रूस तालिबान मान्यता : रूस ने तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देकर अफगान राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया है। जानिए रूस के इस फैसले के पीछे की वजह, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत के लिए इसके क्या मायने हैं।
रूस तालिबान मान्यता : Russia Recognizes Taliban Government
रूस ने तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता, बना पहला देश | Afghanistan में राजनीतिक समीकरण बदलने की शुरुआत
मॉस्को / काबुल | 3 जुलाई 2025:
रूस ने वैश्विक स्तर पर एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता (Official Recognition) दे दी है। इसके साथ ही रूस ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसने 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद सत्ता में आई तालिबान सरकार को पूरी तरह से वैध घोषित किया है।
कूटनीतिक बदलाव: अब रूस और अफगानिस्तान के रिश्ते नए दौर में
रूसी विदेश मंत्रालय ने तालिबान द्वारा नियुक्त राजदूत गुल हसन हसन को स्वीकार कर लिया है। यह संकेत है कि रूस अब तालिबान सरकार के साथ न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि व्यापारिक और सुरक्षा संबंध भी मज़बूत करना चाहता है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा:
“यह कदम अफगानिस्तान में स्थिरता और मध्य एशिया में सुरक्षा के हित में है।”
रूस का मकसद: आतंकवाद नियंत्रण और सुरक्षा सहयोग
रूस को तालिबान सरकार से ISIS-K जैसे आतंकी संगठनों के फैलाव को रोकने की उम्मीद है।
अफगानिस्तान में चरमपंथियों की गतिविधियों को सीमित करना रूस की मध्य एशिया नीति का हिस्सा है।
इससे ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान जैसे देशों की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ेगी।
आतंकवादी सूची से हटाया गया तालिबान
रूस तालिबान मान्यता :-रूस ने अप्रैल 2025 में ही तालिबान को आतंकी संगठनों की सूची से हटा दिया था। यह पहला बड़ा संकेत था कि रूस अब तालिबान सरकार के साथ औपचारिक संबंधों की ओर बढ़ रहा है।
आर्थिक साझेदारी: व्यापार, तेल और निर्माण क्षेत्र में संभावनाएं
रूस और अफगानिस्तान के बीच संभावित सहयोग क्षेत्र:
तेल और गैस आपूर्ति
अनाज और खाद्य सामग्री का व्यापार
निर्माण और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं
सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति
तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इसे “ऐतिहासिक और साहसी कदम” बताते हुए रूस का आभार जताया।
अन्य देशों की स्थिति: अब किसकी बारी ?
अब तक चीन, पाकिस्तान, ईरान और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों ने तालिबान सरकार के साथ राजनयिक संवाद तो बनाए रखा है, लेकिन किसी ने औपचारिक मान्यता नहीं दी।
रूस का यह कदम अन्य देशों को भी निर्णय लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।
मानवाधिकार मुद्दों पर फिर उठे सवाल
परूस तालिबान मान्यता :- श्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने इस कदम पर मानवाधिकार और महिला शिक्षा के मुद्दों को उठाया है।
अमेरिका ने साफ कहा:
“तालिबान सरकार को तब तक मान्यता नहीं दी जा सकती जब तक वह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा नहीं करती।”
भारत की प्रतिक्रिया: सावधानी बरतने की नीति
भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन काबुल में इंडियन टेक्निकल मिशन फिर से सक्रिय हो गया है। भारत रूस के इस कदम को समीक्षा की दृष्टि से देख रहा है, ताकि अफगानिस्तान में अपनी रणनीति तय की जा सके।
त्वरित विश्लेषण: तालिका में समझें
विषय जानकारी
मान्यता की तिथि 3 जुलाई 2025
मान्यता देने वाला देश रूस (Russia)
अफगान प्रतिनिधि गुल हसन हसन
अफगान मंत्री की प्रतिक्रिया “यह बहादुरी से भरा ऐतिहासिक फैसला है”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया अमेरिका, यूरोपीय संघ – मानवाधिकारों पर चिंता
भारत की स्थिति औपचारिक मान्यता नहीं, लेकिन संवाद चालू
अफगान राजनीति में नया अध्याय
रूस का यह ऐतिहासिक कदम ना केवल अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मज़बूत करता है, बल्कि दुनिया के कूटनीतिक समीकरणों को भी बदलता है।
अब देखना यह है कि अन्य राष्ट्र — विशेषकर चीन, तुर्की, ईरान और भारत — इस घटनाक्रम पर क्या रुख अपनाते हैं।
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