इथियोपियन कैलेंडर:-आप 2025 में जी रहे हैं, वहीं दूसरी दुनिया में एक ऐसा देश है जहाँ अभी भी 2017 व्यतीत हो रहा है! यह कोई विज्ञान-कथा नहीं, बल्कि असली तथ्य है — और इस रहस्य की कुंजी है इथियोपियन कैलेंडर। इस ब्लॉग में हम गहराई से जानेंगे कि यह प्रणाली कैसे विकसित हुई, इसके तकनीकी और सांस्कृतिक आयाम क्या हैं, और क्यों इथियोपिया समय की इस “देरी” को गर्व के साथ स्वीकारता है।
इथियोपियन कैलेंडर :- अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश इथियोपिया एक अनोखी पहचान रखता है — यहां का कैलेंडर दुनिया से करीब सात साल और तीन महीने पीछे चलता है। जहां अधिकांश देश नया साल 1 जनवरी को मनाते हैं, वहीं इथियोपिया में नववर्ष की शुरुआत 11 सितंबर को होती है।इतिहास पर नज़र डालें तो साल 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत हुई थी, जिसे तत्कालीन कैथोलिक चर्च और यूरोपीय देशों ने अपनाया। इससे पहले अधिकांश देश, जिनमें इथियोपिया भी शामिल था, जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते थे।
हालांकि कैथोलिक प्रभाव वाले देशों ने नया कैलेंडर स्वीकार कर लिया, मगर इथियोपिया ने इस बदलाव को अपनाने से इनकार कर दिया और अपनी पारंपरिक कैलेंडर प्रणाली को बनाए रखा, जो आज भी वहां के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अहम हिस्सा है।
इथियोपियन कैलेंडर का सार
इथियोपियन कैलेंडर (जिसे गी’ज़ कैलेंडर भी कहते हैं) मुख्यतः इथियोपिया और एरिट्रिया में प्रयोग होता है तथा ईथियोपियन-एरिट्रियन प्रवासी समुदायों में सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। यह एक सौर (सोलर) कैलेंडर है, जिसमें वर्ष 365 दिन के होते हैं, लेकिन हर चार साल पर एक अतिरिक्त दिन (लीप डे) जुड़ता है — बिलकुल जूलियन कैलेंडर की तरह ।
जूलियन और कॉप्टिक विरासत
इथियोपियन कैलेंडर की गणनाएँ सीधे जूलियन कैलेंडर पर आधारित हैं, जो रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने ईसा पूर्व 46 में लागू कराया था। बाद में कॉप्टिक चर्च ने इसी पद्धति को अपनाया, जिसे इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च ने और विकसित किया। इस साझा विरासत के कारण इथियोपियन और कॉप्टिक कैलेंडर में महीनों की शुरुआत और संरचना समान हैं, केवल नाम और भाषा (गी’ज़/अम्हारिक) में अंतर होता है ।
महीने और दिन: 13-महीने की संरचना
इथियोपियन कैलेंडर में 12 महीने होते हैं, प्रत्येक में 30 दिन, एवं एक अतिरिक्त छोटा महीना होता है जिसे पगूमे (Pagume) कहा जाता है। यह 13वां महीना साधारण वर्षों में 5 दिन का, और लीप वर्षों में 6 दिन का होता है ।
महीने का क्रम गी’ज़ नाम (अम्हारिक) दिन (साधारण वर्ष) दिन (लीप वर्ष)
1–12 मेस्करम से नहेसे 30 दिन 30 दिन
13 (Pagume) पगूमे 5 दिन 6 दिन
लीप वर्ष का चक्र और धार्मिक प्रतीक
इथियोपियन कैलेंडर में हर चार वर्ष पर बिना अपवाद के एक अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है — समानांतर जूलियन कैलेंडर की तरह। इस लीप डे के साथ जुड़ी परंपरा के अनुसार, प्रत्येक वर्ष को चार सुसमाचारिक चिन्हों (चौ evangelists: मैथ्यू, मार्क, ल्यूक, जॉन) से जोड़कर नामित किया जाता है। उदाहरण के लिए, लीप वर्ष के ठीक बाद वाला वर्ष “ल्यूक वर्ष” कहलाता है ।
7–8 साल का विचलन: गणनात्मक मतभेद
इथियोपियन कैलेंडर :- दुनियाभर में ईसा मसीह के जन्म के वर्ष का निर्धारण दो अलग गणनाओं पर आधारित है:
ऐनियनस ऑफ़ अलेक्जेंड्रिया (मूलतः जूलियन शैली, 5वीं सदी) ने साल 8 ईस्वी को जन्म का वर्ष माना।
डायोनिसियस एक्सिगुआस (6वीं सदी) ने गणना करके जन्म का वर्ष 1 ईस्वी रखा।
इथियोपिया ने ऐनियनस की गणना अपनाई, जबकि पश्चिम ने डायोनिसियस की, जिससे 7–8 साल का अंतर उत्पन्न हुआ। परिणामतः 1 जनवरी से 10/11 सितंबर तक इथियोपियन वर्ष, ग्रेगोरियन वर्ष से 8 साल पीछे होता है, और शेष अवधि में 7 साल पीछे ।
इथियोपियन युग (Era) की विविधताएँ
अवतरण युग (Incarnation Era)
आज इथियोपियन और एरिट्रियन चर्च “Incarnation Era” का उपयोग करते हैं, जिसमें वर्ष गणना ईसा के अवतरण (Annunciation) से आरंभ होती है। उन्होंने इसे मार्च 25, 9 ईस्वी (जूलियन) माना, जिससे पहला ईथियोपियन वर्ष अगस्त 8, 8 ईस्वी से शुरू हुआ ।
अन्य ऐतिहासिक युग
इथियोपियन कैलेंडर :- प्राचीन अक्सुम साम्राज्य में और भी युगों का उपयोग होता था, जैसे कि युग ऑफ़ द सेंटर्स ऑफ़ मार्टियर्स, पर आधुनिक काल में मुख्य रूप से Incarnation Era ही जीवित है।
नववर्ष उत्सव – Enkutatash
इथियोपियन नववर्ष को Enkutatash कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ “रत्नों का उपहार” है। यह मेस्करम 1 को मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर पर 11 सितंबर (लीप वर्ष में 12 सितंबर) होता है ।
उत्पत्ति की कथा
स्थानीय परंपरा के अनुसार, सोलोमन और शेबा की रानी (मक़ेडा) की यात्रा समाप्ति पर उनके अनुयायियों ने उन्हें रत्न भेंट किए थे। इसी स्मरणार्थ यह त्यौहार मनाया जाता है।
आयोजन और रस्में
सुबह प्रार्थना और चर्च उपासना
पारिवारिक भोजन: इन्ज़ेरा और डोरो वाट (मसालेदार चिकन सूप)
युवा लड़कियाँ फूल बुनकर गाना गाती हैं और उपहार देती हैं
बड़े शहरों में कार्ड-एक्सचेंज, आधुनिक सभ्य जीवनशैली भी शामिल ।
अन्य प्रमुख त्योहार और ईसाई पर्व
Meskel (Finding of the True Cross): सितम्बर-अक्टूबर में, लौह क्रॉस की खोज का स्मरण।
फास्ट और ईस्टर (Fasika): विशाल धार्मिक उपवास और पुनरुत्थान उत्सव, कैलेंडर के विभिन्न गणनात्मक आधारों के कारण पश्चिमी ईस्टर से अक्सर अलग तारीख पर।
ये पर्व इथियोपियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होते हैं और जीवन के गहरे आध्यात्मिक आयाम को प्रतिबिंबित करते हैं ।
दैनिक समय का अनूठा गणित
इथेियोपिया में दिन की गणना सूर्योदय से आरंभ होती है। सामान्य रूप से:
सूर्योदय (ग्रीष्म में लगभग 6:00 बजे) = इथियोपियन समय 12:00
दोपहर (ग्रीष्म में लगभग 12:00 बजे) = इथियोपियन समय 6:00
इस “सौर समय” प्रणाली का उद्देश्य सूर्य की वास्तविक स्थिति के अनुसार समय का आकलन करना है, न कि मानव निर्मित घड़ी पर निर्भर रहना ।
ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व
इथियोपिया अफ्रीका का एकमात्र ऐसा देश है जिसे पूर्ण रूप से औपनिवेशिक शासन में नहीं डाला गया। अपनी स्वतंत्रता और सांस्कृतिक आत्मानुभूति को बचाए रखने के लिए इथियोपियाई शासन ने विदेशी कैलेंडर प्रणाली ग्रहण करने से परहेज किया। इस प्रकार, उनका पारंपरिक कैलेंडर राष्ट्रीय गर्व एवं पहचान का प्रतीक बन गया।
आधुनिक दुवै-तिथिकरण (Dual Dating)
वर्तमान वैश्विक लेन-देन, व्यापार, शिक्षा आदि में विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु इथियोपिया में दोनों कैलेंडर (ग्रेगोरियन और इथियोपियन) साथ-साथ उपयोग किए जाते हैं। सरकारी दस्तावेज़, बैंकिंग, विदेश यात्रा के लिए ग्रेगोरियन, जबकि स्थानीय पर्व-उत्सव, ग्रामीण कृषि चक्र और चर्च गतिविधियाँ इथियोपियन कैलेंडर पर आधारित ।
कृषि चक्र से तालमेल
इथियोपियाई किसान सर्दियों की बारिश (Bega), ग्रीष्मकालीन बारिश (Kiremt) आदि मौसमी चक्रों के अनुसार अपने बीज बोने, कटाई और उत्सवों को कैलेंडर से जोड़ते हैं। पगूमे का महीना (चौथाई दिन) अक्सर गेंदों की कटाई और अगले मौसम की तैयारी का समय होता है।
प्रवासी समुदाय और सांस्कृतिक धरोहर
इथियोपियन कैलेंडर :- दुनिया भर में फैले इथियोपियाई और एरिट्रियन प्रवासी समुदाय भी अपने पर्व-त्यौहार और गी’ज़ कैलेंडर को जिंदा रखते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर पर चुनौतीपूर्ण लगने वाले त्योहारों के लिए वे एप्लिकेशन, कैलेंडर कनवर्टर, और पारंपरिक चर्च-घंटों का सहारा लेते हैं।
समय की विविधता में एकता
इथियोपियन कैलेंडर का “2017” और बाकी दुनिया का “2025” — यह केवल संख्यात्मक विचलन नहीं, बल्कि एक समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है। यह हमें याद दिलाता है कि समय मात्र मैकेनिकल नहीं, बल्कि एक सामाजिक निर्माण है, जो प्रत्येक सभ्यता ने अपनी पहचान और विश्वास के अनुरूप आकार दिया है।
Kahani Nights में हम ऐसी अनसुनी कहानियों को आपके सामने लाते रहेंगे, जो दुनिया को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर देती हैं। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो, तो ज़रूर शेयर करें और कमेंट में बताएं कि आप किन और अद्भुत समय-प्रणाली पर एक गहन लेख पढ़ना चाहेंगे!
पढ़ें हमारी Real Stories सीरीज़ की अन्य सच्ची कहानियाँ:
सोन भंडार गुफा: दीवारों पर लिखा है मगध के खजाने तक पहुँचने का रहस्यमयी सूत्र