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अंजनेरी किला ट्रेक – भगवान हनुमान की जन्मभूमि की रोमांचक यात्रा

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नाशिक के पास स्थित अंजनेरी किला ट्रेक एक पवित्र और सुंदर ट्रेक है, जो आपको भगवान हनुमान की जन्मस्थली तक ले जाता है। जानिए ट्रेक की पूरी जानकारी, मौसम, मार्ग, और सुझाव।

महाराष्ट्र की ट्रेकिंग की दुनिया में अंजनेरी किला ट्रेक एक ऐसी यात्रा है, जो केवल की जगह और प्रकृति की न्यायी औरजालिकता का अद्भुत संयोग है। यह ट्रेक केवल यात्रियों, आध्यात्मिक यात्रियों, और प्रकृति-प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है।

अंजनेरी किला ट्रेक

अंजनेरी किला ट्रेक पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व :

अंजनेरी किला का सबसे बड़ा आकर्षण है इसका पौराणिक महत्व। यह स्थल भगवान हनुमान की जन्मभूमि मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहीं अंजनी माता ने तपस्या कर भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त किया और फिर हनुमान जी का जन्म हुआ।

अंजनेरी किला महाराष्ट्र के नाशिक जिले में त्र्यंबकेश्वर पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जिसकी ऊँचाई लगभग 4264 फीट है। यह किला नाशिक से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर त्र्यंबक रोड पर स्थित है।

अंजनेरी किला ट्रेक

इस किले का सबसे बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व यह है। यहां पर उनकी माता अंजनी माता का प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जिस वजह से इस पर्वत को अंजनेरी कहा जाता है।

भगवान हनुमान जी का जन्म वानर राजकुमार महाराज केसरी और अंजनी माता के पुत्र रूप में हुआ था, इसलिए इस पर्वत का नाम अंजनेरी पड़ा। वे पवन देव (वायु देवता) के पुत्र के रूप में भी जाने जाते हैं क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव का प्रसाद पवन देव ने अंजनी माता को प्रदान किया था, जिसके फलस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ।

अंजनेरी किला ट्रेक
माता अंजना के गोद में विराजे श्री हनुमान जी।

इस पर्वत का नाम अंजनेरी पर्वत भी अंजनी माता के नाम पर पड़ा है।
हनुमान जी का पूरा बचपन इसी पर्वत पर बीता था, और यही उनका बाललीला स्थल माना जाता है।

अंजनेरी पर्वत पर 108 जैन गुफाएं पाई गई हैं, जो कि 12वीं शताब्दी की मानी जाती हैं। ये गुफाएं अंजनेरी की ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती हैं।

एक समय पर यह क्षेत्र वीरसेन अहिर नामक शासक के अधीन था, जिनकी राजधानी अंजनेरी ही थी। यह शासनकाल भले ही अल्पकालीन रहा हो, लेकिन अंजनेरी का राजनैतिक महत्व उस समय भी था।

हाल ही में हुए शोध में वैज्ञानिकों ने इस पर्वत पर एक दुर्लभ पौधा खोजा है, जिसका नाम है Anjanerika soparia।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह पौधा संपूर्ण विश्व में सिर्फ अंजनेरी पर्वत पर ही पाया जाता है, जिससे इस स्थान का वनस्पतिक और जैव विविधता में भी विशेष महत्व सिद्ध होता है

यह स्थल ‘रामायण’ और ‘पुराणों’ में वर्णित घटनाओं से जुड़ा हुआ है। कई साधु-संत और भक्तगण यहां साधना करने आते हैं। अंजनी माता का एक भव्य मंदिर किले की चोटी पर स्थित है। साथ ही, यहां 11वीं-12वीं शताब्दी की प्राचीन जैन गुफाएं भी मिलती हैं, जो दर्शाती हैं कि यह स्थान एक समय में जैन संतों का भी तपोस्थल रहा होगा।

अंजनेरी किला कहां स्थित है ?

अंजनेरी किला महाराष्ट्र के नाशिक जिले में स्थित है। यह त्र्यंबकेश्वर से लगभग 7-8 किलोमीटर की दूरी पर है और नाशिक शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर। यह स्थान सह्याद्रि पर्वतमाला का हिस्सा है।

कैसे पहुंचे अंजनेरी किला ट्रेक:

मुंबई से:

कसारा रूट:

लोकल ट्रेन से कसारा जाएं

वहां से जीप हायर करें (लगभग ₹700)

कुल यात्रा समय: करीब 4 घंटे

नाशिक रोड रूट (बजट विकल्प):

ट्रेन से नाशिक रोड पहुंचें

वहां से त्र्यंबक जाने वाली बस या जीप लें

अंजनेरी गांव में उतरें (कुल खर्च: ₹500 से कम)

यह रूट थोड़ा लंबा और समय लेने वाला है

नाशिक/त्र्यंबकेश्वर से:

त्र्यंबक जाने वाली बस लें या

त्र्यंबक से नाशिक आने वाली किसी भी बस में बैठें

टिकट लेकर अंजनेरी गांव में उतरें (किराया: ₹30 लगभग)

अंजनेरी बस स्टॉप से:

गांव के अंदर लगभग 2 किमी पैदल चलकर ट्रेक का स्टार्टिंग पॉइंट पहुंचे

वापसी:

नाशिक या त्र्यंबकेश्वर की ओर जाने वाली बसें बार-बार मिलती हैं, जिससे वापसी आसान है।

पार्किंग सुविधा: गांव में दोपहिया और चारपहिया वाहनों की पार्किंग की सुविधा है।

अंजनेरी किला ट्रेक की जानकारी:

अंजनेरी किला ट्रेक को दो भागों में बांटा जा सकता है:

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से अंजनी माता मंदिर तक – लगभग 40 मिनट की चढ़ाई
यह हिस्सा घने पेड़ों, झाड़ियों और हल्की चढ़ाई वाले रास्तों से होकर गुजरता है। रास्ता सुंदर और रोमांचक होता है।

अंजनी माता मंदिर से हनुमान मंदिर तक – लगभग 1 घंटा 30 मिनट की ट्रेकिंग
यह भाग थोड़ा कठिन होता है। रास्ते में चट्टानें, गुफाएं और ढलान मिलते हैं, लेकिन जैसे-जैसे आप ऊपर चढ़ते हैं, नज़ारे और भी मनमोहक होते जाते हैं।

I: फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से अंजनी माता मंदिर तक :- अंजनेरी किला ट्रेक
ट्रेक दूरी: 1.2 किलोमीटर
समय: लगभग 40 मिनट
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के GPS निर्देशांक: 19°56’15.0″N, 73°34’54.7″E
अंजनी माता मंदिर के GPS निर्देशांक: 19°55’46.94″N, 73°34’39.07″E


अंजनेरी किला ट्रेक की शुरुआत अंजनेरी गांव में स्थित फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से होती है। ट्रेक शुरू करने से पहले यहां से अनुमति लेना आवश्यक होता है।

पार्किंग क्षेत्र से आगे बढ़ते ही आपको एक लंबे पत्थरों की सीढ़ियों वाले रास्ते से चलना होता है, जिसके बाद एक बड़ा बोल्डर सेक्शन आता है।
रास्ता एक ही है और जगह-जगह साइन बोर्ड लगे हुए हैं, जिससे रास्ता भटकने की संभावना कम हो जाती है।


बोल्डर सेक्शन (पत्थर की चट्टानों वाला हिस्सा):

लगभग 15 मिनट की धीमी चढ़ाई के बाद आप इस बोल्डर सेक्शन तक पहुँचते हैं।
यह हिस्सा थोड़ी सावधानी की मांग करता है, खासकर अगर आप मानसून में ट्रेकिंग कर रहे हों।
सुझाव: अच्छे ग्रिप वाले ट्रेकिंग शूज़ जरूर पहनें।


रास्ते में बंदरों से सावधान रहें:

अंजनेरी किला ट्रेक पर आपको कई जगह बंदर दिखाई देंगे।
अगर आपके पास कोई खाद्य सामग्री हो, तो उसे अच्छे से कवर कर के रखें, क्योंकि बंदर खाने की चीज़ें जल्दी पहचान लेते हैं।


जैन गुफा (Jain Cave):

बोल्डर सेक्शन के बाद बाईं ओर एक प्राचीन जैन गुफा मिलती है।
आप चाहें तो इसमें 10 मिनट रुककर इसे एक्सप्लोर कर सकते हैं।
गुफा के बाद आगे का रास्ता खुला और घास से भरा होता है।

माता अंजना के गोद में विराजे श्री हनुमान जी।

विशाल मैदान (Meadow):

गुफा से करीब 15 मिनट की चढ़ाई के बाद आप एक खुले मैदान (meadow) में पहुंचते हैं, जो चारों तरफ हरियाली और फूलों से ढका रहता है।
यह मैदान प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है और मानसून के दौरान इसका दृश्य बेहद आकर्षक होता है।


अंजनी माता मंदिर:

अंजनेरी किला ट्रेक

मैदान से करीब 10 मिनट की और ट्रेकिंग के बाद आप पहुंचते हैं अंजनी माता मंदिर।
यह मंदिर भगवान हनुमान की माता अंजनी माता को समर्पित है और यह उनके नाम पर बना एकमात्र मंदिर माना जाता है।

यहां पहुंचकर आप मंदिर में दर्शन करें, कुछ तस्वीरें लें और प्राकृतिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करें।

II: अंजनी माता मंदिर से हनुमान मंदिर तक :- अंजनेरी किला ट्रेक
ट्रेक दूरी: 1.5 किलोमीटर
समय: लगभग 1 घंटा
अंजनी माता मंदिर के GPS निर्देशांक: 19°55’46.94″N, 73°34’39.07″E
हनुमान मंदिर के GPS निर्देशांक: 19°55’19.68″N, 73°34’18.38″E


अंजनी माता मंदिर से आगे ट्रेक शुरू करते ही आपको एक विशाल झील दिखाई देती है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार यह झील भगवान हनुमान के बाएं पांव के निशान से बनी हुई है।
यह झील न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, बल्कि स्थानीय ग्रामीण इसे पानी के स्रोत के रूप में भी उपयोग करते हैं।

झील के आसपास का वातावरण बेहद शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होता है।
यहां से आगे का रास्ता हल्की चढ़ाई और पगडंडी वाला है, जो आपको धीरे-धीरे हनुमान मंदिर की ओर ले जाता है।

अब आप जंगल वाले हिस्से में प्रवेश करते हैं, जो इस ट्रेक का सबसे चुनौतीपूर्ण सेक्शन माना जाता है।
यहां आपको कई जगह बंदर दिखाई देंगे, जो ट्रेक को थोड़ा और कठिन बना देते हैं।


जंगल का रास्ता: अंजनेरी किला ट्रेक

यह रास्ता पत्थरों से बनी सीढ़ियों से शुरू होता है।
पूरे जंगल में लंबे-लंबे घने पेड़ और चारों तरफ घनी हरी झाड़ियां फैली होती हैं।
झाड़ियों में पत्तों की सरसराहट की आवाज़ आपको लगातार सुनाई देती रहती है, जो जंगल की नीरवता में रोमांच भर देती है।

मानसून के दौरान यह हिस्सा काफी फिसलन भरा हो जाता है क्योंकि पत्थरों पर काई (moss) जम जाती है।
इसलिए इस दौरान संभलकर चलना बहुत जरूरी है।


चढ़ाई और विश्राम:

लगभग 20 मिनट की तीव्र चढ़ाई के बाद आप एक बोल्डर (बड़ी चट्टान) के पास पहुँचते हैं।
यहां पर आप थोड़ा आराम करें, पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखें।

इसके बाद आपको लगभग 10 मिनट और लगते हैं इस सेक्शन को पार कर सबसे ऊंचे स्थान, यानी एक पठार (plateau) तक पहुँचने में।


ऊपर से दृश्य:

यहां से पीछे मुड़कर उस ट्रेल को देख सकते हैं, जिससे आप ऊपर चढ़े थे।

नीचे की ओर देखने पर आपको पैर के आकार की झील साफ़ नजर आती है।

इसके ठीक पीछे एक और झील दिखती है, जिसे अंजनेरी झील (Anjaneri Lake) कहा जाता है।

यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है और फोटोग्राफी के लिए एक बिलकुल परफेक्ट स्पॉट माना जाता है।

वापसी का रास्ता वही है जिससे आप ऊपर आए थे :- अंजनेरी किला ट्रेक

चूंकि नीचे उतरने का रास्ता ढलान वाला और फिसलन भरा होता है, इसलिए वापसी में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

यहां पर ट्रेकिंग पोल (Trekking Poles) का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और घुटनों पर दबाव भी कम करता है।

प्रमुख आकर्षण अंजनेरी किला ट्रेक

1. पैर के आकार की झील: पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह झील भगवान हनुमान के पैरों की आकृति में बनी हुई है।

2. अंजनी माता मंदिर: चोटी पर स्थित यह मंदिर अत्यंत पवित्र और शांत वातावरण में स्थित है। यहां से पूरे सह्याद्रि पर्वत और त्र्यंबक क्षेत्र का विहंगम दृश्य मिलता है।

3. हनुमान जी के झूले और पैरों के निशान: ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान की बाल्यावस्था से जुड़े कुछ चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं।

4. जैन गुफाएं: इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह स्थान और भी दिलचस्प है।

सीता गुफाएं (Seeta Caves)

अंजनेरी किले के पास स्थित सीता गुफाएं यहाँ की एक प्रमुख आकर्षण हैं।
इन गुफाओं की दीवारों पर बेहद खूबसूरत और रोचक पुरातन डिज़ाइन और चित्र उकेरे गए हैं, जो उस युग की कला-संस्कृति की झलक दिखाते हैं।
यह स्थान धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है और ट्रेकिंग मार्ग में एक खास पड़ाव माना जाता है।


अंजनी माता मंदिर

अंजनेरी किला ट्रेक

अंजनेरी पर्वत पर स्थित अंजनी माता का मंदिर भगवान हनुमान जी की माता को समर्पित है।
यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है।

हनुमान जयंती के पावन अवसर पर यहां 10,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं।

इसके अलावा मंगलवार और शनिवार को भी भारी संख्या में भक्तगण यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं।


108 जैन गुफाएं

अंजनेरी पर्वत पर कुल 108 प्राचीन जैन गुफाएं हैं जो चारों ओर फैली हुई हैं।
इन गुफाओं को प्राचीन जैन साधुओं द्वारा बनवाया गया माना जाता है।

इन गुफाओं में की गई शिल्पकला, वास्तु और नक्काशी अत्यंत मनोहारी है और हजारों साल पुरानी कला का प्रमाण देती हैं।

इतिहास प्रेमी और पुरातत्व शोधार्थी इन गुफाओं को देखने ज़रूर आते हैं।

दुर्लभ केप यॉर्क लिली फूल का भव्य दृश्य

केप यॉर्क लिली एक अद्भुत और दुर्लभ फूल है, जो Curcuma जाति का हिस्सा है।
Curcuma शब्द संस्कृत के ‘हरिद्रा’ (हल्दी) से लिया गया है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस फूल में औषधीय और खाद्य गुण दोनों मौजूद होते हैं।


यह फूल वेस्टर्न घाट (पश्चिमी घाट) में बहुत ही कम दिखाई देता है, लेकिन अंजनेरी किले की ट्रेकिंग के दौरान यह फूल बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं।
यहां की जलवायु और मिट्टी इसके प्राकृतिक विकास के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है।


अन्य जंगली फूल भी हैं आकर्षण का केंद्र:

सोनकी के फूल – छोटे-छोटे पीले रंग के ये फूल मानसून में पूरे रास्ते को सजाते हैं।

डे फ्लावर्स (Day Flowers) – सुबह खिलने वाले और दिन ढलते ही मुरझा जाने वाले ये नीले फूल ट्रेकिंग के रास्ते में ताजगी भर देते हैं।

पैर के आकार वाली झील

लंबे फूलों से ढके मैदान के ठीक बाद, बाईं ओर एक विशाल झील दिखाई देती है।
इस झील की खास बात यह है कि इसका आकार बिल्कुल मानव पैर जैसा दिखाई देता है।
अगर आप ऊपर की ओर से इसे देखें, तो इसका पैर जैसी बनावट साफ़ नज़र आती है।

स्थानीय ग्रामीण इस झील के आकार से जुड़ी कई कहानियाँ और मान्यताएँ भी सुनाते हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं।
हालांकि, ऐसे किसी भी दावे का कोई ऐतिहासिक या वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।

फिर भी, यह झील ट्रेकिंग मार्ग में एक अनोखा और आकर्षक पड़ाव है, जिसे देखकर हर यात्री आश्चर्यचकित रह जाता है।

फूलों की चादर से ढका हरा-भरा घास का मैदान

वेस्टर्न घाट की ट्रेकिंग आमतौर पर चट्टानी रास्तों, ऊँची घास वाली पहाड़ियों, घने जंगलों और धारों (ridges) से होकर गुजरती है।
लेकिन अंजनेरी की इस ट्रेकिंग में एक बेहद खास चीज़ देखने को मिलती है –
यहां आपको लगभग 4 किलोमीटर लंबा एक विशाल हरा-भरा मैदान मिलता है, जो चारों ओर से रंग-बिरंगे फूलों की चादर से ढका होता है।

यह दृश्य इतना मनमोहक होता है कि लगता है जैसे आप किसी प्राकृतिक स्वर्ग में प्रवेश कर चुके हों।
ठंडी हवा, फूलों की भीनी खुशबू और हरियाली का शांत वातावरण – यह ट्रेकिंग अनुभव को और भी खास बना देता है।


प्राकृतिक नज़ारे – अद्भुत दृश्य बिंदु

अंजनेरी की चोटी पर पहुँचने पर चारों तरफ का नज़ारा एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक आनंद से भर देता है।

यहां से आपको दिखाई देते हैं:

वैतरणा डैम का बैकवाटर – एक शांत झील जैसा दृश्य

ब्रह्मगिरी हिल्स – त्र्यंबकेश्वर की ओर फैली एक पवित्र पर्वत श्रृंखला

त्र्यंबकेश्वर रेंज – हरियाली से भरपूर घने पहाड़

यह स्थान फोटोग्राफी, ट्रेकिंग और ध्यान के लिए भी आदर्श माना जाता है।

यात्रा का सर्वोत्तम समय:

अक्टूबर से फरवरी: ठंडी और साफ मौसम के कारण ट्रेक के लिए सबसे उपयुक्त समय।

सितंबर-अक्टूबर: मानसून के तुरंत बाद की हरियाली और झरनों का आनंद लेने के लिए बेहतरीन समय।

मानसून में सावधानी: जुलाई-अगस्त में बारिश के कारण रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं।

अंजनेरी किले की ट्रेकिंग सालभर की जा सकती है, और हर मौसम में वेस्टर्न घाट की खूबसूरती अलग ही रूप में नजर आती है।

मानसून के बाद (Post-Monsoon): पहाड़ियां हरी चादर से ढकी रहती हैं और मैदानों में खिले फूल आंखों को सुकून देते हैं।

पीक मानसून: रास्ता फिसलन भरा हो जाता है, इसलिए इस समय ट्रेकिंग से बचना चाहिए।

गर्मी (Summer): मैदान अलग रंगों में नजर आते हैं और कुछ नए फूल भी खिलते हैं, लेकिन गर्मी परेशानी बन सकती है।

सुझाव:

अच्छे ट्रेकिंग शूज़ पहनें

ट्रेकिंग पोल साथ रखें — ये ट्रेक को आसान बनाते हैं।

हर मौसम में अंजनेरी ट्रेक का अनुभव कुछ नया और सुंदर होता है।

क्या साथ लेकर जाएं: अंजनेरी किला ट्रेक

मजबूत ट्रेकिंग जूते चट्टानी और फिसलनदार रास्ते
पानी की बोतल (2-3 लीटर) रास्ते में कोई सुविधा नहीं
सूखा नाश्ता ऊर्जा बनाए रखने के लिए
बरसाती या पोंचो मानसून में भीगने से बचाव
प्राथमिक उपचार किट चोट, मोच आदि से सुरक्षा
ऑफलाइन मैप / पावर बैंक पहाड़ पर सिग्नल कम आता है

रहने और खाने की व्यवस्था: अंजनेरी किला ट्रेक

रहने के विकल्प: अंजनेरी गांव में सीमित होमस्टे, बेहतर सुविधा के लिए त्र्यंबकेश्वर और नाशिक में होटल और MTDC रिसॉर्ट उपलब्ध हैं।

खानपान: गांव में छोटे ढाबे हैं; लेकिन बेहतर होगा कि ट्रेक पर निकलने से पहले नाश्ता कर लें या साथ में स्नैक्स रखें।

अंजनेरी किला ट्रेक के लिए आपातकालीन जानकारी (संक्षेप में):

अस्पताल:
निकटतम अस्पताल – ज्यूपिटर मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, अंजनेरी गांव से 18 किमी दूर।

पुलिस स्टेशन:
निकटतम – सातपुर पुलिस स्टेशन, गांव से 20 किमी दूर।

ATM:
निकटतम ATM – ICICI बैंक, त्र्यंबकेश्वर (5.7 किमी दूर)
सुझाव: घर से ही कम से कम ₹750 प्रति व्यक्ति लेकर चलें।

मोबाइल नेटवर्क:
Airtel, Jio और Vodafone नेटवर्क ट्रेक के दौरान उपलब्ध रहते हैं।

अंजनेरी किले की ट्रेकिंग: परमिशन और कैंपिंग से जुड़ी जानकारी (हिंदी में)

अंजनेरी किले का प्रवेश शुल्क :

अंजनेरी किला ट्रेक के लिए ₹50 का प्रवेश शुल्क लिया जाता है, जिसमें पार्किंग शुल्क भी शामिल है।

गाइड की आवश्यकता:
अंजनेरी किला ट्रेक के लिए किसी गाइड की आवश्यकता नहीं है, रास्ते में पर्याप्त साइनबोर्ड लगे हैं।

कैंपिंग की अनुमति:
अंजनेरी किले पर कैंपिंग की अनुमति नहीं है। ट्रेकिंग के बाद शाम तक वापस लौटना जरूरी है।

स्थानीय कहानियां और आस्थाएं: अंजनेरी किला ट्रेक

स्थानीय निवासियों का मानना है कि अंजनी माता आज भी इस स्थान पर सक्रिय रूप से विराजमान हैं। कई साधु-संत यहां साधना करने आते हैं। मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा होती है।

सुरक्षा और जिम्मेदार यात्रा:

रास्ते से न भटके, खासकर बारिश में

बंदरों को खाना न दें – यह उन्हें आक्रामक बना सकता है

धार्मिक स्थलों पर शांति बनाए रखें

कोई प्लास्टिक या कचरा न फैलाएं – अपने साथ वापस लेकर आएं

अंजनेरी किला ट्रेक न केवल एक रोमांचक साहसिक यात्रा है, बल्कि यह एक आत्मिक अनुभव भी है। भगवान हनुमान की जन्मस्थली तक पैदल यात्रा करना एक विशेष श्रद्धा और ऊर्जा से भर देता है। प्रकृति, इतिहास और भक्ति का ऐसा संगम बहुत कम स्थानों में देखने को मिलता है।

अगर आप नाशिक या महाराष्ट्र के आस-पास रहते हैं, या किसी आध्यात्मिक ट्रेक की तलाश में हैं – तो अंजनेरी किला ट्रेक अवश्य करें।

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बापूराव ताजने: एक कुआं, एक क्रांति – आत्मसम्मान की मिसाल

Author

  • A.P.S Jhala

    मैं A.P.S JHALA, "Kahani Nights" का लेखक, हॉरर रिसर्चर और सच्चे अपराध का कहानीकार हूं। मेरा मिशन है लोगों को गहराई से रिसर्च की गई डरावनी और सच्ची घटनाएं बताना — ऐसी कहानियां जो सिर्फ पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। साथ ही हम इस ब्लॉग पर करंट न्यूज़ भी शेयर करेंगे ताकि आप स्टोरीज के साथ साथ देश विदेश की खबरों के साथ अपडेट रह सके। लेखक की लेखनी में आपको मिलेगा सच और डर का अनोखा मिश्रण। ताकि आप एक रियल हॉरर एक्सपीरियंस पा सकें।

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