उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी न्याय अधूरा है। जानिए इस केस में अब तक क्या हुआ, क्यों हो रही है देरी और पीड़ित परिवार की भावनात्मक पीड़ा
उदयपुर की गलियों में आज भी एक घर ऐसा है, जहां इंसाफ का इंतज़ार रुक नहीं पाया है।
तीन साल पहले हुए कन्हैयालाल हत्याकांड की तीसरी बरसी पर भी उनका बेटा यश अब तक नंगे पांव चल रहा है, सिर के बाल नहीं कटवाए और पिता की अस्थियों को घर के कोने में उसी दिन की तरह संभाल कर रखा है। यश की प्रतिज्ञा है—”जब तक हत्यारों को फांसी नहीं मिलती, ये अस्थियां विसर्जित नहीं होंगी।”
कन्हैयालाल हत्याकांड :- घटनाक्रम क्या हुआ था 28 जून 2022 को ?
28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर शहर की एक Tailor की दुकान में कन्हैयालाल तेली की दिनदहाड़े गला काटकर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या उस समय की गई जब कन्हैयालाल दुकान पर बैठे हुए थे और दो ग्राहक बनकर आए युवकों ने उनका वीडियो रिकॉर्ड करते हुए हत्या कर दी।
इस वीभत्स घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें आरोपी मोहम्मद रियाज अटारी और गौस मोहम्मद हत्या करते हुए अल्लाह के नाम पर बयान देते हैं। यह सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि आतंकी कृत्य था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
जांच किसके पास गई और क्या हुआ?
हत्या के कुछ ही घंटों में राजस्थान पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद केस को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया।
NIA ने इस केस को आतंकी साजिश के रूप में दर्ज किया और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत कार्यवाही शुरू की। केस में आरोपियों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की भी जांच हुई।
कन्हैयालाल हत्याकांड : अब तक क्यों नहीं आया फैसला?
तीन साल बीत जाने के बाद भी कन्हैयालाल हत्याकांड केस में न्याय नहीं मिला है। इसके पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं:
1. फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन नहीं
राजस्थान की पूर्व सरकार ने इस केस में फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की थी ताकि दोषियों को शीघ्र सजा दी जा सके। लेकिन केंद्र सरकार और NIA की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
2. गवाहों की धीमी पेशी
अब तक केवल 6 गवाहों की गवाही हुई है जबकि केस दर्ज हुए तीन साल हो चुके हैं।
3. राजनीतिक हस्तक्षेप और आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और NIA ने इस केस को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया लेकिन न्याय दिलाने में रुचि नहीं दिखाई।
“राजस्थान पुलिस ने चार घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन केस NIA को सौंपने के बाद न्याय की गति थम गई।” – अशोक गहलोत
पीड़ित परिवार की पीड़ा
कन्हैयालाल के बेटे यश ने कहा कि वह आज भी नंगे पैर चल रहे हैं, बाल नहीं कटवाए हैं और अपने पिता की अस्थियां विसर्जित नहीं की हैं। उनका कहना है:
“जब तक मेरे पिता को न्याय नहीं मिलेगा, हम अंतिम क्रिया नहीं करेंगे। हमें अब सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है।”
पत्नी जसोदा देवी का कहना है:
“हमारे पति की निर्मम हत्या हुई, लेकिन सरकार और अदालतों ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। दोषियों को अब तक फांसी तक नहीं मिली, ये इंसाफ नहीं मज़ाक है।”
कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच NIA कर रही है और मुकदमा जयपुर स्थित सीबीआई कोर्ट क्रम-2, जिसे फिलहाल NIA कोर्ट का चार्ज दिया गया है, वहां चल रहा है। कुल 166 गवाहों में से अब तक सिर्फ 6 गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं। अगली सुनवाई 3 जुलाई को तय है। बेटे यश का कहना है, “जब सबूत, वीडियो और कबूलनामे सब सामने हैं, तो सजा में इतनी देरी क्यों? अगर कोर्ट की यही रफ्तार रही, तो न्याय मिलने में 30-40 साल लग सकते हैं।”
परिवार को लगातार मिल रही धमकियों के चलते आज भी 24 घंटे पुलिस सुरक्षा में रखा गया है। यश कहते हैं, “मैं बाहर जाता हूं तो थाने में रिपोर्ट करनी होती है, हम कैदियों जैसी ज़िंदगी जी रहे हैं।” पत्नी जसोदा का कहना है, “घर में रखी अस्थियों के साथ हर खुशी ठहर गई है। कई बार सोचा विसर्जन कर दें, लेकिन यश ने कहा—अगर अस्थियां बहा दीं, तो न्याय की लड़ाई भी कमजोर पड़ जाएगी।”
राजकुमार शर्मा की कहानी:
कन्हैयालाल हत्याकांड के प्रत्यक्षदर्शी राजकुमार शर्मा की ज़िंदगी उस दिन के बाद पूरी तरह बदल गई। तीन साल पहले उन्होंने यह भयानक दृश्य अपनी आंखों के सामने देखा था, जिसे आज भी भूल नहीं पाए। इस मानसिक आघात के कारण उन्हें दो बार ब्रेन हेमरेज हुआ, और अब वे चलने-फिरने में असमर्थ हैं। आज वे पूरी तरह पत्नी पुष्पा पर आश्रित हैं। जब उनसे घटना की बात की गई, तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। पुष्पा बताती हैं कि “हर त्योहार या रथयात्रा की आवाज़ सुनते ही वो कांपने लगते हैं। उनके चेहरे पर अब सिर्फ दर्द दिखाई देता है।”
पुष्पा शर्मा कहती हैं कि परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इलाज और देखभाल में सारी जमा पूंजी खत्म हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार से स्थायी सहायता नहीं मिली और बेटे को भी कोई नौकरी नहीं मिली। उनका सीधा सा अनुरोध है “हमें किसी की दया नहीं चाहिए, बस न्याय चाहिए। क्योंकि वो हत्या सिर्फ कन्हैयालाल की नहीं थी, वो हमारे पूरे परिवार की ज़िंदगी खत्म कर गई।”
फिल्म बनी लेकिन न्याय नहीं मिला
27 जून 2025 को ‘द ज्ञानवापी फाइल्स – द टेलर मर्डर स्टोरी‘ नाम की फिल्म रिलीज हुई जो इस कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे न्याय प्रणाली धीमी है और पीड़ित परिवार उपेक्षित हो रहा है।
“न्याय में देरी, न्याय न मिलने के बराबर है।” – फिल्म निर्माता
कन्हैयालाल हत्याकांड :मामले की वर्तमान स्थिति:
कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है और केस की सुनवाई जयपुर स्थित विशेष NIA कोर्ट में जारी है। इस मामले में कुल 11 आरोपी हैं, जिनमें 2 पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं। इनमें से दो आरोपी जमानत पर रिहा हैं, जबकि बाकी अब भी जेल में बंद हैं।
पीड़ित परिवार और स्थानीय समाज का कहना है कि इतने पुख्ता सबूत, वीडियो रिकॉर्डिंग और आरोपियों के कबूलनामे के बावजूद केस में कोई ठोस प्रगति नहीं हो रही है। उनका आरोप है कि सरकार ने आज तक इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में नहीं भेजा, जिससे न्याय में और देरी हो रही है।
कन्हैयालाल हत्याकांड :क्या न्याय मिलेगा?
कन्हैयालाल हत्याकांड अब सिर्फ एक क्रिमिनल केस नहीं, बल्कि भारत की न्यायिक प्रणाली की परीक्षा बन चुका है।
तीन साल बीत गए, लेकिन फैसले का इंतजार जारी है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग आज भी अधूरी है।
NIA की धीमी कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
न्याय में देरी सिर्फ सिस्टम की कमजोरी नहीं, बल्कि पीड़ित परिवार के घावों को और गहरा करती है। आज जब पूरा देश इस वीभत्स घटना को याद कर रहा है, तो यह समय है कि सरकार और न्यायपालिका तेजी से काम करे। दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले — यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कन्हैयालाल जी को।
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