पटना बलात्कार कांड :तीन साल की बच्ची की दर्दनाक यात्रा का पूरा सच उजागर करेंगे, जिसने टॉफी के लालच में खोकर अपनी मासूमियत गँवा दी। अनाचार की दर्दनाक दास्ताँ
हर खबर के पीछे एक इंसानियत का हिस्सा छुपा होता है, जिसे पढ़कर हमें ख़ामोश होना पड़ता है। 05 मई 2025 को पटना के दानापुर-शाहपुर इलाके में घटित यह भयावह अपराध केवल एक आम अपराध मामला नहीं, बल्कि उस समाज की दयनीयता का आईना है जहाँ सबसे छोटे और सबसे मासूम को भी सुरक्षित नहीं माना जाता। इस लेख में हम उस तीन साल की बच्ची की दर्दनाक यात्रा का पूरा सच उजागर करेंगे, जिसने टॉफी के लालच में खोकर अपनी मासूमियत गँवा दी।
पटना बलात्कार कांड :घटना का समय और स्थान
तारीख: 05 मई 2025
समय: दोपहर लगभग 1:45 बजे
स्थान: पटना (दानापुर-शाहपुर थाना क्षेत्र), मोहल्ले के पास स्थित सुनसान मकई का खेत
दिन का तेज़ सूरज ऊपर से तप रहा था, पक्षी अपनी हर सुबह की किलकारियाँ भर रहे थे, बच्चे अपनी-अपनी दुनिया में खोए हुए थे। लेकिन उसी दोपहर, तीन साल की मासूम बच्ची ने सुरक्षित खेलने के बजाय ऐसी चीखें मारीं, जिसने पूरे मोहल्ले को शोर और आक्रोश में बदल दिया।
पीड़िता का परिचय
पटना बलात्कार कांड : पीड़िता एक तीन वर्षीय बच्ची है, जिसका नाम मीडिया में गोपनीयता के चलते उजागर नहीं किया गया है। उसके माता-पिता अपने छोटे-से घर में रहने वाले मजदूर हैं—पिता रिक्शा चलाते हैं और मां सरकारी कॉल सेंटर में पीरियडिक क्लिनिंग का काम करती हैं। घर से थोड़ी दूरी पर बनी झोंपड़ी में बच्ची आम दिनों की तरह खिलौने और रंग-बिरंगे गुब्बारे लेकर खेल रही थी।
उसकी एक छोटी सी जिंदगी थी—दुनिया की मासूमियत से भरी; कोई नहीं जानता था कि एक नशेड़ी पड़ोसी उसकी मासूमियत को रौंदने का इंतज़ार कर रहा था।
आरोपी का हुलिया और पहचान
नाम: वासुदेव महतो
उम्र: लगभग 35 वर्ष
पेशा: मूलतः बेरोज़गार, कभी-कभार संबंधों के ज़रिए अनौपचारिक काम कर लेता
आदतें: नशाखोरी, आक्रामक व्यवहार, अनिश्चित मानसिक स्थिति
पूरे मोहल्ले में वासुदेव की पहचान एक ऐसे शख्स के रूप में थी, जो दिन-रात शराब और चरस के भंग में खोया रहता था। फिर भी किसी ने उसकी काला चेहरा पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वह भी एक गरीब मोहल्ले का शख्स था—और अमूमन हम नशेड़ी तबके वालों को नजरअंदाज कर देते हैं।
पटना बलात्कार कांड : पूरी घटना का क्रम
- लुभावना लालच
17 जून को दोपहर लगभग 1:30 बजे, वासुदेव महतो ने बच्ची को अपनी झोंपड़ी के पास बुलाया। उसने टॉफी, खिलौने और रंगीन गुब्बारे दिखाकर बच्ची को बहलाया। उस मासूम ने बिना किसी डर के उसकी बात मानी और मज़े से उसके पीछे-पीछे चली गई।
- सुनसान खेत में ले जाना
पड़ोस के मकानों के पीछे ही एक मकई का सुनसान खेत था, जहाँ गिरहबंद लोग कम ही जाना-जाना करते थे। वासुदेव ने बच्ची को वहीं पहुँचाकर घोर अपराध का सिलसिला शुरू किया।
- चीखें और बचाए जाने का प्रयास
बच्ची दर्द से बिलखती रही, रूह काँपाने वाली चीखें खेत से गुजर रहे दो स्थानीय युवकों तक पहुँचीं। उन्होंने दौड़कर देखा, जहाँ बच्ची खून से सना और बेहोश पड़ी थी। आरोपी भागने लगा, मगर ग्रामीणों ने उसे घेर लिया।
- भीड़ का आक्रोश
जब घटना का खुलासा हुआ, तो मोहल्ले में खून खौला गया। दर्जनों लोग इकट्ठे हो गए, उन्होंने आरोपी को पकड़ा और निर्ममता से पिटाई की। कुछ वक़्त बाद पुलिस ने आकर आरोपी को भीड़ से छुड़ाया और हिरासत में लिया।
बच्ची का इलाज और मेडिकल रिपोर्ट
पटना बलात्कार कांड : प्राथमिक इलाज: स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में, जहां ईलाज के दौरान ब्लड प्रेशर में खतरनाक उतार-चढ़ाव दिखा।
मुख्य इलाज: पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) के ICU में भर्ती।
चिकित्सकीय रिपोर्ट्स:
पेट में अंदरूनी घाव
यौन अंगों और जांघों पर गंभीर मस्से एवं खरोंच
मानसिक स्थिति: गहरी सदमे की अवस्था
डॉक्टरों की टीम ने लगातार 48 घंटे की चिकित्सा में बच्ची के जीवन को बूंद-बूंद बचाया, और आज उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई
पटना बलात्कार कांड : दानापुर थाने की पुलिस अधीक्षक (SP) रीना सिंह ने तुरंत FIR दर्ज कराई:
धारा 376 IPC: बलात्कार
धारा 376(1)(k): 12 वर्ष से कम आयु की बच्ची से बलात्कार
POCSO एक्ट की संबंधित धाराएँ
जांच की मुख्य बिन्दु
- फॉरेंसिक जांच: खेत से सीलबंद सैंपल, लिबास की जांच
- मेडिकल दस्तावेज़: बच्ची एवं आरोपी का मेडिकल एवं DNA परीक्षण
- CCTV फुटेज: आसपास के घरों व दुकान के सीसीटीवी कैमरों की कतरन
- गवाहों के बयान: दो युवकों व आसपास के बच्चों के बयान
पुलिस ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, साथ ही केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा जाएगा। SP रीना सिंह ने कहा,
“हम आरोपी को कोई छूट नहीं देंगे, सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”
पीड़िता के परिवार की पीड़ा
पटना बलात्कार कांड : मां, सीता देवी, बार-बार चिल्लाकर कह रही थीं,
“मुझे मुझसे बेदखल कर दिया… मेरी जान मेरे हाथ से फिसल गई।”
परिवार को अब सरकार की ओर से आर्थिक सहायता एवं मुफ्त इलाज की घोषणा मिली है, लेकिन ये सहायता उस दर्द को कम नहीं कर पाएगी जो इस क्रूर घटना ने छोड़ा है।
पटना बलात्कार कांड : समाज में हो रही हलचल
इस कांड की खबर आते ही सोशल मीडिया पर कई हैशटैग ट्रेंड करने लगे:
JusticeForPatnaGirl
HangVasudevMahato
ChildSafetyInIndia
स्थानीय NGOs और बाल अधिकार संगठनों ने प्रदर्शन किया और 10 लाख रुपये मुआवज़े तथा आरोपी को फांसी की मांग की।
बिहार के दानापुर‑शाहपुर इलाके में उस पीड़ित बच्ची से हुए बलात्कार के बाद आरोपी को पहले पुलिस हिरासत में लिया गया, फिर उसे चोटों के इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में भर्ती कराया गया था।
सूत्रों के अनुसार इलाज के दौरान वासुदेव महतो की मौत हो गई, जिसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाया और मौत के कारण जांच में ग्रामीणों की भी संलिप्तता के आधार पर करीब 40 ग्रामीणों को नामजद आरोपी बनाया गया है ।
बिहार में बढ़ता अपराध ग्राफ
वर्ष बलात्कार के मामले (कुल) 12 वर्ष से कम पीड़िता की संख्या
📊 बिहार में बढ़ता अपराध ग्राफ
वर्ष | बलात्कार के मामले (कुल) | 12 वर्ष से कम पीड़िता की संख्या |
---|---|---|
2021 | 1,652 | 389 |
2022 | 1,730 | 402 |
2023 | 1,891 | 456 |
2024 | 2,107 | 498 |
2025 (6 माह) | 1,193 | 286 |
बिहार राज्य महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2025 के बीच बच्चियों पर यौन अपराध 46% बढ़े हैं।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि सिर्फ कानून के लागू होने से फर्क नहीं पड़ता—हमें साक्षरता, सामाजिक जागरूकता, और घरेलू सुरक्षा पर भी जोर देना होगा।
क्या बदलाव जरूरी हैं?
- तुरंत फास्ट ट्रैक कोर्ट: सभी POCSO मामलों को 30 दिनों में निस्तारित करने की प्रक्रिया।
- सख्त कानून: नाबालिगों के साथ अपराधियों को फांसी या आजीवन कारावास।
- पुलिस और अस्पताल जवाबदेही: किसी भी POCSO केस में मेडिकल लैप्स न हों, सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में मुफ्त इलाज।
- स्कूलों में जागरूकता: “गुड टच-बैड टच” शिक्षा जरूरी।
- लोकल वॉच ग्रुप: मोहल्ले में स्वयंसेवी सुरक्षा दल – रात के गश्त व सहायता व्यवस्था।
नशाखोरी और समाज का अँधेरा
पटना बलात्कार कांड : वासुदेव महतो जैसे लोग नशे के विपरीत प्रभाव का चेहरा हैं। उनका इलाज सिर्फ जेल नहीं, पुनर्वास केंद्र भी होना चाहिए।
एक स्वस्थ समाज के लिए:
नशामुक्ति शिविर
मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ
रोज़गार के अवसर
इन प्रयासों से हम उन जख्मों को भर सकते हैं, जो आज की घटना ने खोले हैं।
लेखक की पुकार
मैं, A.P.S. JHALA, इस लेख को एक इंसानियत की पुकार मानता हूं। उस बच्ची ने अपनी मासूमियत खोई, पर हमें अपने संवेदनशीलता और बच्चों की सुरक्षा नहीं खोनी चाहिए।
“अगर आज हम चुप रहे तो कल हमारी सभ्यता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।”
हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि हम:
जागरूक हों
बच्चों को सुरक्षित बनाएं
अपराधियों को क़ानून के कटघरे में खड़ा करें
पटना बलात्कार कांड किसी एक परिवार या एक बच्ची की घटना नहीं, बल्कि पूरे समाज की सज़ा है। जब तक हम नशे, बेरोज़गारी, अशिक्षा और लापरवाही से नहीं लड़ेंगे, तब तक मासूमीयत की रक्षा नहीं हो सकेगी।
“चलो एक नए भारत का निर्माण करें, जहाँ एक बच्ची भी डरे नहीं, सुरक्षित रहे।”
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