इंदौर में जन्मी 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची -यह मामला न केवल लोगों में कौतूहल पैदा कर रहा है बल्कि चिकित्सा विज्ञान के लिए भी एक जटिल पहेली बन गया है।
मध्य प्रदेश के इंदौर से एक चौंकाने वाली और दुर्लभ मेडिकल घटना सामने आई है। एक महिला ने एक ऐसी बच्ची को जन्म दिया है जिसके दो सिर और एक ही शरीर है। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के पास दो लिवर, दो फेफड़े, लेकिन सिर्फ एक दिल है। यह मामला न केवल लोगों में कौतूहल पैदा कर रहा है बल्कि चिकित्सा विज्ञान के लिए भी एक जटिल पहेली बन गया है।
इंदौर में जन्मी 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची :- यह मामला इतना खास क्यों है?
इस प्रकार के जन्म को मेडिकल साइंस में Dicephalic Parapagus Twin कहा जाता है। यह एक दुर्लभ प्रकार का जुड़वां भ्रूण होता है, जिसमें भ्रूण का सिर दो होता है लेकिन बाकी शरीर साझा होता है। डॉक्टरों के अनुसार, ऐसे मामले दो लाख जन्मों में एक बार सामने आते हैं।
इंदौर के अस्पताल के डॉक्टरों की माने तो:
> “हमने अपने करियर में ऐसा केस पहले कभी नहीं देखा। बच्ची को फिलहाल NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में रखा गया है।”
बच्ची के शरीर की संरचना
अंग संख्या
सिर 2
धड़ 1
दिल 1
लिवर 2
फेफड़े 2
यह संरचना यह दर्शाती है कि बच्ची एक संपूर्ण शरीर साझा कर रही है, लेकिन उसका मस्तिष्क दो अलग-अलग इकाइयों के रूप में काम कर सकता है।
डॉक्टर क्या कहते हैं?
इंदौर में जन्मी 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची – डॉक्टरों की टीम फिलहाल बच्ची की हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में जटिलताओं की संभावना अधिक होती है और दीर्घकालिक जीवन की संभावना सीमित होती है।
> “यदि दोनों मस्तिष्क स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं और शरीर के नियंत्रण में संतुलन बना पाते हैं, तो जीवन संभव हो सकता है। लेकिन यह चिकित्सा निगरानी और संभावित सर्जरी पर निर्भर करता है।”
माता-पिता की स्थिति
बच्ची के माता-पिता आर्थिक रूप से मध्यमवर्गीय हैं और यह उनका पहला बच्चा है। इस स्थिति से वे मानसिक रूप से काफी परेशान हैं। अस्पताल प्रशासन और सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक सहायता दिए जाने की बात चल रही है।
Dicephalic Parapagus Twin क्या है?
यह एक प्रकार की कॉन्जॉइंड ट्विन (जुड़वां बच्चे) की स्थिति है।
भ्रूण के विकास के दौरान जब दो भ्रूण पूरी तरह से अलग नहीं हो पाते तो इस प्रकार के बच्चे जन्म लेते हैं।
इनमें दो सिर होते हैं, लेकिन शरीर का बाकी हिस्सा साझा होता है।
इस स्थिति में जीवन की संभावनाएं बहुत ही कम होती हैं। कुछ बच्चे केवल कुछ घंटों या दिनों तक ही जीवित रहते हैं।
विश्व में अन्य ऐसे मामले
इंदौर में जन्मी 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची –
1. अब्बी और ब्रिटानी हेंसल (अमेरिका):
सबसे प्रसिद्ध Dicephalic Parapagus ट्विन्स जिन्होंने न सिर्फ जीवन जीया बल्कि स्कूल, कॉलेज और नौकरी भी की।
2. बांग्लादेश की रुकैया-बुकैया:
कुछ ही दिनों में मौत हो गई थी क्योंकि दिल साझा था और शारीरिक जटिलताएं बहुत थीं।
🤔 क्या ऐसा बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है?
इसका उत्तर पूरी तरह बच्चे की शारीरिक संरचना और मेडिकल देखरेख पर निर्भर करता है। यदि शरीर के मुख्य अंग—विशेषकर दिल, गुर्दा और पाचन तंत्र—सही कार्य कर रहे हैं और कोई गंभीर विकृति नहीं है, तो ऐसे बच्चों को स्पेशल मेडिकल केयर के साथ जीवित रखा जा सकता है। हालांकि, दीर्घकालिक जीवन के लिए सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है।
सोशल मीडिया और पब्लिक रिएक्शन
इंदौर में जन्मी 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची –
इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों की संवेदनाएं और चमत्कार वाली टिप्पणियां देखने को मिल रही हैं। कुछ इसे ईश्वर का करिश्मा कह रहे हैं तो कुछ इसे मेडिकल साइंस की चुनौती के तौर पर देख रहे हैं।
भविष्य क्या होगा?
डॉक्टरों का कहना है कि अगला 1 महीना बहुत निर्णायक होगा। यदि बच्ची की हालत स्थिर रहती है तो वह लंबे समय तक जीवित रह सकती है। इसके अलावा, सरकारी मदद और सामाजिक सहयोग की आवश्यकता होगी ताकि इस दुर्लभ केस को सही मेडिकल देखभाल मिल सके।
निष्कर्ष:
इंदौर में जन्मी यह 2 सिर और 1 धड़ वाली बच्ची न सिर्फ मेडिकल साइंस के लिए एक जिंदा केस स्टडी है, बल्कि इसने मानवता और समाज में संवेदनशीलता और सहयोग की भावना भी पैदा की है। समय ही बताएगा कि यह बच्ची सामान्य जीवन जी पाएगी या नहीं, लेकिन अभी उसकी देखरेख ही सबसे महत्वपूर्ण है।
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मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)