ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 – सैन्य संघर्ष में न्यूक्लियर हमले, अस्पताल पर मिसाइल अटैक और सैकड़ों मौतों के बाद अब युद्धविराम की संभावनाएं बन रही हैं। पढ़िए पूरी खबर विस्तार से।
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : पश्चिम एशिया की धधकती ज्वाला
2025 का जून महीना वैश्विक राजनीति और मानवता दोनों के लिए सबसे भयावह महीनों में से एक बन गया, जब दो कट्टर शत्रु – ईरान और इज़रायल – पूर्ण सैन्य टकराव में उलझ गए। यह टकराव सिर्फ सीमाओं का नहीं बल्कि आस्थाओं, तकनीक और रणनीति का भी संग्राम था।
इस लेख में हम पूरे घटनाक्रम को क्रमानुसार और तथ्यों सहित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें शामिल हैं हमले, जवाबी हमले, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और अब संभावित युद्धविराम।
संकट की शुरुआत: फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर हमला
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : इज़रायल अमेरिका ने ईरान के Fordo Nuclear Enrichment Facility पर अचानक हमला किया। यह हमला खास इसलिए था क्योंकि यह वही साइट है जहां ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यों को भूमिगत करता है।
इज़रायली वायुसेना ने दावा किया कि उन्होंने उन सुरंग मार्गों और लॉजिस्टिक प्वाइंट्स को टारगेट किया जिनके ज़रिए परमाणु सामग्री भीतर पहुँचाई जाती है। इज़रायल का मकसद था – “ईरान को न्यूक्लियर हथियार हासिल करने से रोकना।”
यह हमला अमेरिका और इज़रायल की संयुक्त खुफिया जानकारी पर आधारित बताया गया।
ईरान का प्रतिशोध: मिसाइलों की बौछार
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : Fordo पर हुए हमले के दो दिन बाद ही, ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से जवाबी हमला किया। टारगेट था – अमेरिका का अल-उदेद एयरबेस (Qatar)। लेकिन अमेरिकी रक्षा प्रणाली ने इन मिसाइलों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया और किसी प्रकार की जान-माल की हानि नहीं हुई।
इसके अलावा, ईरान ने Sejjil मिसाइलों के ज़रिए इज़रायल के दक्षिणी शहर Beersheba को निशाना बनाया। यहां के Soroka मेडिकल सेंटर पर सीधा हमला हुआ, जिससे कई लोगों की मौत और रासायनिक रिसाव की सूचना मिली।
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे “युद्ध अपराध” बताया क्योंकि अस्पतालों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन है।
संघर्ष का दायरा और नागरिक पीड़ा
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : दोनों देशों के बीच यह युद्ध सीमित नहीं रहा। हर दिन मिसाइलों की आवाज़ और धमाकों की गूंज में आम नागरिकों का जीवन नरक में बदल गया।
ईरान में अब तक 950 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें महिलाएं, बच्चे और वृद्ध शामिल हैं। वहीं इज़रायल में अस्पताल और रिहायशी इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं। हजारों लोग घायल हैं और लाखों को सुरक्षित इलाकों में शरण लेनी पड़ी।
संघर्ष सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं रहा – इंटरनेट, बिजली, चिकित्सा व्यवस्था सब ठप हो गईं।
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: भय, चेतावनियां और कूटनीति
इस टकराव ने सिर्फ मध्य-पूर्व ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को चिंता में डाल दिया।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इसे “मानवता के लिए खतरा” बताया।
UK के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने ईरान को चेतावनी दी कि यदि उसने Hormuz जलसंधि को बंद किया तो यह खुद के लिए आर्थिक तबाही होगी।
चीन और रूस ने शांति की अपील की लेकिन स्पष्ट रूप से किसी पक्ष के साथ खड़े नहीं हुए।
सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई Qatar ने, जिसने दोनों पक्षों के बीच संचार की शुरुआत करवाई।
अचानक आया राहत भरा मोड़: युद्धविराम की घोषणा
24 जून 2025 को अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया कि:
“ईरान और इज़रायल दोनों 24 घंटे की phased ceasefire पर सहमत हुए हैं। ईरान पहले 12 घंटे हमले रोक देगा, उसके बाद इज़रायल भी जवाबी कार्रवाई रोक देगा।”
ट्रंप ने कहा कि इस संघर्ष को रोकना वैश्विक अनिवार्यता है और ‘यह शांति की ओर पहला क़दम’ है।
हालांकि, ईरान के विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि अभी कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन यदि इज़रायल हमले नहीं करता तो ईरान भी जवाब नहीं देगा।
संघर्ष की मार: एक मानवीय त्रासदी
ईरान-इज़रायल युद्ध 2025 : इस युद्ध में सबसे ज्यादा पीड़ित हुए हैं – आम नागरिक। अस्पतालों में जगह नहीं है, रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट की मेडिकल टीमों को सीमा से आगे नहीं जाने दिया जा रहा, और शहरों में खाद्य पदार्थों की भारी किल्लत है।
कई बच्चों की मौत भूख से हो चुकी है। Beersheba के Soroka अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के अभाव में ICU के कई मरीज़ों ने दम तोड़ दिया।
यह एक मानवीय त्रासदी है, जिसमें राजनीति और हथियारों की होड़ ने मासूम जिंदगियों को कुचल दिया।
क्या यह युद्धविराम स्थायी होगा?
फिलहाल स्थिति शांत प्रतीत हो रही है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि:
अगर ईरान के अंदरूनी कट्टरपंथी गुट नियंत्रण से बाहर हो गए,
या इज़रायल के अंदर दबाव बढ़ा कि “प्रतिशोध लिया जाए,”
तो यह संघर्ष फिर से भड़क सकता है।
Diplomacy इस समय सबसे बड़ा हथियार है।
एक नजर में – प्रमुख घटनाएं :
घटना दिनांक विवरण :
Fordo हमला 13 जून इज़रायल का एयरस्ट्राइक
अल-उदेद बेस पर हमला 15 जून ईरान द्वारा जवाबी हमला
अस्पताल पर मिसाइल 16 जून Soroka हॉस्पिटल को टारगेट किया गया
युद्धविराम घोषणा 24 जून ट्रंप द्वारा दो चरणों का युद्धविराम घोषित
क्या हमने कुछ सीखा?
ईरान-इज़रायल संघर्ष ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि युद्ध में कोई विजेता नहीं होता। हथियार चाहे कितने भी उन्नत हो जाएं, अंत में नुकसान सिर्फ इंसानियत का होता है।
अब जब दोनों देशों ने शांति की पहल की है, यह ज़रूरी है कि विश्व बिरादरी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाए, ताकि भविष्य में इस तरह का विनाश न हो।
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