अनंतपुर डायमंड फील्ड – अनंतपुर और कुरनूल जिलों में मानसून के दौरान हर साल सैकड़ों लोग हीरे की तलाश में निकलते हैं — और कुछ की किस्मत इस कदर चमक जाती है कि वे करोड़पति बनकर लौटते हैं।
अनंतपुर डायमंड फील्ड – धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
“मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…” — ये सिर्फ गीत की पंक्तियाँ नहीं हैं, बल्कि आंध्र प्रदेश के कुछ क्षेत्रों की हकीकत बन चुकी हैं। जिस धरती को किसान अन्न उपजाने के लिए जोतते हैं, वही धरती बरसात में हीरे भी उगलती है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर और कुरनूल जिलों में मानसून के दौरान हर साल सैकड़ों लोग हीरे की तलाश में निकलते हैं — और कुछ की किस्मत इस कदर चमक जाती है कि वे करोड़पति बनकर लौटते हैं।
कहां मिलते हैं ये हीरे?
आंध्र प्रदेश के वज्रकरूर, जोन्नागिरी, तुग्गली, मद्दीकेरा, सिरिवेल्ला, महानंदी और पेरावली जैसे इलाके इस अनोखी खोज का केंद्र हैं। इन क्षेत्रों में हर साल जून-जुलाई की बारिश के साथ हजारों लोग — किसान, मजदूर, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे — हीरे की खोज में जुट जाते हैं।
कैसे तलाशते हैं लोग हीरे?
अनंतपुर डायमंड फील्ड – यहाँ के लोग कोई भारी मशीन नहीं लाते, न ही वैज्ञानिक उपकरणों का सहारा लेते हैं। सिर्फ घर में पड़ी लकड़ियाँ, छलनी और करछुल लेकर ये लोग हीरे खोजने निकल पड़ते हैं। चूंकि हीरे सतह के बहुत पास होते हैं, इसलिए गहरी खुदाई की जरूरत नहीं होती। मिट्टी कुरेदनी होती है, और किस्मत अच्छी हो तो चमकता हीरा हाथ लग जाता है।
एक सीजन में करोड़ों के हीरे
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि केवल मद्दीकेरा और तुग्गली क्षेत्रों में ही हर साल लगभग 5 करोड़ रुपये के हीरे मिलते हैं। यह एक आकस्मिक खोज नहीं है, बल्कि अब यह एक सीजनल ट्रेंड बन चुका है। लोग तेलंगाना, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश के अन्य जिलों से मानसून के साथ यहाँ आकर डेरा डाल लेते हैं।
क्यों बरसात में ही निकलते हैं हीरे?
अनंतपुर डायमंड फील्ड – बारिश के समय जमीन की ऊपरी परत बह जाती है, जिससे गहराई में दबे हीरे ऊपर आ जाते हैं। छोटे-छोटे चमकीले पत्थर की तरह ये हीरे मिट्टी की सतह पर दिखने लगते हैं। ऐसे में कोई विशेष उपकरण की जरूरत नहीं, बस थोड़ा ध्यान, एक लकड़ी या करछुल और किस्मत चाहिए।
किस्मत बदलने वाली कहानियाँ
इन क्षेत्रों में कई लोगों की किस्मत हीरे ने बदल दी है:
मई 2019, जोन्नागिरी: एक मजदूर को खेत में काम करते हुए 14 लाख रुपये का हीरा मिला।
पेरावली गांव, 2019: एक किसान को मिला 2 लाख का हीरा।
सिरिवेल्ला और महानंदी क्षेत्रों में एक ही मानसून में 4 करोड़ रुपये तक के हीरे मिले।
जोन्नागिरी, 2021: दो मजदूरों ने अपने हीरे 70 लाख और 50 लाख रुपये में बेचे।
कासिम, एक ड्राइवर, अपने खेत में 1.2 करोड़ का हीरा पा गया।
2024, तुग्गली और मद्दीकेरा: चार हीरों की कुल कीमत 70 लाख रुपये आंकी गई।
जून 2025, तुग्गली मंडल: एक महिला को अपने धान के खेत में 10 लाख रुपये का हीरा मिला।
खेती पर संकट
अनंतपुर डायमंड फील्ड – जहाँ एक ओर कुछ लोग अमीर बन रहे हैं, वहीं स्थानीय किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूर-दूर से आने वाले हीरा खोजने वाले लोग नई फसलों को रौंद देते हैं, जिससे किसान परेशान हो गए हैं।
वैज्ञानिक और ऐतिहासिक आधार
अनंतपुर डायमंड फील्ड – इस क्षेत्र की जियोलॉजिकल अहमियत भी उतनी ही बड़ी है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और मद्रास यूनिवर्सिटी ने इस बात की पुष्टि की है कि यहाँ किम्बरलाइट पाइप्स पाए जाते हैं — ये पृथ्वी की सतह के नीचे ज्वालामुखीय गड्ढे होते हैं, जो हीरे की उपस्थिति का संकेत देते हैं।
इतिहास की बात करें तो ब्रिटिश काल में इस क्षेत्र को “Diamond Lake” कहा जाता था। 1000 ईस्वी के समय से ही यहां पट्टे पर जमीन दी जाती थी — शर्त यह थी कि अगर किसी को 25 कैरेट से बड़ा हीरा मिले, तो वह विजयनगर सम्राट का होगा।
किस्से, सपने और उम्मीदें
अनंतपुर डायमंड फील्ड – तेलंगाना के एन. वीरेश अपनी पत्नी और बेटी के साथ हीरे की तलाश में जोन्नागिरी पहुंचे हैं। 75 वर्षीय नोल्ली रामानम्मा एक मंदिर में रहकर अपनी किस्मत आजमा रही हैं। इन कहानियों में भूख है, सपनों की प्यास है, और जीवन बदलने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: क्या वाकई धरती उगलती है हीरे?
अनंतपुर और कुरनूल की धरती कोई जादू नहीं कर रही, बल्कि प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक स्थितियाँ मिलकर इसे एक अनोखी जगह बना रही हैं। यह क्षेत्र न सिर्फ आर्थिक रूप से लोगों को ऊपर उठाने का जरिया बन गया है, बल्कि इसमें रहस्य, रोमांच और उम्मीदें भी हैं।
हर मानसून में यहाँ लोग सिर्फ हीरा नहीं खोजते… वे अपनी किस्मत तलाशते हैं।
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