

कथन:
एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि वह 2003 में एक बार गलती से उस कमरा नंबर 11 के बाहर से गुजर रहे थे, जबकि कमरे को कई वर्षों से बंद रखा गया था।

उन्होंने कहा:

“मैंने बहुत साफ़ सुना कि कोई व्यक्ति कागज़ पलट रहा है, जैसे केस फाइल्स पढ़ रहा हो। दरवाज़ा बंद था, लेकिन अंदर हल्की सी पीली रोशनी भी दिखी।”

जब उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा, तो उसने जवाब दिया —

“सर, वहाँ कोई नहीं है… और उस कमरे की लाइट तो सालों से बंद है।

इस पर बने डॉक्यूमेंट्री और यूट्यूब वीडियो

कमरा नंबर 11 को लेकर कई यूट्यूब चैनलों ने डॉक्यूमेंट्री और रहस्यमयी वीडियो बनाए हैं। कुछ विडियो में कोर्ट परिसर के कर्मचारियों के इंटरव्यू शामिल हैं, जो अपनी डरावनी कहानियाँ साझा करते हैं।

यह भारत के उन गिने-चुने “haunted courtroom” मामलों में से एक है, जिसने ऑनलाइन मीडिया और दर्शकों का खूब ध्यान खींचा।

क्या आज भी कमरा नंबर 11 बंद है?

2023 तक के अपडेट के अनुसार, यह कमरा अब भी बहुत कम इस्तेमाल होता है या कभी-कभी ही खोला जाता है। वहाँ कोई नियमित कार्यवाही नहीं होती। हालांकि अब यह उतना सील नहीं है जितना पहले था, पर एक “मौन डर” आज भी उस कमरे से जुड़ा हुआ है।

कमरा नंबर 11 सिर्फ ईंट-पत्थर से बना कोई कमरा नहीं है। यह एक प्रतीक बन चुका है — भय, रहस्य, और अनकही कहानियों का।

चाहे आप अलौकिक में विश्वास करते हों या नहीं, लेकिन जब कोई ऐसी जगह वर्षों तक अपने भीतर कुछ अनकहा छुपाए रखती है, तो उसकी दीवारें भी बोलने लगती हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट का यह कमरा एक ऐसी ही रहस्यमयी गाथा का हिस्सा है, जो आज भी कानूनी गलियारों में फुसफुसाहट के रूप में जिंदा है।

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Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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